श्रद्धा वालकर हत्याकांड (Shraddha Murder Case) इस वक्त पूरे देश में चर्चा का विषय है. दिल्ली पुलिस आरोपी के खिलाफ सबूत जुटा रही है. इसी क्रम में अब नार्को टेस्ट की मांग की जा रही है. दिल्ली पुलिस ने साकेत कोर्ट से आफताब का नार्को टेस्ट कराने की इजाजत मांगी. फिलहाल कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया है. लेकिन इससे पहले कोर्ट कई मामलों में नार्को टेस्ट हो चुका है. दावा है कि इससे अपराध की गुत्थी सुलझाने में मदद मिलती है. ऐसे में जानना सामयिक रहेगा कि Narco Test क्या होता है, और किन-किन मामलों में इसका इस्तेमाल हुआ?
क्या होता है Narco Test?
नार्को टेस्ट से किसी अपराधी, या संदिग्ध आदमी से सच निकलवाने की कोशिश की जाती है. नार्को शब्द नार्क से लिया गया है, जिसका मतलब है नार्कोटिक. हॉर्सले नाम के व्यक्ति ने पहली बार नार्को शब्द का प्रयोग किया था. नार्को टेस्ट करने के लिए व्यक्ति को ट्रुथ ड्रग नाम से आने वाली एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है. कई मामलों में संदिग्ध को सोडियम पेंटोथोल का इंजेक्शन भी लगाया जाता है.
खून में ये दवा पहुंचते ही व्यक्ति अर्धचेतना में पहुंच जाता है. उस व्यक्ति से अधचेतन अवस्था में टीम अपना जवाब निकलवाती है. नार्को टेस्ट फॉरेंसिक एक्सपर्ट, जांच अधिकारी, डॉक्टर और साइकोलॉजिस्ट की टीम एकसाथ मिलकर करती है. इस दौरान सुस्त अवस्था में सोच रहे व्यक्ति से सवाल-जवाब किया जाता है. टेस्ट के दौरान व्यक्ति में तर्क क्षमता काफी कम होती है, ऐसे में उससे सच उगलवाने की संभावना बढ़ जाती है.
Narco Test में क्या-क्या होता है?
1- टेस्ट करने से पहले आदमी का फिजिकल एग्जाम होता है. इसमें चेक किया जाता है कि आदमी किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित तो नहीं है. ये टेस्ट बुजुर्ग, दिमागी कमजोर, नाबालिग या गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर एप्लाई नहीं किया जाता है.
2- क्राइम के मामलों में अगर झूठी कहानी होती है तो कई और झूठ बोलने पड़ते हैं, ज्यादा झूठ बोलने में व्यक्ति को ज्यादा दिमाग लगाना पड़ता है. लेकिन जब दिमाग शिथिल होता है या कम काम करने वाली स्थिति में आ जाता है तो उससे सच निकलवाना आसान होता है. लोग अर्धमूर्छा में बातों को घुमा-फिरा नहीं पाते हैं. ऐसे में फॉरेंसिक और मनोवैज्ञानिकों की टीम झूठ पकड़ लेती है.
3- आदमी की सेहत, उम्र और जेंडर के आधार नार्को टेस्ट की दवाइयां दी जाती है. कई बार दवाई के अधिक डोज देने पर यह टेस्ट फेल भी हो जाता है. इससे व्यक्ति अधिक बेहोशी की स्थिति में भी चला जाता है, जिससे वो जवाब नही दे पाता. इसलिए एक्सपर्ट इस टेस्ट को करने से पहले जरुरी सावधानियां बरतते हैं.
4- संदिग्ध आदमी को पहले आसपास की सामान्य चीजें जैसे उसका मोबाइल लैपटॉप, उसका घर, परिचित चेहरे, फल-फूल दिखाए जाते हैं. इसके बाद उसे उस केस से जुड़ी तस्वीर दिखाई जाती है फिर व्यक्ति की बॉडी को रिएक्शन चेक किया जाता है. ऐसी अवस्था में अगर दिमाग और शरीर कुछ अलग प्रतिक्रिया देता है तो इससे पता चल जाता है कि आदमी उस घटना या केस से जुड़ी जानकारी जनता है.
Narco Test कानूनी रूप से कितना सही?
नार्को टेस्ट के लिए कोर्ट से अनुमति जरूरी है. 2010 में KG बालाकृष्णन की तीन जजों की पीठ ने कहा था जिस व्यक्ति का नार्को टेस्ट होगा उसकी सहमति जरूरी है. मई 2010 को दिए एक निर्णय में भारत के उच्च न्यायालय ने बिना सहमति के कराये गये नार्को, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ परीक्षणों को अवैधानिक या अवैध करार दिया था. न्यायालय ने व्याख्या दी थी कि ऐसा करना व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है.
दुनिया के विकसित देशों अमेरिका, या ब्रिटेन में अब नार्को टेस्ट बहुत कम कर दिया गया है. वहीं, भारत में इस टेस्ट की मांग तेजी से बढ़ी है.भारत के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान नेशनल इंस्टिटयूट ऑफ मेण्टल हेल्थ एण्ड न्यूरो साइंसेस (निम्हैन्स) ने ब्रेन मैपिंग आदि परीक्षणों के बरे में कहा है कि ये परीक्षण अवैज्ञानिक हैं, और जांच के रूप में प्रयोग करने पर तत्काल रोक भी लगानी चाहिए.
नार्को परीक्षण के अलावा सच उगलवाने के लिए पॉलीग्राफ, लाईडिटेक्टर टेस्ट और ब्रेन मैपिंग टेस्ट भी किया जाता है. श्रद्धा हत्याकांज में भी नार्को टेस्ट से कई अहम राज खुलने की उम्मीद है.
किन-किन मामलों में हुआ Narco Test?
कुर्ला हत्याकांड: 2010 में महाराष्ट्र के कुर्ला में एक 9 वर्षीय बच्ची को दुष्कर्म के बाद मार दिया गया था. जिसके बाद पुलिस ने आरोपी मो. अजमेरी शेख का नार्को टेस्ट कराया था.
आरुषि मर्डर केस: 2008 में यूपी के नोएडा में हुए इस केस में पुलिस ने आरुषि तलवार के पिता राजेश तलवार के सहायक कृष्णा का नार्को टेस्ट कराया था.
गोधरा कांड केस: 2002 में इस केस में आरोपियों, अब्दुल रज्जाक अब्दुल रहीम धंतिया, बिलाल हाजी इस्माइल सुजेला, कासिम अब्दुल सत्तार, अनवर मोहम्मद और इरफान सिराज पर नार्को टेस्ट किया गया था.
हैदराबाद बम धमाके: 2007 में हैदराबाद में हुए दो बम धमाकों के आरोपियों अब्दुल कलीम और इमरान खान का भी नार्को टेस्ट करने की इजाजत कोर्ट से मिल गई थी. इन धमाकों में 42 लोगों की मौत हुई थी.