बच्‍चे को इस तरह समझाएं अपने दिल की बात, ना बिगड़ेगा ना ही दुखेगा उसका मन

पैरेंट्स अक्‍सर अपने दिल की बात बच्‍चों से छिपाते हैं और इसका बुरा असर सीधा उनके बच्‍चे के साथ रिलेशन पर पड़ता है। माता-पिता को अपने मन की बात बच्‍चों से खुलकर करनी चाहिए क्‍योंकि इससे बच्‍चे को भी अपनी जिंदगी में काफी कुछ सीखने को मिलता है।
how to share your feelings with your kids without overwhelming them
बच्‍चे को इस तरह समझाएं अपने दिल की बात, ना बिगड़ेगा ना ही दुखेगा उसका मन
एक पैरेंट के रूप में आप अपने बच्‍चे की परवरिश को लेकर काफी उत्‍साहित रहते हैं और सब कुछ बेस्‍ट करना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर आप खुद बहुत कुछ सीखने के चरण में होते हैं।

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पैरेंटिंग सिर्फ बच्चों के इर्द-गिर्द बॉस बनकर घूमना और उन्हें क्‍या करना है और क्या नहीं करना है, यह बताने को लेकर नहीं है। इसके एक बड़े हिस्से में उन्हें यह समझाना भी शामिल है कि कोई चीज सही क्यों है और गलत क्यों है।जब हम बच्‍चों की परवरिश को लेकर चुनौतियों के बारे में बात करते हैं, तो एक महत्वपूर्ण विषय भावनाओं की अभिव्यक्ति का भी उठता है। दो व्यक्तियों के बीच भावनाओं के स्वस्थ आदान-प्रदान को कैसे आसान बनाया जाए, जो अपने-अपने क्षेत्र में नए हैं और अपनी बुद्धि और समझदारी में जेनरेशन से अलग हैं?टाइम्‍स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक आर्टिकल में डॉ जैजमिन, जिनका इंस्टाग्राम अकाउंट theompsychologist नाम से जाना जाता है, इस मामले पर अपनी राय दी है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए, डॉ जैजमिन इस बारे में बात करती हैं कि कैसे अपने बच्चों के साथ अपनी भावनाओं को सर्वश्रेष्ठ तरीके से शेयर करना चाहिए और किस तरह इस सबमें उन्‍हें इमोशनल मैनिपुलेट करने से बचा जा सकता है।

​दोष ना दें

मनोवैज्ञानिक ने पहला प्‍वाइंट बताया है कि आप कैसा महसूस करते हैं, इसके लिए अपने बच्चे/बच्चों को दोष न दें।

एक यूजर्स ने सवाल पूछा था कि मैं क्या करूं यदि उनके व्यवहार के कारण मेरी भावनाएं उत्‍पन्‍न होती हैं तो?, डॉ जैजमिन जवाब देते हैं, “यह आमतौर पर निराशा से उपजा है कि आप एक ही पृष्ठ पर नहीं हैं। आप क्या चाहते हैं और आपका बच्चा क्या चाहता है, दो अलग पहलू हो सकते हैं और यह हमें बुरा महसूस करने के लिए प्रेरित कर सकता है। आप अपने आप को और अपने बच्‍चे को एक टीम समझने की कोशिश करें।

​आपकी देखभाल नहीं करनी है

बच्‍चे पर अपनी देखभाल करने की जिम्मेदारी का अधिक बोझ न डालें। साथ ही, उनसे यह अपेक्षा न करें कि वे केवल आपकी देखभाल करेंगे क्योंकि आप उनकी देखभाल कर रहे हैं।

उन पर किसी ऐसी चीज का बोझ डालना, जिसके बारे में उन्हें पता न हो, आपके और आपके बच्चों के बीच कम्‍यूनिकेशन की खाई पैदा कर सकता है।

​बहाने ना बनाएं

जब आप परेशान थे तब आपने जो किया उसके लिए आप कोई बहाना नहीं बना रहे हैं। इस तथ्य को स्वीकार करें कि आप अपने बच्चों के साथ जितने पारदर्शी होंगे, उनके साथ आपका रिश्ता उतना ही बेहतर होगा और यह आपके बच्चों को पढ़ाने का बेहतर तरीका है। परेशानी में कहे गए अपने शब्‍दों या बातों के लिए बहाना न बनाएं।

​हेल्‍दी तरीका नहीं दिखा रहे हैं

आप उन्हें भावनाओं से निपटने का हेल्‍दी तरीका नहीं सिखा रहे हैं। यदि आप दुखी हैं और अनहेल्‍दी चीजों में खुद को शामिल कर रहे हैं तो आपको इसे अभी बंद करने की जरूरत है। अपने बच्चों को सही तरीके से भावनाओं का सामना करना सिखाएं।

​उनके व्यवहार को बदलना चाहते हैंआप अपनी भावनाओं को इसलिए शेयर नहीं कर रहे हैं क्योंकि आप उनके व्यवहार या विकल्पों को बदलना चाहते हैं। अपनी भावनाओं को हथियार के रूप में इस्तेमाल न करें।अपने बच्चे के साथ समझ स्थापित करने के लिए इसे वास्तव में एक विधि के रूप में उपयोग करें। उन्हें अच्‍छे कम्‍यूनिकेशन या बातचीत के लिए तरसाएं नहीं।