कपड़े, इंसानी सभ्यता का अहम हिस्सा रहे हैं. जब पूर्वजों को थोड़ा सा ज्ञान हुआ तब उन्होंने पत्तों, पेड़ों की छाल, जानवर के चमड़े से अपना शरीर ढकना शुरू किया. आज कपड़े या टेक्सटाइल हमारी अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. बीतते वक्त के साथ टेक्सटाइल इंडस्ट्री में भी तेज़ी से बदलाव हुए हैं. अब टेक्सटाइल इंडस्ट्री सिर्फ़ फ़ैब्रिक तक सीमित नहीं रही बल्कि इसमें तकनीक भी जुड़ चुका है. इस तकनीक की बदौलत स्पोर्ट्स, डिफ़ेंस और मेडिकल फ़ील्ड में लोगों को मदद मिल रही है. ऐसे में जानना सामयिक रहेगा कि E-Textile तकनीक क्या है?
E-Textile तकनीक क्या है?
ई-टेक्सटाइल ऐसे फ़ैब्रिक्स हैं जो दिखते तो टेक्सटाइल जैसे हैं, लेकिन उनका काम इलेक्ट्रिकल है. ये एक विशेष फ़ैब्रिक है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल कंपोनेंट्स होते हैं. ये कंपोनेंट्स इलेक्ट्रिक वायर, फ़ोटोवोल्टाइक सेल्स, मोनोफ़िलामेंट भी हो सकते हैं. ये कंपोनेंट्स और इंटरकनेक्शन्स फ़ैब्रिक का ही हिस्सा होते हैं, इसलिए ये विज़िबल नहीं होते और न ही आपस में उलझते हैं. ई-टेक्सटाइल के ज़रिए सेंसिंग, कम्युनिकेशन, पावर ट्रांसमिशन किया जा सकता है. Nottingham Trent University के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा फ़ैब्रिक बनाया है जिसके ज़रिए फ़ोन चार्ज किया जा सकता है.
E-Textile का इतिहास क्या है?
Sme Book के अनुसार, ई-टेक्सटाइल तकनीक की शुरुआत 19वीं सदी के आखिर में हुई. कुछ डिज़ाइनर्स और इंजीनियर्स ने इलेक्ट्रिसिटी और कपड़े को जोड़ने की कोशिश की. 1968 में न्यूयॉर्क सिटी में म्यूज़ियम ऑफ कंटेम्पररी क्राफ़्ट ने ‘बॉडी कवरिंग’ एक्ज़ीबिशन रखा. इस शो में एस्ट्रोनॉट्स के स्पेस सूट दिखाए गए. इसके साथ ही ऐसे कपड़े दिखाए गए जिनमें हवा भरी जा सकती थी, जिनसे हवा निकाली जा सकती थी, ऐसे कपड़े जो खुद को गर्म-ठंडा कर सकते थे. इस एक्ज़िबिशन में डायना ड्यू नामक डिज़ाइनर ने इलेक्ट्रोलुमिनिसेंट पार्टी ड्रेसेज़, अलार्म साइरन वाले बेल्ट दिखाए.
MIT शोधार्थियों ने बनाया ‘वेयरेबल कंप्यूटर’
1990 के मध्य में MIT (मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) के शोधार्थियों, स्टीव मैन, थैड स्टार्नर और सैन्ड पेंटलैंड ने ऐसे कंप्यूटर बनाने की कोशिश की जिन्हें इंसान पहन सकेंगे. शोधार्थियों ने इसे ‘वेयरेबल कंप्यूटर’ नाम दिया. इस डिवाइस में इंसान के शरीर पर हार्डवेयर लगाया जाता था. इसी इंस्टीट्यूट के ही एक दूसरे शोधार्थियों, मैगी ऑर्थ, रेमी पोस्ट ने ऐसे डिवाइस बनाने की कोशिश की जिन्हें आसानी से पहना जा सकेगा. MIT Media Lab के Leah Buechley ने वेयरेबल Lilypad Arduino बनाया.
1998 में फ़ैशन और टेक्नोलॉजी का अद्भुत मेल देखने को मिला. Philips ने Levis के साथ मिलकर जैकेट्स की रेंज निकाली. Shellzine के अनुसार 2004 में Nike ने एक ऐसी स्पोर्ट्स ब्रा लॉन्च की जिसके ज़रिए हार्ट रेट भी मॉनिटर किया जा सकता था. इसके बाद कई कंपनियों ने ऐसी स्पोर्ट्स ब्रा (Adidas, NuMetrex), कपड़े आदि लॉन्च किए.
E-Textile फ़ायदेमंद क्यों है?
ई-टेक्सटाइल के कई फ़ायदे हैं. ये फ़्लेक्सिबल होता है और दूसरों को नज़र नहीं आता कि आपने कोई खास फ़ैब्रिक पहनी है. ई-टेक्सटाइल थर्मल और इलेक्ट्रिकल रेज़िसटेंट होते हैं. इसका यूज़ आज लगभग हर क्षेत्र में हो रहा है. मेडिकल क्षेत्र में इसके बहुत फायदे हैं क्योंकि इसके ज़रिए किसी मरीज़ का हार्ट रेट, रेस्पिरेशन रेट, शरीर का तापमान आदि पता किया जा सकता है. ई-टेक्सटाइल का इस्तेमाल रक्षा क्षेत्र में भी हो रहा है. सैनिक और जवानों के पोज़िशन्स का इससे पता लगाया जा सकता है. स्पोर्ट्स ट्रेनिंग के दौरान खिलाड़ियों के वाइटल्स का डेटा भी ई-टेक्सटाइल के ज़रिए पता किया जा सकता है.
प्रोडक्ट्स के ज़रिए E-Textile को समझते हैं
1. Heated Apparel
कंज़्यूमर्स मार्केट में इसकी काफ़ी डिमांड है. Heated Gloves ई-टेक्सटाइल का ही उदाहरण हैं और इनकी कीमत ज़्यादा नहीं होती. ऐसे ग्लव्स में कंडक्टिव फ़ाइबर्स होते हैं जिन्हें एक वॉर्म फ़ैब्रिक में बुना जाता है. कंडक्टिव फ़ाइबर्स पहनने वाले के हाथों को गर्म रखता है. ये आम ग्लव्स से ज़्यादा कारगर हैं. कुछ Heated Apparel ऐप्स द्वारा भी कंट्रोल किए जा सकते हैं.
2. Integrated Heart Rate Monitor Shirt
कई खिलाड़ी ऐसे खास शर्ट्स पहनते हैं जिनमें इन्टीग्रेटेड सेन्सर्स लगे होते हैं, ये खिलाड़ी के वाइटल साइन्स को मॉनिटर करता है. पहले के मुकाबले अब ये खास शर्ट्स ज़्यादा आसानी से खरीदे जा सकते हैं. नॉन-एथलिट्स भी इस तरह के शर्ट पहनकर अपनी सेहत का ध्यान रखते हैं.
3. Patient Gowns
अस्पताल में भर्ती मरीज़ों के गाउन्स भी पहले से बेहतर हो गए हैं. कुछ अस्पताल अपने मरीज़ों को ई-गाउन देते हैं जिससे डॉक्टर्स को उनके वाइटल साइन्स मॉनिटर करने में सहुलियत होती है. ई-टेक्सटाइल अस्पताल के बाहर के मरीज़ों को भी मॉनिटर करने में कारगर साबित हुए हैं.
4. Pulse Oximeter
कोविड के बाद से ही ऑक्सिमीटर्स की एहमियत कई गुना बढ़ गई है. अब ये घर-घर में मौजूद है. ऐपल इस तकनीक को एक कदम आगे ले गया. ऐपल वॉच में भी अब ऐसी तकनीक मौजूद है जिसके ज़रिए ब्ल्ड ऑक्सिजन मेज़र किया जा सकता है. अब बाज़ार में ऐसे रिस्टबैंड्स भी आ चुके हैं जिनमें ऑक्सिमीटर लगे होते हैं. ये बैंड्स यूज़र के स्मार्टफ़ोन को डेटा भेजते हैं.
फ़ायर फ़ाइटर्स भी ई-टेक्सटाइल का इस्तेमाल करते हैं. बाज़ार में कई तरह के ई-टेक्सटाइल्स उपलब्ध हैं.