मेडिकल कॉलेज से एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में पता चला कि युवा काला पीलिया की चपेट में आ रहे हैं। इस समय भी मेडिकल में 9395 मरीजों का इलाज चल रहा है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के युवा काला पीलिया (हेपेटाइटिस सी) की चपेट में आ रहे हैं। एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में 9395 मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें 75 प्रतिशत से ज्यादा 20 से 40 साल उम्र के हैं। ये मरीज मेरठ के अलावा गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर, बिजनौर, रामपुर, मुरादाबाद और अमरोहा आदि जिलों के हैं।
यह तो वह संख्या है जो मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने के लिए आए। इनके अलावा ऐसे मरीज भी बड़ी संख्या में हैं, जिनका अपने जिले में इलाज चल रहा है। हालांकि जांच मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी लैब में ही होती है, कुछ सैंपल जिलों से सीधे जांच के लिए आते हैं। उनकी रिपोर्ट संबंधित जिले को भेज दी जाती है।
मेडिकल में इलाज के लिए मरीज को 18 नंबर में लिवर ओपीडी में दिखाना होता है, यहां से उसका सैंपल जांच के लिए माइक्रोबायोलॉजी लैब भेजा जाता है। जांच में हेपेटाइटिस सी की पुष्टि होने पर इलाज शुरू किया जाता है। तीन माह दवाइयां खानी पड़ती हैं, फिर जांच होती है, सही होने पर दवाइयां बंद कर दी जाती हैं। नहीं तो दवाइयां अगले तीन माह के लिए जारी रखी जाती हैं। ठीक होने तक यही प्रक्रिया अपनाई जाती है।
यह है हेपेटाइटिस-सी
हेपेटाइटिस सी (यकृतशोथ ग) इसे काला पीलिया भी कहते हैं। यह एक संक्रामक रोग है, जो हेपेटाइटिस सी वायरस एचसीवी की वजह से होता है और यकृत को प्रभावित करता है।
गुरमीत राम रहीम के आश्रम पर पसरा सन्नाटा, हर गेट पर पुलिस तैनात, श्रद्धालुओं ने मानी बाबा की ये बात
मेडिकल की माइक्रोबायोलॉजी लैब के प्रभारी डॉ. अमित गर्ग ने बताया कि इलाज और देखभाल से यह ठीक हो जाता है। इस बीमारी का पता शुरू में नहीं लग पाता। इस कारण यह जानलेवा हो जाती है। मेडिकल में इसका इलाज निशुल्क किया जा रहा है।
इन कारणों से होती है ये बीमारी
दूषित सिरिंज का उपयोग करना
दूषित रेजर या टूथब्रश का इस्तेमाल
दूषित रक्तदान, अंगदान या लंबे समय तक डायलिसिस द्वारा
दूषित सुईं से टैटू बनवाना या एक्यूपंचर करवाना
असुरक्षित यौन संबंध
सतर्क रहें तो नहीं है खतरा
मेडिकल के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि कोई भी ऐसा कार्य या गतिविधि जिसमें खून से खून का संपर्क होने की संभावना है, संक्रमण का संभावित स्रोत हो सकता है। अगर सावधानी बरतें, तो इन बीमारियों से बचे रह सकते हैं।