Explained: Menstrual Hygiene क्या है, लड़कियों को इससे जुड़ी ये 9 आदतें क्यों फॉलो करनी चाहिए?

Indiatimes

पीरियड्स, मेंस, माहवारी, मासिक चक्र, मासिक धर्म, ‘उन दिनों’, ‘लेडीज़ वाला प्रॉबल्म’, ‘औरतों वाली बीमारी’, आदि. देश और दुनिया में Menstruation को कई नामों से जाना जाता हैं. कहीं ये एक साधारण प्रक्रिया है तो कहीं इसे ‘बीमारी’, ‘अछूत’ का दर्जा दिया गया है. बदलते वक्त के साथ इस प्राकृतिक प्रक्रिया के कई मायने बदले हैं.

Menstruation Cycle किसे कहते हैं?

menstruation iStock

मेंस्ट्रुएशन (Menstruation) या पीरियड्स (Periods) जीवन की क्रिया है. हर महीने महिलाओं का गर्भाशय इम्प्लांटेशन (Implantation) के लिए तैयारी करता है. जब फ़र्टिलाइज़ेशन (Fertilization) के बाद इम्प्लांटेशन नहीं होता तब यूट्रस की लाइनिंग टूटती है. इनर लाइनिंग टूटकर खून और टिश्यू के फ़ॉर्म में वैजाइना (Vagina) द्वारा बाहर निकलता है. मेंस्ट्रुअल साइकिल पीरियड के पहले दिन से शुरू होते है. आमतौर पर एक मेंस्ट्रुअल साइिकल 21-35 दिन तक का होता है. 10-12 साल की उम्र में ये प्रक्रिया शुरू हो जाती है, लेकिन इससे कम उम्र की लड़कियों को भी मेंस शुरू हो सकते हैं.

प्राकृतिक नहीं सामाजिक प्रक्रिया बन चुका है Menstruation

menstrual hygiene Unsplash

एक समय था जब लोग बड़े परिवारों में रहते थे. उस समय पीरियड्स से गुज़र रही महिलाओं को आराम देने के लिए अलग कमरे में रहने की जगह दी जाती थी. वक्त बीता और यही सिस्टम ‘अछूत’ बन गया. कई घरों में ये सिस्टम आज भी फ़ोलो होता है, लेकिन महिला को कमरा नहीं कोना दिया जाता है, कई ग्रामीण क्षेत्रों में तो उन्हें घर का बाथरूम तक इस्तेमाल करने नहीं दिया जाता.

बीतते वक्त के साथ, प्राकृतिक प्रक्रिया में धर्म, संस्कृति आदी भी बुरी तरह घुस चुके हैं. कुदरत के तोहफ़े को जहां कुछ समुदाय सेलिब्रेट करते हैं. वही कुछ घरों में इसे ‘गंदा’ भी कहा जाता है. मेंस में महिलाओं को कीचन में, घर के उन जगहों पर जहां अन्य लोगों की आवा-जाही है वहां बैठने या उधर से चलने-फिरने तक की इजाज़त नहीं होती. ऐसे में कई महिलाएं Menstrual Hygiene का ध्यान नहीं रखती.

Menstrual Hygiene क्यों ज़रूरी है?

menstrual hygiene East Mojo

मेंस्ट्रुअल हाइजीन का आसान शब्दों में अर्थ है,  मेंस्ट्रुएशन के दौरान साफ़-सफ़ाई रख पाने की आज़ादी. ये तभी संभव है जब महिलाओं को सैनिटरी प्रोडक्ट्स, साबुन-पानी और बाथरूम मिले. महिलाओं और लड़कियों को मेंस्ट्रुअल हाइजीन क्यों ज़रूरी है और मेस्ट्रुअल हाइजीन रूटीन कैसे बनानी है इसकी सही जानकारी हो.

सही तरीके से मेंस्ट्रुअल हाइजीन का ध्यान नहीं रखने से इंफ़ेक्शन का डर रहता है. महिलाओं को UTI (Urinary Tract Infection) और कई तरह की घातक बीमारियां हो सकती हैं. भले ही मेंस्ट्रुएशन के बारे में समाज की सोच दुनियाभर में अलग है लेकिन महिलाओं को साफ़-सफ़ाई रखना बहुत ज़रूरी है.

Menstrual Hygiene से जुड़े कुछ टिप्स

1. हर 4-6 से घंटे में पैड बदलना

Disposing Pads TamponsSparkle Blog

महिलाओं और लड़कियों को हर 4-6 घंटे में पैड बदलना चाहिए. फ़्लो ज़्यादा हो या कम पैड, टैम्पॉन बदलन लेना चाहिए. एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स के अनुसार पैड हर 4-6 घंटे में, टैम्पॉन 2-3 घंटे में बदलना चाहिए. अगर आप वजाइना के अंदर मेंस्ट्रअल कप घुसाने में सहज हैं जो इसका इस्तेमाल करें. ये पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है और आपके लिए भी. मेंस्ट्रुअल कप 6-7 घंटे में खाली कर लेना चाहिए. सैनिटरी प्रोडक्ट्स को रैप करके ही फेंके, यहां-वहां, टॉयलेट आदि जगहों पर न फेंके.

2. टॉयलेट जाने के बाद सही से सफ़ाई

menstrual hygiene Adobe Stock

स्टूल पास करने के बाद, एनस और वजाइना सफ़ाई अलग होनी चाहिए. यही रूल यूरीथ्रा और वजाइना पर भी अप्लाई होती है. यूरीथ्रा और रेक्टम के कंटैमिनेशन से भी यूरीनरी ट्रैक्ट इंफ़ेक्शन का खतरा रहता है.

3. वजाइना की साफ़-सफ़ाई

menstrual hygieneFlickr

वजाइना या योनि की सही से साफ़-सफ़ाई बहुत ज़रूरी है. पैड, टैम्पॉन, मेंस्ट्रुअल कप हटाने के बाद भी कई तरह के किटाणु हमारे शरीर पर ही रहते हैं. वजाइना की सफ़ाई का सही तरीका है- हाथ से योनी से मल मार्ग (Vagina to Anus) तक की सफ़ाई. मल मार्ग से योनी तक की सफ़ाई करने से मल मार्ग के किटाणु वजाइना में घुस सकते हैं और संक्रमण फैल सकता है.

4. वजाइनल वॉश का प्रयोग न करें

menstrual hygiene Femina

बाज़ार में कई तरह के इंटीमेट वॉश, वजाइना हाइजीन प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं. गौरतलब है कि हेल्थ एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स इनका इस्तेमाल करने से मना करते हैं. Healthline के लेख के अनुसार, वजाइना को सेल्फ़ क्लिनिंग मशीन भी कहा जाता है. वल्वा (Vulva- Female Genitalia का बाहरी हिस्सा- Labia Majora, Labia Minora और Clitoris) को माइल्ड साबुन से धोया जा सकता है.

कुछ प्रोडक्ट्स pH Balance का दावा करते हैं लेकिन उनका इस्तेमाल न करने की ही हिदायत दी गई है.

5. एक बार में एक सैनिटरी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें

Sanitary napkinsTOI

अकसर हैवी फ़्लो होने पर लड़कियां दो पैड्स, एक पैड और एक टैम्पॉन लगा लेती हैं. The Health Site के अनुसार ये आदत सही नहीं है. दो पैड लगाने का मतलब पैड बदलना नहीं पड़ेगा, ये नहीं है. इस तरह पैड लगाने से रैशेज़ हो सकते हैं, इंफ़ेक्शन का डर भी है. समय पर पैड बदलने की ही हिदायत दी जाती है.

7. साफ़ अंडरवेयर पहनें, बदलते रहें

menstrual hygiene Reader’s Digest

पीरियड्स के दौरान कई महिलाएं गंदे अंडरवेयर पहनती हैं, क्योंकि उनमें दाग लगे होते हैं. ये गलत तरीका है. एक्सपर्ट्स की राय है कि पीरियड्स के दौरान धुले हुए अंडरवेयर ही पहनने चाहिए. दिन में कम से कम दो बार अंडरवेयर बदलने की भी हिदायत दी जाती है.

8. हैंड वॉशिंग

hand-washingUnsplash

हर बार पैड चेंज करते समय अपनी साफ-सफाई का भी ध्यान रखें. पैड चेंज करने से पहले और बाद में हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना ना भूलें.

8. बैलेंस्ड डायट जरूरी है

menstrual hygiene Healthline

ऐंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन ई, विटामिन सी, प्रोटीन, कैल्शियम, प्रोबायोटिक्स से भरी चीज़ें डायट में शामिल करें. पीरियड्स में ब्लोटिंग होती है तो ऐसी चीज़ों से दूरी बनाएं. कैफ़ीन कम करें, इससे ब्लोटिंग भी बढ़ेगी और नींद में भी दिक्कतें होंगी.