Exclusive: यूपी में 75+ के लक्ष्य के साथ BJP 2024 में तोड़ेगी 2014 का रिकॉर्ड, SP राजनीतिक अंत की ओर- केशव प्रसाद मौर्य

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने गुरुवार को NEWS18 के साथ विशेष बातचीत में बताया कि बीजेपी 2024 के आम चुनावों में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 73 जीतने के अपने 2014 के रिकॉर्ड को तोड़ देगी. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में अन्य सभी राजनीतिक दल राजनीतिक गुमनामी की ओर बढ़ रहे हैं. केपी मौर्य ने अपने लखनऊ आवास पर एक विस्तृत साक्षात्कार में NEWS18 को बताया, ‘हमारे पास 2024 के लिए 75 सीटों का लक्ष्य है. यादव और जाटव समुदाय और विशेष रूप से पसमांदा मुसलमान भी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं और उन्होंने बड़ी संख्या में बीजेपी को वोट देना शुरू कर दिया है.’ यादव और जाटव परंपरागत रूप से क्रमशः समाजवादी पार्टी और बसपा के वोट बैंक रहे हैं, जबकि पीएम मोदी ने हाल ही में यूपी में भाजपा से पसमांदा मुसलमानों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है.

मौर्य ने आगे कहा कि आजमगढ़ और रामपुर में लोकसभा उपचुनावों में भाजपा के लिए बड़ी जीत, जहां क्रमपरिवर्तन हमारे अनुकूल नहीं थे, ने दिखाया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए एक रिकॉर्ड जीत इंतजार कर रही है. उन्होंने कहा कि सपा अब ‘समाप्तवादी पार्टी’ होने की ओर बढ़ रही है. अखिलेश यादव के लिए वापसी करने का कोई मौका नहीं है, क्योंकि ‘राजनीति के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है’ और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है.

मौर्य ने यह भी कहा कि राज्य मंत्री दिनेश खटीक को त्याग पत्र नहीं लिखना चाहिए था, जो उन्होंने किया. उन्हें उचित मंच पर अपना मुद्दा उठाना चाहिए था. उन्होंने इस बात से दृढ़ता से खारिज किया कि राज्य का बुलडोजर अभियान मुसलमानों के उद्देश्य से था और कहा कि मुसलमानों ने देखा है कि नरेंद्र मोदी के 8 साल या योगी आदित्यनाथ के 6 साल के शासन में किसी को नुकसान नहीं हुआ है, जब तक कि किसी ने कुछ अवैध नहीं किया.

केशव प्रसाद मौर्य के साक्षात्कार का संपादित अंश…

  • आप वर्तमान में उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य को कैसे देखते हैं?
    यूपी की राजनीति में बहुत बड़ा अंतर है. यूपी में कांग्रेस लगभग खत्म हो चुकी पार्टी है. सपा ‘समाप्तवादी पार्टी’ बनने की ओर बढ़ रही है और बसपा भी उसी रास्ते पर है. हमने 2024 में लोकसभा चुनाव के लिए 75+ सीटों का लक्ष्य तय किया है और इस राजनीतिक अंतर के कारण हमारी जिम्मेदारी बड़ी है. जनता की बड़ी उम्मीदों को पूरा करने की जिम्मेदारी भाजपा पर है.
  • 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में आपकी सीटें 73 से घटकर 64 हो गई थीं. क्या 2024 के लिए 75+ बहुत महत्वाकांक्षी लक्ष्य नहीं है?
    सपा-बसपा गठबंधन के कारण 2019 में हमारी सीटें कम हुईं लेकिन वोट बढ़े. मैं समझ सकता हूं कि 2024 में हमारे वोट कम नहीं होंगे. जब यूपी को नरेंद्र मोदी को पीएम बनाना है, तो युवा, बुजुर्ग, गरीब और एससी/एसटी या पिछड़े, सभी मोदी को पीएम बनाने के लिए एक साथ हैं और इस मामले में कोई समझौता करने को तैयार नहीं है. वे मोदी को भाजपा के कमल चिह्न में देखते हैं. इसलिए मुझे कोई भ्रम नहीं है. हमने 2014 में यूपी की 80 में से 73 सीटों का जो रिकॉर्ड बनाया था, वह रिकॉर्ड 2024 के आम चुनाव में बीजेपी तोड़ेगी.
  • आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में कितनी बड़ी जीत मिली?
    वे बहुत बड़ी जीत और एक बड़ी उपलब्धि थीं. अखिलेश यादव द्वारा छोड़ी गई सीट आजमगढ़ जीतना और मोहम्मद आजम खान द्वारा छोड़ी गई सीट रामपुर जीतना बड़ी बात थी. दोनों सीटों पर क्रमपरिवर्तन भाजपा के अनुकूल नहीं थाए लेकिन हमने उन्हें जीत लिया. तो यादव हों या जाटव समुदाय, और खासकर पसमांदा मुसलमान, वे मोदी के पीछे हैं और उन्होंने बड़ी संख्या में भाजपा को वोट देना शुरू कर दिया है.

 

  • पीएम मोदी ने हाल ही में यूपी बीजेपी को भी पसमांदा मुसलमानों पर फोकस करने को कहा है…?
    हमारे पास यूपी में पसमांदा मुस्लिम समुदाय से आने वाले एक मंत्री भी हैं और वह समुदाय भी अब हमारा समर्थन कर रहा है. यह एक बहुत ही गरीब तबका है जिसने जीवन में बहुत मुश्किलें देखी हैं. हम उनका दर्द समझ सकते हैं. गरीबों को, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम, सिलेंडर, घर, शौचालय और अब पीने का पानी मिल गया है. इसलिए पीएम मोदी ने गरीबों के लिए बहुत सारे रास्ते खोले हैं. पसमांदा मुसलमान, मुसलमानों में सबसे गरीब हैं. अगर हम उनके दर्द और मुश्किलों को दूर कर रहे हैं, तो वे हमें अपना आशीर्वाद जरूर देंगे. और मुझे यकीन है कि एक शुरुआत हो गई है. चार-पांच नेता केवल हिंदू-मुसलमान पर मुसलमानों को व्याख्यान देते हैं और मुसलमानों को भाजपा के बारे में डराने की कोशिश करते हैं. लेकिन मुसलमान अब देख रहे हैं कि नरेंद्र मोदी के 8 साल या योगी आदित्यनाथ के 6 साल के शासन में किसी को नुकसान नहीं हुआ है. हालांकि वे जानते हैं कि जो भी गलत होगा, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम, उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
  • क्या अखिलेश यादव राज्य की राजनीति में वापसी कर सकते हैं?
    मुझे ऐसा नहीं लगता. अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव की वजह से सीएम के तौर पर सरकार चला सके.वरना बहुमत के बावजूद उनकी सरकार नहीं चलती. आज वह विपक्ष में हैं और उनकी पार्टी राजनीतिक गुमनामी की ओर बढ़ रही है. उनके सभी सहयोगियों ने उन्हें छोड़ दिया है. जब कोई पसीने और मेहनत से कुछ कमाता है तो उसे उसकी अहमियत का एहसास होता है. राहुल गांधी को देखिए, जो सोचते हैं कि उन्हें पीएम बनने का अधिकार है क्योंकि उनके पिता पीएम थे. उसी तरह अखिलेश यादव सोचते हैं कि उन्हें सीएम बनने का अधिकार है क्योंकि उनके पिता सीएम थे. इस रवैये से कोई पीएम या सीएम नहीं बन सकता. इसके लिए लोकतंत्र में कड़ी मेहनत करने की जरूरत है. केवल प्रेस कांफ्रेंस या ट्वीट में घिसे.पिटे आरोप लगाने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता. लोगों के बीच जाना पड़ता है. सपा के पास सिर्फ माफिया, लंपट तत्व और दंगाई हैं. क्या कोई अच्छा व्यक्ति सपा से जुड़ा है.
  • शिवपाल यादव और मोहम्मद आजम खान भी सपा से खफा हैं…?
    यह सपा का आंतरिक मामला है, इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. मैं इतना जानता हूं कि यूपी में बीजेपी का भविष्य उज्जवल है.
  • आपकी सरकार में भी विवाद हैं. जैसे मंत्री दिनेश खटीक ने इस्तीफा दिया. बुलडोजर चलाकर मुसलमानों को निशाना बनाने का आरोप लग रहा है…?
    बुलडोजर किसी समुदाय को लक्षित नहीं करता है. पूरी सूची उठाकर देखें. यदि किसी ने अवैध रूप से अन्य व्यक्तियों या सरकार की भूमि या संपत्ति पर कब्जा कर लिया है, तो हमें नागरिकों से अपने सुशासन के वादे को पूरा करने के लिए कार्य करना होगा. हमारे राज्य मंत्री द्वारा लिखा गया त्याग पत्र…उन्हें यह नहीं लिखना चाहिए था. अगर कोई मुद्दा था, तो वह उचित मंच पर इसे उठा सकते थे. जो अधिकारी मंत्रियों की नहीं सुनते, सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए है. कुछ अधिकारियों की अन्य पार्टियों के 15 साल के शासन के कारण बुरी आदतें हैं. इसलिए पूरी व्यवस्था में सुधार करने में समय लग रहा है. वे प्रयास जारी हैं.
  • चित्रकूट में यूपी बीजेपी के हालिया मंथन सत्र से क्या सीख मिली?
    2022 के चुनाव परिणामों के बाद ही, हमने 2024 के आम चुनावों की तैयारी शुरू कर दी थी. हम अपने कैबिनेट मंत्रियों, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और जिला प्रभारियों को हर लोकसभा सीट जीतने के लिए बूथ स्तर तक संगठन बनाने और पीएम मोदी के नेतृत्व में फिर से सरकार बनाने के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं. इससे अच्छे परिणाम आएंगे, हमने विभिन्न मुद्दों पर 15 सत्र किए. विपक्ष जनता के बीच कोई काम नहीं करना चाहता, उन्हें मेहनत करने की आदत नहीं है. इसलिए वे जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं. हमें पीएम मोदी और सीएम योगी द्वारा शुरू किए गए सभी अभियानों को चलाना है. हमें इन योजनाओं को लोगों तक ले जाना है, समुदाय और सरकार दोनों को मिलकर काम करना है. हमने केंद्रीय नीतियों और राज्य की नीतियों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में बहुत मेहनत की है. हमने गांवों के लिए एक मास्टरप्लान तैयार करने का फैसला किया है, कि अगले 50 वर्षों में गांव कैसे दिखेंगे.