कुछ महीने पहले चीन ने तकनीकी क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी हासिल करने का दावा किया था. इस नई तकनीक के सफल परीक्षण के साथ ही चीन ने एक नया इतिहास भी रच दिया है. हम सब जानते हैं जिस सूर्य से हमें रौशनी मिलती है वह कितना गरम है लेकिन चीन ने एक ऐसा कृत्रिम सूर्य तैयार किया है जो असली सूर्य के मुकाबले 5 गुना गरम है.
20 मिनट तक चला कृत्रिम सूर्य
चीन द्वारा बनाया गया ये कृत्रिम सूरज अपने नवीनतम प्रयोग में 20 मिनट तक के लिए चला. 70 मिलियन डिग्री तापमान पर चलने वाला ये नकली सूर्य असली सूरज से पांच गुना अधिक गर्म हो गया. वैज्ञानिकों उम्मीद कर रहे हैं कि परमाणु संलयन की शक्ति का उपयोग इस मशीन के लिए सहायक साबित होगा.
ये प्रयोग मानवता को सूर्य के अंदर स्वाभाविक रूप से होने वाली प्रतिक्रियाओं की नकल करके असीमित स्वच्छ ऊर्जा बनाने की सोच को पूरा करने उपयोगी साबित हो सकता है.
मिलेगी स्वच्छ ऊर्जा
सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ता परमाणु संलयन रिएक्टर सुविधा, प्रायोगिक उन्नत सुपरकंडक्टिंग टोकामक (ईएएसटी) का परीक्षण चलाने के लगातार प्रयास कर रहे हैं जिससे कि इसके सहायक हीटिंग सिस्टम को अधिक गर्म और टिकाऊ बनाया जा सके. HL-2M Tokamak रिएक्टर चीन का सबसे बड़ा और सबसे अडवांस्ड न्यूक्लियर फ्यूजन एक्सपेरिमेंटल रिसर्च डिवाइस है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस डिवाइस की मदद से शक्तिशाली क्लीन एनर्जी सोर्स का खनन किया जा सकेगा.
इस तकनीक में परमाणु संलयन प्रतिक्रिया की नकल की जाती है. यही वास्तविक सूर्य को शक्ति देता है और ईंधन के रूप में हाइड्रोजन और ड्यूटेरियम गैसों का उपयोग करता है. यही कारण है कि इसे आर्टिफ़िशियल सन या कृत्रिम सूर्य कहा जाता है. यह चीनी द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया. ईएएसटी का उपयोग 2006 से दुनिया भर के वैज्ञानिकों को फ्यूजन से संबंधित प्रयोग करने में किया गया है.
2040 तक इससे बिजली पैदा हो सकेगी
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने इस कृत्रिम सूर्य को 70 मिलियन डिग्री पर चलाया है. इस तापमान पर ये मशीन 1,056 सेकंड यानी 17 मिनट, 36 सेकंड तक चलने में कामयाबी रही है. वहीं वास्तविक सूर्य की बात करे तो ये अपने मूल में लगभग 15 मिलियन डिग्री का तापमान उत्पन्न करता है.
बता दें कि इस कृत्रिम सूर्य को बनाने में 10,000 चीनी तथा विदेशी वैज्ञानिक ने एक साथ काम किया है. हेफ़ेई इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल साइंस में इंस्टीट्यूट ऑफ प्लाज़्मा फिजिक्स के डिप्टी डायरेक्टर सोंग यूंताओ के मुताबिक ऐसी उम्मीद है कि 2040 तक इस कृत्रिम सूर्य से बिजली पैदा की जा सकेगी.