सवाई माधोपुर का फेमस खरबूजे का लड्डू, 100 साल पुराना है यह राजस्थानी जायका, पढ़ें यह रिपोर्ट

सवाई माधोपुर. भारत में कहावत है कि तीन कोस पर बदले बानी और एक पानी. यहां हर एक इलाके की अपनी अलग पहचान होती है. यहां का खान-पान और कल्चर अलग अलग है. ऐसे ही एक मिठाई के बारे में न्यूज18 लोकल आपको रूबरू करवाने जा रहा है. यह मिठाई केवल सवाई माधोपुर में ही बनती है. जिसका नाम खरबूजे का लड्डू है. यह मिठाई खरबूजे से बनती है. जिसकी वजह से इसका नाम खरबूजे के लड्डू पड़ा. यहां 100 साल से ज्यादा समय से कई हलवाईयों की पीढ़ियां इसे तैयार करती आ रही हैं.

पुराने शहर के सिनेमा गली चौराहा, न्यू मार्केट, पुलिस चौकी और सदर बाजार में 10-12 स्वीट शॉप हैं, जहां इन दिनों खरबूजे के लड्डू तैयार किए जा रहे हैं. आमतौर पर होली से ही इसका सीजन शुरू होता है. अप्रैल, मई, जून और जुलाई महीने में खरबूजे की पैदावार होने तक ये लड्डू बनाए जाते हैं. पूरे शहर में केवल 10-12 हलवाई ही इसे बनाने की कला जानते हैं. नए शहर में एक भी दुकान पर यह जायका नहीं मिलेगा.

ऐसे तैयार होते है खरबूजे के लड्डू
सबसे पहले छिलका और बीज हटाकर इसका खरबूजे को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है. फिर गर्म पानी में इन टुकड़ों को नरम होने तक उबालते हैं. खरबूजे को उबालने के ठंडा कर मिक्सी में पेस्ट बना लेते हैं. अब कच्चे मावे को देसी घी में सेका जाता है. इसमें खरबूजे का पेस्ट एड करते हुए अच्छे से सिकाई की जाती है. इसके बाद चीनी, खरबूजे के बीज, गुलाब की पत्तियां मिलाकर ड्राई फ्रूट मिक्स करते हैं. इसके बाद लड्डू तैयार कर उसे काजू से गार्निश करते हैं. यह लड्डू 5-7 दिन तक खराब नहीं होते.

केवल चार महीने में होता है 50 लाख का बिजनेस
मिठाई कारोबारी भगवान कुमार सैनी का कहना हैं कि सवाई माधोपुर में इसकी शुरुआत किसने की यह कहना मुश्किल है. लेकिन जायका करीब 100 साल पुराना है. यहां हलवाई हमेशा से मिठाइयों पर प्रयोग करते रहे हैं. पहले इसे हलवे की तरह बनाया जाता था अब इसे लड्डुओं की शक्ल दी गई है. वें 12 साल की उम्र से लड्डू तैयार कर रहे हैं. इसे बनाने की कला उन्होंने अपने पिता से सीखी. पिता ने उनके उन्होंने दादा से. इस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी यह इसे बनाने का तरीका हम सीखते आ रहे हैं. पूरे शहर में केवल 10-12 हलवाई ही इसे बनाने की कला जानते हैं.

नए शहर में एक भी दुकान पर यह जायका नहीं मिलेगा. पूरे शहर औसत सेल 100 किलो है. एक महीने में 3000 किलो के आस-पास लड्डू बिक जाते हैं. एक किलो लड्डू की कीमत 350 रुपए किलो है. ऐसे में लड्डुओं का एक सीजन का कारोबार करीब 50 लाख के आसपास रहता है.

इससे जुड़े करीब 100 लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. हालांकि अब इसका कारोबार ऑनलाइन भी होने लगा है. डिमांड आने पर जयपुर, दिल्ली और उत्तर प्रदेश तक भेजा जाता है.