‘ज्ञानवापी’ मामले में कथित शिवलिंग को लेकर कार्बन डेटिंग की मांग हो रही है. वहीं कुछ लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं. क्योंकि उनका मानना है कि कार्बन डेटिंग करने से आकृति खंडित हो सकती है. अब आपके मन में भी सवाल आ रहा होगा कि आखिर ये कार्बन डेटिंग है क्या और यह किसी तरह से काम करती है
The Siasat Daily
कार्बन डेटिंग (Carbon Dating)क्या है?
जिस तरह से मनुष्य की आयु का अंदाजा उसकी जन्मतिथि से लगाया जाता है. ठीक वैसे ही पुरानी मूर्तियों या वस्तुओं की उम्र का पता कार्बन डेटिंग के जरिए लगाया जाता है. हालांकि, यह विधि केवल 50 हजार साल से कम उम्र की चट्टानों पर ही एप्लाई की जा सकती है. कार्बन डेटिंग केवल उन वस्तुओं पर ही अप्लाई हो सकती है जो कभी वातावरण में जीवित थे या कार्बन डाइऑक्साइड लेते रहे हैं.
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कार्बन डेटिंग कैसे काम करती है?
वातावरण में कार्बन के तीन आइसोटोप पाए जाते हैं. कार्बन 12, कार्बन 13 और कार्बन 14. लेकिन कार्बन डेटिंग के लिए कार्बन 14 की जरूरत पड़ती है. इसमें कार्बन 12 और कार्बन 14 के बीच का रेस्यो निकाला जाता है. बता दें कि कार्बन 14 कार्बन का रेडियोधर्मी आइसोटोप है जिसका अर्धआयुकाल 5730 साल से ज्यादा का है. हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि रेडियो कार्बन का जितना जल्दी क्षय होता है उतनी ही तेजी से निर्माण भी होता है. इसलिए बैलेंसिंग पोजीशन पाना काफी मुश्किल होता है. यही कारण है कि यह विधि हमेशा से विवादों में रही है.
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कब और कैसे हुई कार्बन डेटिंग की खोज?
कार्बन डेटिंग को रेडियो कार्बन डेटिंग भी कहा जाता है. इस टेक्नोलॉजी की खोज शिकागो यूनिवर्सिटी के विलियर्ड लिबी ने साल 1949 में की थी. उन्होंने सबसे पहले इस विधि के जरिए एक लड़की की उम्र का पता लगाया था. साल 1960 को लिबी को उनकी उपलब्धि के लिए नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था.
Shivling or fountain in Gyanvapi Mosque? /Zoom News
किन वस्तुओं पर की जा सकती है कार्बन डेटिंग?
लकड़ी, चारकोल, बीज, बीजाणु, मिट्टी, हड्डी, चमड़ा, बाल, सींग, फर, शैल, कोरल, चिटिन, कार्बनिक अवशेष वाले बर्तन, दीवार चित्रकारी, पेपर, पार्चमेंट, फल, कीड़े जैसे कार्बनिक पदार्थों पर कार्बन डेटिंग की जा सकती है. इसके जरिए एक अनुमानित उम्र का पता लगाया जा सकता है.
कुछ लोग मानते हैं कि पत्थर, चट्टानों और धातुओं की कार्बन डेटिंग नहीं की जा सकती है. लेकिन अगर उनमें कार्बनिक अवशेष मिलते हैं तो उनकी अनुमानित उम्र का पता लगाया जा सकता है. बता दें, ज्ञानवापी से पहले राम जन्मभूमि मामले में भी कार्बन डेटिंग को लेकर सुनवाई हुई थी. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने रामलाल की मूर्ति को छोड़कर दूसरी सभी वस्तुओं पर कार्बन डेटिंग की अनुमति दी थी.