T20 World Cup 2007: लालचंद राजपूत की कोचिंग में टीम इंडिया चैंपियन बनी थी.
नई दिल्ली. लालचंद राजपूत (Lalchand Rajput) 2007 में टीम इंडिया के कोच थे. साउथ अफ्रीका में खेले गए टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup 2007) में भारतीय टीम ने इतिहास रचते हुए खिताब जीता था. यह वर्ल्ड कप का पहला सीजन था. एक बार फिर वर्ल्ड कप की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. अगले महीने से ऑस्ट्रेलिया में टूर्नामेंट का 8वां सीजन शुरू हो रहा है. आज ही के दिन 24 सितंबर 2007 को भारतीय टीम वर्ल्ड चैंपियन बनी थी. इस मौके पर बात करते हुए टीम इंडिया के पूर्व कोच ने कहा कि यह दिन मेरे यादगार दिनों में से एक है. उन्होंने बॉलआउट को लेकर बनाई गई रणनीति का खुलासा किया. मालूम हो कि एमएस धोनी की अगुआई में भारतीय टीम ने फाइनल में चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को मात दी थी.
News18 Hindi के विजय प्रभात के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में लालचंद राजपूत ने कहा, ‘यह मेरी जिंदगी का सबसे अहम दिन है. पहली बार मैं भारतीय टीम का कोच बना और हमने खिताब भी जीता. किसी ने इसके बारे में नहीं सोचा था. एक यंग टीम ने इतिहास रचा था.’ उन्होंने कहा कि हर टीम के साथ चैलेंज होता है. सीनियर हो या जूनियर खिलाड़ी. हमारा पहला लक्ष्य सभी खिलाड़ियों को एकजुट करना था. सीनियर्स खिलाड़ियों के नहीं रहने से काम आसान हो गया.
खोने के लिए कुछ नहीं था
उन्होंने कहा कि यंग टीम के पास कुछ भी खोने के लिए नहीं था. हमने सिर्फ एक ही टी20 मैच खेला था वर्ल्ड कप से पहले. यह भी आश्चर्य की बात है कि पूरी टीम वर्ल्ड कप खेलने साथ में नहीं गई थी. कुछ लोग इंग्लैंड से सीधे आए थे. हम सभी एक बस में एकत्रित हुए थे. मालूम हो कि वर्ल्ड कप के पहले ही मैच में टीम को पाकिस्तान के खिलाफ बॉलआउट खेलना पड़ा. मैच टाई हो गया था. यह नियम उस समय नया आया था. इस पर लालचंद राजपूत ने कहा कि कोच का काम होता है नियमों को पढ़ने का.
3 ग्रुप बनाए थे उन्होंने कहा कि हमने पहले से प्रैक्टिस की थी. 5-5 खिलाड़ियों की 3 टीम बनाकर प्रैक्टिस करते थे. स्लो बॉलर अच्छा करते थे. रॉबिन उथप्पा, हरभजन सिंह और वीरेंद्र सहवाग सबसे अच्छा करते थे. स्लोअर को आसानी होती है. इस कारण हम पाकिस्तान के खिलाफ जीतने में सफल रहे. तेज गेंदबाज को रनरअप छोटा करना पड़ा है. ऐसे में उसकी लय बिगड़ जाती है.
युवी के छक्के और लगा अब वर्ल्ड कप दूर नहीं
लालचंद राजपूत ने कहा कि युवराज सिंह का 6 गेंद पर 6 छक्के लगाना मेरे लिए खास रहा. यह आसान नहीं होता. उसे उकसाया गया था. एक खिलाड़ी एक रेंज में शॉट मारता है, लेकिन उन्होंने सभी दिशा में छक्के लगाए थे. इसने पूरी टीम को उत्साह से भर दिया था और लगा कि हम टी20 वर्ल्ड कप जीत सकते हैं. एमएस धोनी के बतौर कप्तान डेब्यू करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पूरी टीम का एक ही मकसद था, टेंशन नहीं लेना है. लेकिन ग्राउंड में पूरी मेहनत करते थे. हार-जीत के बारे में नहीं सोचते थे. धोनी पूरे खिलाड़ियों को साथ में लेकर चलते थे और उन पर विश्वास जताते थे. इस कारण खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ जाता है.
जोगिंदर शर्मा को पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में अंतिम ओवर देने के सवाल पर कोच ने कहा कि घरेलू क्रिकेट में उन्हें सभी ने देखा था. डेथ ओवर्स में वह अच्छा करता है. धोनी ने उन्हें गेंदबाजी का निर्णय लिया. जोगिंदर को लेकर अधिक लोग नहीं जानते थे, लेकिन कप्तान का आत्मविश्वास था कि वे ऐसा कर सकते हैं और अंत में हम जीत दर्ज करने में सफल रहे.