पीएम मोदी ने गुजरात के केवड़िया में ‘मिशन लाइफ’ की शुरुआत की.
नई दिल्ली. दुनियाभर में चल रहे क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर जहां अमेरिका जैसे देश कभी पीछे हट गए थे तो वहीं आज भारत संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर इस दिशा में विश्व को राह दिखा रहा है. भारत में दो दिवसीय यात्रा पर आए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनिया गुटेरेस के साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाइफ मिशन की शुरुआत की है. PM मोदी ने मिशन को समझाते हुए बताया कि यहां लाइफ का मतलब ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट है.’ गुजरात के केवड़िया में PM मोदी ने ‘मिशन लाइफ’ के शुभारंभ पर कहा कि जलवायु परिवर्तन का मुद्दा हर जगह देखा जा रहा है. हमारे ग्लेशियर पिघल रहे हैं, नदियां सूख रही हैं. उन्होंने बताया कि मिशन लाइफ जलवायु संकट से लड़ने में मदद करेगा.
ऐसे में हम यह समझ सकते हैं कि भारत मिशन लाइफ के माध्यम से ठंडे पड़ चुके व क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए बने COP को अपने मिशन के ‘तीन मंत्रों’ से बदलना चाहता है.
क्या है मिशन लाइफ
मिशन लाइफ दुनिया में तेजी से बदलते जलवायु परिवर्तन को रोकने का एक वैश्विक कैंपेन है. इस योजना के तहत भारत अपने नेतृत्व में दुनिया के सभी शीर्ष कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों के साथ मिलकर वैश्विक तापमान को कम करने और जलवायु परिवर्तनों से होने वाले नुकसान को कम से कम करने को लेकर काम करेगा. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अनुसार, मिशन लाइफ भारत के नेतृत्व वाला पहला वैश्विक जन आंदोलन हैं जो पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई को प्रेरित करेगा.
‘तीन मंत्रों’ पर काम करेगा मिशन
UN के COP कार्यक्रम की उबाऊ नीतियों से सबक लेते हुए भारत और संयुक्त राष्ट्र ने इसे तीन मंत्रों मतलब तीन स्ट्रेटेजी से मिलकर तैयार किया है. पहली रणनीति के तहत सभी देश अपने नागरिकों को दैनिक जीवन में सरल लेकिन प्रभावी पर्यावरण-अनुकूल कार्यों का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करेंगे. दूसरी रणनीति के तहत उद्योगों और बाजारों को तेजी से बदलती मांग और आपूर्ति के हिसाब से प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाना है. वहीं तीसरी रानीति में सरकार के रोल को अहम बताते हुए ऐसी नीतियों को बनवाने पर जोर दिया जाएगा जिससे स्थायी खपत और उत्पादन दोनों जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए हो.
G-20 देश 80 फीसदी क्लाइमेट चेंज के जिम्मेदार
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनिया गुटेरेस ने मिशन लाइफ के दौरान बताया कि G-20 देश दुनिया का 80 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन करते हैं. ऐसे में अगर भारत, जो कि G-20 देशों का हिस्सा है, अगर इस मिशन को आगे लेकर बढ़ता है तो काफी हद तक सुधार किया जा सकता है. मिशन को हाथों हाथ लेते हुए पश्चिमी और एशिया के देशों ने भारत के इस कदम की जमकर तारीफ की. ब्रिटेन की PM और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन ने भारत का समर्थन करते हुए कहा कि काश वह इस विशेष क्षण में PM मोदी के साथ होते. मैक्रॉन ने कहा कि फ्रांस इस पहल को सफल बनाने के लिए भारत के साथ काम करने के लिए उत्सुक है. साथ ही अगले साल जी-20 की भारतीय अध्यक्षता पर फ्रांस ने भरोसा जताया है.
वहीं जॉर्जिया, गुयाना, मेडागास्कर, नेपाल, एस्तोनिया, अर्जेंटीना, मालदीव्स, और मॉरीशस के शीर्ष नेताओं ने भी भारत की इस पहल का आभार जताया.