खुद को भगवान कहने वाला धर्मगुरु नित्यानंद बलात्कार, और अपहरण का आरोपी है. साल 2019 में वो भारत से भाग गया था. कथित तौर पर उसने त्रिनिदाद के पास कैलासा नाम का एक नया देश बसाया है, और अब भक्तों से कैलासा आने के लिए वीजा अप्लाइ करने की गुहार लगा रहा है. ऐसे में जानना सामयिक रहेगा कि ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ का रहस्य आखिरकार क्या है, और इसको लेकर किए जा रहे दावे कितने सच हैं?
कहां बसा है भगोड़े नित्यानंद का तथाकथित देश ‘कैलासा’?
दक्षिण अमेरिका में त्रिनिदाद और टोबैगो, इक्वाडोर समेत कई ऐसे द्वीपीय देश हैं, जहां कोई भी निजी तौर पर द्वीप खरीद सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नित्यानंद ने इन्हीं के आसपास कोई छोटा सा प्राइवेट द्वीप खरीदा है, और उसका नाम कैलासा रखा है. हालांकि, किसी के पास सटीक जानकारी नहीं है कि यह काल्पनिक देश कहां है. हां, उसके अनुयायियों की सोशल मीडिया पर मौजूदगी जरूर है. जहां वे लगातार कुछ न कुछ अपडेट करते रहते हैं.
कैलासा की वेबसाइट के मुताबिक नित्यानंद ने अपने कथित देश में कैबिनेट का भी गठन कर लिया है, जिसके तहत हेल्थ, शिक्षा, टेक, हाउसिंग जैसे विभाग आते हैं. नित्यानंद ने कैलासा का झंडा भी जारी किया था, जिसमें नित्यानंद ने खुद अपनी तस्वीर लगाई और खुद को परमशिव बताया. इस झंडे को उसने ऋषभध्वज नाम दिया है.
‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ आखिरकार क्या है?
नित्यानंद का तथाकथित देश ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ फिलहाल सुर्खियों में है. हाल ही में इसके प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में हिस्सा लिया, और सबको हैरान कर दिया. इससे पहले इसकी वेबसाइट पर दावा किया गया कि ‘कैलासा’ एक आंदोलन है. इसकी स्थापना अमेरिका, कनाडा, जैसे दूसरे देशों के हिंदू धर्म के शैव अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा की गई है. यह सभी हिंदुओं को एक सुरक्षित पनाह देने का दावा करता है.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘कैलासा’ को मान्यता क्यों नहीं दी है?
बहरहाल संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘कैलासा’ को मान्यता नहीं दिया है. नित्यानंद के मुताबिक उसके कैलासा में सताए गए हिंदुओं सुरक्षित रह सकते हैं. वो अपने देश का झंडा, संविधान, आर्थिक प्रणाली, पासपोर्ट और प्रतीक होने का भी दावा करता है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘कैलासा’ को कोई मान्यता नहीं दी है. दरअसल, एक देश कहलाने के लिए इसमें एक स्थायी आबादी, एक सरकार, और अन्य देशों के साथ संबंध रखने की क्षमता होनी चाहिए.
बता दें, अगर किसी क्षेत्र ने देश का दर्जा हासिल नहीं किया है, तो उसे माइक्रो नेशन कहा जा सकता है. ये ऐसी स्व-घोषित संस्थाएं हैं, जो स्वतंत्र संप्रभु राज्य होने का दावा करती हैं. नित्यानंद का कैलासा इसी श्रेणी में रखा जा सकता है. याद हो तो 1980 के दशक में भारत के आध्यात्मिक गुरु रजनीश ने भी ओरेगॉन में अपने निजी ‘रजनीशपुरम’ की घोषणा की थी, जिसकी अपनी पुलिस, दमकल विभाग और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम था.
रेप का आरोपी भगोड़े धर्मगुरु नित्यानंद कौन है?
रेप के आरोपी भगोड़े नित्यानंद का असली नाम ए राजशेखरन है. बताया जाता है कि नित्यानंद पढ़ा-लिखा है. योग, तंत्र, वेदांत, और शैव दर्शन का अध्ययन कर वो धर्मगुरू बना. 2000 में उसने कर्नाटक के बिदादी में नित्यानंद ध्यानपीठम की स्थापना की, और लोगों को जोड़ना शुरू किया. आगे 2003 में उसने अमेरिका के लॉस एंजिलिस में लाइफ ब्लिस फाउंडेशन की स्थापना की. और योग, मेडिटेशन जैसे कई तरह के प्रोग्राम चलाने शुरू किए.
उसने अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए मंदिर, आश्रम और गुरुकुल भी बनवाए. वो साल 2010 था, जब वो पहली बार विवादों में आया. उसका एक विवादित वीडियो सामने आया, जिसमें वो आपत्तिजनक स्थिति में दिखा. इस घटना के दो साल बाद 2012 में उस पर दुष्कर्म का आरोप लगा. पांच दिन तक फरार रहने के बाद नित्यानंद ने आत्मसमर्पण कर दिया था. बाद में कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वो देश छोड़कर भागा, और भगोड़ा घोषित हुआ.