नई दिल्ली. चीन और ताइवान युद्ध के मुहाने पर खड़े हैं. रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध की मार झेल रहे दुनिया भर के बाजारों पर अब नया संकट मंडराने लगा लगा है. चीन और ताइवान इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माण में सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं. जाहिर है कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध हो जाता है तो इसका बड़ा खामियाजा भारत को भी भुगतना पड़ेगा.
वाहनों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स के लिए भारत कहीं हद तक दोनों देशों पर निर्भर है. ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय ऑटोमोटिव इंडस्ट्री सबसे ज्यादा ऑटोमोटिव पार्ट्स चीन से आयात करती है. भारत में पिछले वित्त वर्ष की आखिरी छमाही में करीब 19 हजार करोड़ रुपये के ऑटो पार्ट्स आयात किए थे. इनमें इंजन के पुर्जे, ड्राइव ट्रांसमिशन और स्टीयरिंग, इलेक्ट्रिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कॉम्पोनेंट शामिल हैं.
ताइवान की बात करें तो यह दुनिया का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर निर्माता देश है. ताइवान अकेले कुल बाजार की 63% हिस्सेदारी रखता है. भारत समेत दुनिया भर के प्रमुख कार निर्माता अपने वाहनों में इस्तेमाल होने वाली सेमीकंडक्टर के लिए ताइवान पर बहुत अधिक निर्भर हैं. भारत ने सेमीकंडक्टर आयात करने वाला सबसे बड़े देशों में शामिल है. अगर दोनों देशों की युद्ध हुआ तो इसका भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर क्या असर होगा? यह जानने के लिए फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के प्रेसिडेंट विंकेश गुलाटी से बात की.
क्या होगा भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर असर?
विंकेश गुलाटी ने बताया कि 2020 में भारत ने 17 हजार करोड़ रुपए के सेमीकंडक्टर का आयात किया. यह आयात वर्तमान में करीब 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 24 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गया है. ताइवान दुनिया का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर निर्माता है और इसकी बाजार हिस्सेदारी 50% से ज्यादा है. अगर युद्ध शुरू होता है, तो निश्चित रूप से भारतीय निर्माताओं और विशेष रूप से ऑटोमोबाइल निर्माताओं के लिए एक बड़ा संकट होगा.
क्या महंगी हो जाएंगे वाहन?
FADA प्रेसिडेंट ने बताया कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ तो हर महीने कारों पर घट रहा वेटिंग पीरियड एक बार फिर बढ़ने लगेगा. फेस्टिव सीजन भी आने वाला है. ऐसे में वाहन निर्माताओं के पास सीमित स्टॉक होगा. जाहिर तौर पर ग्राहकों को फेस्टिव सीजन ऑफर का फायदा नहीं मिल सकेगा. उन्होंने कहा कि इस संकट का वाहनों की कीमतों पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा. युद्ध के कारण धातु की कीमतें आसमान छू जाएंगी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के साथ बहुत ज्यादा मुद्रास्फीति का दबाव होगा.
इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री पर भी इसका असर होगा?
भारत में तेजी से वृद्धि कर रही इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री पर भी युद्ध का असर देखने को मिलेगा. विंकेश गुलाटी ने बताया कि ईवी में इस्तेमाल होने वाली लिथियम आयन बैटरी निश्चित रूप से चीन से आती हैं. इसके अलावा, कई महत्वपूर्ण पुर्जे हैं, जो चीन से आयात किए जाते हैं और इसलिए इलेक्ट्रिक वाहनों की भी कमी होगी, जो भारत में अपने शुरुआती दौर में हैं. इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों को बनाने के लिए सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल किया जाता है. ताइवान के युद्ध में शामिल होने से ईवी के निर्माण पर बुरा असर होगा.