फिल्म ‘मट्टो की साइकिल’ (Matto Ki Saikil) सिनेमाघरों में एक दिन पहले रिलीज हो चुकी है. फिल्म में डायरेक्टर प्रकाश झा एक बार फिर अभिनय करते नजर आ रहे हैं. फिल्म को निर्देशक एम. गनी ने डायरेक्ट किया है. यह फिल्म एक मजदूर की ज़िंदगी को दिखाती है, जिसकी ज़िंदगी का पहिया साइकिल के पहिए के साथ चलता है. अपनी इस फिल्म, ओटीटी रिलीज और बॉलीवुड में फ्लॉप होती फिल्मों के वर्तमान माहौल पर प्रकाश झा और एम. गनी ने News18 से खास बातचीत की.
बॉलीवुड के हालात को देखते हुए और ओटीटी पर अच्छे कंटेंट की मांग के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर रिलीज करने से जुड़े सवाल पर प्रकाश झा ने बताया कि ओटीटी ने उन्हें नहीं चुना, इसलिए सिनेमाहॉल की तरफ रुख किया. उन्होंने कहा, “ओटीटी ने हमें नहीं चुना. हम तो ओटीटी के पास गए ही थे. हमें तो सिनेमा में भी जाना था, लेकिन ओटीटी वालों को लगा कि यह बहुत ही रियलिस्टिक और ड्राय फिल्म है.”
प्रकाश झा ने आगे कहा,”इसमें (मट्टो की साइकिल) कॉमेडी नहीं है. इसमें बड़े-बड़े स्टार नहीं है. तो उन्होंने तवज्जो नहीं दी. मुझसे ही कहते रहे कि-आप तो जानते हैं कि हमारी ऑडियंस कैसी है- वो ऑडियंस को पहले से ही जानते हैं. तो आप क्या कह सकते हैं. हमें तो सिनेमा में जाना ही था. हम ओटीटी में जाते तो भी सिनेमा में जाते.”
इसके अलावा, प्रकाश झा ने बॉलीवुड में फिल्मों के रीमेक, कॉन्टेंट क्वालिटी और ऑडियंस की समझने में कमी से जुड़े सवाल पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “मैं आपसे पूछूंगा कि रीमेक क्यों बनाते हैं? रीमेक बनाने के पीछे क्या कारण है? कारण यही है कि आपके पास ऑरिजनल स्टोरी नहीं है. आप ऑरिजनल स्टोरी पर समय लगाकर काम नहीं करना चाहते. आप उन राइटर्स के पास जाकर बात नहीं कर रहे हैं, जिनके पास ऑरिजनल स्टोरी हो.”
टाइम और पैसा नहीं लगाना चाहते मेकर्स
प्रकाश झा ने आगे कहा, “आप पैसे और टाइम ऐसे कॉन्टेंट डेवलेपमेंट में नहीं करना चाहते, क्योंकि आपके पास टाइम नहीं है और आपका पैसा बने. पैसा आपने बाजार से उठाया हुआ है. एक फंड बनाया हुआ है. आपको ब्याज देना है तो किसी तरह से पैसों को घुमाना पड़ेगा. इस प्रवृति के लोग जब इंडस्ट्री के अंदर आ जाए तो क्या होगा?”