HP 99-9999 पर लगी करोड़ों की फर्जी बोलियों से परिवहन विभाग ने ऐसा सबक लिया है कि विभाग बोली लगाने के फार्मूले को बदलने की तैयारी पर है। एक समय पर जब वीआईपी नंबर पर एक करोड़ से अधिक की बोली लगी थी तो ऐसा प्रतीत हो रहा था कि परिवहन विभाग के खजाने में मोटी रकम जमा होने वाली है। लेकिन परिवहन विभाग के हाथ मायूसी तब लगी, जब करोड़ो की बोली लगाने वाले तीनों बोलीदाता फर्जी निकले।
किसी भी बोलीदाता ने राशि जमा नहीं करवाई। इसके बाद परिवहन विभाग भी हरकत में आ गया और निर्धारित नियमों के तहत स्कूटी के नंबर के लिए बोली की प्रक्रिया रद्द कर दी गई। अब स्पेशल नंबर के लिए नए सिरे से बोली लगाई जाएगी।
बोली लगाने के फॉर्मूले में किया जा रहा संशोधन…. बोली रद्द करने के बाद हिमाचल परिवहन विभाग बोली लगाने के पैटर्न में बदलाव कर रहा है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि वीवीआईपी नंबर की बोली केंद्र सरकार के पोर्टल पर लगती है, लेकिन इस पोर्टल में प्रदेश सरकार द्वारा मामूली संशोधन अपने स्तर पर किया जा सकता है।
दरअसल, अब वीआईपी नंबर के लिए एक ही उच्च बोलीदाता को मौका दिया जाएगा। बोलीदाता को 30 फीसदी जमानत राशि पहले ही जमा करवानी होगी। उदाहरण के लिए यदि किसी नंबर पर एक करोड़ की बोली लगती है, तो बोलीदाता को 30 लाख की राशि पहले ही जमा करवानी होगी।
यदि व्यक्ति वीआईपी नंबर लेने से मना कर देता है तो परिवहन विभाग उसके द्वारा जमा करवाई गई 30 फ़ीसदी राशि को जब्त कर लेगा। इसके बाद किसी को भी मौका नहीं दिया जाएगा और वीआईपी नंबर के लिए नए सिरे से ऑनलाइन बोली लगाई जाएगी।
ये है पूरा मामला… स्कूटी का उक्त स्पेशल नंबर पिछले दिनों तब चर्चा में आया, जब इस नंबर को हासिल करने के लिए देशराज नामक एक शख्स ने 1.12 करोड़ की अधिकतम बोली लगाई। देशराज को इस रकम की 30 फीसदी राशि जमा करवाने के लिए 3 दिन का समय मिला था। लेकिन उसने रकम जमा नहीं करवाई। इसके बाद 1.11 करोड़ की बोली लगाकर दूसरे नम्बर पर रहे संजय भी तय समय तक यह रकम जमा नहीं करवा पाया।
परिवहन विभाग के होश तब उड़े जब 1 करोड़ 500 रुपये की बोली लगाने वाला तीसरा बोलीदाता धर्मवीर सिंह भी सामने नहीं आया। इस तरह बोली में अव्वल रहने वाले तीनों शख्स ने स्पेशल नंबर को हासिल करने के लिए पैसे जमा करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
उधर, उपमुख्यमंत्री और परिवहन विभाग देख रहे मुकेश अग्निहोत्री ने पिछले दिनों परिवहन निदेशक को निर्देश दिए हैं कि यदि स्पेशल नंबर को बोलीदाता नहीं खरीदते हैं, तो संबंधित लोगों के खिलाफ सरकारी सिस्टम के दुरुपयोग और जानबूझकर धोखाधड़ी करने के मामले में केस दर्ज किया जाए। विभाग को कहा गया है कि यह जांच पहले एसडीएम को दी जाए और उसके बाद मामला पुलिस को सौंपा जाए।