500 करोड़ का खर्च… मई तक पूरा होगा प्रॉसेस, बिहार में आज से शुरू हो रही जातीय जनगणना की 5 बड़ी बातें

Bihar News : बिहार में हो रही जातीय जनगणना का पूरा खर्च राज्य सरकार खुद उठाएगी। अनुमान के मुताबिक इसमें 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। राज्य सरकार ने इसके लिए अपने आकस्मिक कोष से 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। जानिए जातिगत जनगणना से जुड़े बड़े अपडेट्स।

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पटना: बिहार में आज से जातीय जनगणना (Bihar Caste Census) की प्रक्रिया शुरू हो रही है। इसको लेकर सरकार और प्रशासन की ओर से खास तैयारी की गई है। जातीय जनगणना शुरू होने से एक दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इस पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि ये समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए मददगार साबित होगा। जाति आधारित जनगणना देशभर में होती तो ठीक था। हमलोगों ने इसका प्रयास भी किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित जनगणना सही ढंग से हो इसे लेकर कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी गई है। सभी कर्मचारी एक-एक घर में जाकर एक-एक चीज की जानकारी लेंगे। कई बार लोग जाति की जगह अपनी उप जाति बता देते हैं ऐसी स्थिति में उसके बगल में रहने वाले व्यक्ति से जाति के संबंध में जानकारी ली जाएगी। आखिर जातीय जनगणना में कितना खर्च आएगा, ये कब तक में पूरी होगी, बताते हैं आगे।

मई 2023 तक पूरी होगी पूरी प्रक्रिया

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बिहार में जाति आधारित गणना की कवायद आज से यानी 7 जनवरी शुरू हो रही है। सरकार दो फेज में इस कवायद को अंजाम देगी। पहला चरण 21 जनवरी तक पूरा हो जाएगा, जिसमें राज्य के सभी घरों की संख्या गिनी जाएगी। दूसरे फेज यानी मार्च से सभी जातियों, उप-जातियों और धर्मों के लोगों से संबंधित आंकड़ा जुटाया जाएगा। यह पूरी कवायद मई, 2023 तक पूरी हो जाएगी। पहले यह कवायद फरवरी 2023 तक पूरी की जानी थी।

जातीय जनगणना के पूरे प्रॉसेस में खर्च होंगे 500 करोड़

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बिहार में हो रही जातीय जनगणना का पूरा खर्च राज्य सरकार खुद उठाएगी। अनुमान के मुताबिक इसमें 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। राज्य सरकार ने इसके लिए अपने आकस्मिक कोष से 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। सर्वे के लिए सामान्य प्रशासन डिपार्टमेंट को नोडल विभाग बनाया गया है।

ऐप के माध्यम से जुटाए जाएंगे आंकड़े

पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि सर्वे में पंचायत से जिला स्तर तक आंकड़ों को जुटाया जाएगा। इसे एक मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए डिजिटल रूप से एकत्र किया जाएगा। ऐप में जगह, जाति, परिवार में लोगों की संख्या, उनके पेशे और सालाना आय के बारे में सवाल होंगे। जनगणना कर्मियों में शिक्षक, आंगनवाड़ी, मनरेगा या जीविका कार्यकर्ता शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह कवायद पटना जिले के कुल 12,696 प्रखंडों में की जाएगी।

हर जाति की आर्थिक स्थिति का भी लगाया जाएगा पता

मुख्यमंत्री ने जातीय जनगणना को लेकर कहा कि ये सर्वेक्षण न केवल राज्य की वर्तमान जनसंख्या की गणना करेगा बल्कि हर जाति की आर्थिक स्थिति का भी पता लगाएगा। इससे हमें यह जानने में मदद मिलेगी कि वंचित वर्गों के उत्थान के लिए क्या किया जाना चाहिए। हम सबका विकास चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में लगे कर्मचारियों को इस उद्देश्य के लिए ठीक से प्रशिक्षित किया गया है। सीएम ने कहा कि यह कवायद न केवल देश के विकास के लिए फायदेमंद साबित होगी बल्कि समाज के हर वर्ग का उत्थान करेगी।

इसलिए नीतीश सरकार करवा रही जातीय जनगणना

नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र की ओर से जाति आधारित जनगणना की मांग को खारिज करने के बाद राज्य सरकार को अपने दम पर इसे करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बिहार विधानसभा ने जाति जनगणना के लिए पहले भी दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। केंद्र से इस पर विचार करने का अनुरोध किया था। पिछले साल अगस्त में, नीतीश की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने मांग पर गौर करने के अनुरोध के साथ पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। हालांकि, इससे कोई फायदा नहीं हुआ।