Explainer : किन पावर्स से लैस होंगे कांग्रेस के नए अध्यक्ष खड़गे, कितना होगा टर्म

कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (विकी कामंस)

कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे

कर्नाटक के मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष बन गए हैं. उन्होंने बड़े अंतर से शशि थरूर को हराया. क्या आपको मालूम है कि एक अध्यक्ष के तौर पर खड़गे का क्या रोल होगा और उनकी क्या पावर्स होंगी. वह क्या क्या कर सकते हैं और कांग्रेस के चुनाव में चुने जाने के बाद उनका कार्यकाल कब तक का होगा.

कांग्रेस का संविधान काफी हद तक पार्टी के अध्यक्ष के दायरों को पारिभाषित करता है. पार्टी प्रशासन, फैसलों और फेरबदल को लेकर पार्टी अध्यक्ष काफी अधिकारों से लैस रहता है. लेकिन जरूरी नहीं कि वह हर फैसले को खुद करने में आजाद हो इसलिए कई फैसलों के लिए उसको पार्टी की 25 सदस्यीय कार्यकारी समिति से भी अपने फैसलों पर मुहर लगवानी होती है.

एक बार चुने जाने के बाद कांग्रेस का अध्यक्ष तभी पद से हटता है जबकि वह खुद इस्तीफा दे दे या फिर उसके निधन पर ये जगह खाली हो जाए, तब कार्यकारी समिति अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर किसी नियुक्ति करती है, जो नए अध्यक्ष के बनने तक वो कामकाज निभाता है. वैसे एक और तरीके से भी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष को हटाया जा सकता है.

इसी तरीके से 1998 में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केसरी को हटाया गया था. तब कार्यकारी समिति ने सर्वसम्मति से फैसला करते हुए उन्हें हटाने का फैसला किया था, तब सोनिया गांधी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद वर्ष 2000 में पार्टी अध्यक्ष के लिए चुनावों में सोनिया गांधी जितेंद्र प्रसाद को हराकर पार्टी सुप्रीमो बनी थीं.

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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास पार्टी के मुखिया के तौर पर खासे पॉवर्स होते हैं, बस देखने वाली बात यही होगी कि वह कितने अधिकारों का इस्तेमाल कर पाते ैहं.(सांकेतिक तस्‍वीर)

कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के अधिकार
– वह पार्टी का मुखिया होता है. पार्टी के सभी शीर्ष नेता उसको रिपोर्ट करेंगे
– पार्टी की सभी गतिविधियां उसकी जानकारी और स्वीकृति से होंगी
– वह पार्टी की सभी समितियों में सदस्यों की नियुक्ति करेगा
– वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में कोषाध्यक्ष से लेकर उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिवों के पदों पर नियुक्ति करेगा
– कांग्रेस के सभी राष्ट्रीय स्तर के अधिकवेशन और सत्र की अध्यक्षता करेगा
– कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठकों, अधिवेशन और सत्र में मुख्य भूमिका में होगा
– वर्किग कमेटी के सदस्य पार्टी अध्यक्ष, दोनों सदनों में पार्टी के नेता तो होंगे ही. इसके अलावा 12 सदस्यों का चुनाव अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा होगा लेकिन शेष 10-11 सदस्यों की नियुक्ति वह खुद करेगा.
– वैसे कांग्रेस अध्यक्ष को कोई फैसला वर्किंग कमेटी में सर्वसम्मति से लेना होगा लेकिन अगर ये मीटिंग नहीं होती तो वह खुद ये फैसले ले सकता है.
– पार्टी की सभी योजनाओं और फैसलों के लिए जिम्मेदार होगा

सवाल – तो क्या राहुल गांधी जैसी पदयात्राएं अध्यक्ष की मर्जी के बगैर नहीं होंगी?
– बिल्कुल राहुल गांधी ने भी खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद कहा है कि अब पार्टी में नए अध्यक्ष उनके लिए जो भी भूमिका चुनते हैं, उसके लिए वह तैयार हैं. सवाल ये है कि जिस तरह राहुल गांधी अभी भारत जोड़ो पदयात्रा कर रहे हैं, उसमें पार्टी अध्यक्ष की भूमिका क्या होगी. यकीनन इस तरह की किसी भी गतिविधि के लिए पार्टी के हर नेता को अध्यक्ष से अनुमति लेनी होगी, तभी वह ऐसा कुछ कर सकता है.

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सवाल – क्या पार्टी अध्यक्ष को कोई वेतन भी मिलता है?
– नहीं कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का पद अवैतनिक होता है. उसे कोई वेतन नहीं मिलता लेकिन उसकी यात्राओं का खर्च कांग्रेस पार्टी वहन करती है.

सवाल – कांग्रेस में पार्टी अध्यक्ष का टर्म कब तक का होता है?
– कांग्रेस का अध्यक्ष पार्टी का मुखिया होता है. दिसंबर 1885 में कांग्रेस की स्थापना के बाद 1933 तक कांग्रेस अध्यक्ष का टर्म एक साल का ही होता था लेकिन 1933 के बाद से कोई तय कार्यकाल नहीं है. हालांकि पार्टी में आजादी के बाद से काफी बदलाव और विभाजन भी हुआ है. जैसे इंदिरा गांधी ने 1978 के बाद पार्टी में कोई संरचनात्मक चुनाव नहीं कराए. इंदिरा गांधी के समय में पार्टी दो बार टूटी. हालांकि 1980 में चुनावों के बाद चुनाव आयोग ने इंदिरा गांधी की कांग्रेस को असली कांग्रेस घोषित किया.

सवाल – क्या पार्टी में अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री होगा, ये जरूरी है?
– आमतौर पर कांग्रेस इस देश में लंबे समय तक सत्ता में रही. जब तक जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री रहे, तब तक वह सरकार के मुखिया का कामकाज संभालते थे और पार्टी का कामकाज अध्यक्ष देखता था. लेकिन इंदिरा गांधी द्वारा 1969 में पार्टी के विभाजन के बाद ये प्रावधान खत्म हो गया. इंदिरा गांधी दोहरी भूमिका में होती थीं. वह प्रधानमंत्री भी रहीं और कांग्रेस अध्यक्ष भी. इसी तरह राजीव गांधी और पीवी नरसिंहराव भी रहे. लेकिन वर्ष 2004 से इसमें बदलाव हुआ. 1969 के बाद मनमोहन सिंह पहले ऐसे कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने जो पार्टी के अध्यक्ष नहीं रहे, उस समय इस भूमिका में सोनिया गांधी थीं. वह 1998 से 2017 और फिर 2019 से अब तक पार्टी की अध्यक्ष रहीं. अब ये भूमिका खड़गे निभाएंगे.