आविष्कार के पीछे जितने आवश्यक्ता है, उतना ही प्रयोग भी है. आप प्रयोग करते-करते नई-नई चीजों पर अध्ययन करते जाते हैं. इसी में से कुछ आपको बेहतरीन मिल जाता है. ऐसे ही मध्यप्रदेश के धार के किसान विनोद चौहान हैं. उन्होंने प्रयोग के तौर पर काले गेहूं की खेती और आज वह सफल हो गए.विनोद के काले गेहूं की डिमांड बढ़ गई है. इस बार उन्होंने 20 बीघा जमीन में 5 क्विंटल गेहूं लगाया. इससे 200 क्विंटल फसल का उत्पादन हुआ. अब उनकी कमाई तेजी से आगे बढ़ी है. जिन खेतों से वह मामलू आमदनी कर पाते थे, उन खेतों से हुई फसल की डिमांड देश भर मे हैं.
bhaskarइस सोच के पीछे पंजाब के रिसर्च सेंटर नेशनल एग्री फूड बायो टेक्नॉलजी मोहाली के कृषि वैज्ञानिक डॉ. मोनिका गर्ग हैं. काले गेहूं में एंथोसाइनिन की मात्रा आम गेहूं की तुलना में 149 पास प्रति मिलियन तक अधिक पाई जाती है. इसमें जिंक की मात्रा भी अधिक होती है. एथोसाइनिन के कारण यह सुगर फ्री भी होता है. स्टार्च भी कम होता है. ऐसे में शुगर के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है. इसे खाने से पाचन क्षमता भी तेजी से बढ़ती है.
twitterविनोद चौहान ने इस फसल के बारे में यू ट्यूब से जानकारी ली थी. उन्हें शुलाजपुर के किसान से प्रेरणा मिली, जिसने इसका बीज 200 रुपये प्रति किलो बेचा था. अब उनके फसल तैयार है और उन्हें राजस्थान, यूपी, कर्नाटक और उत्तराखंड से लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं.काले गेहूं के कई फायदेएक्सपर्ट बताते हैं कि काले गेहूं पर अभी भी रिसर्च चल रहा है. हालांकि, इसमें एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है. इससे कैंसर के रोगी को फायदा होता है. यहां तक कि ये कैंसर रोकने में भी लाभकारी है. इसमें फैट की मात्रा भी कम होती है, जिससे मोटापा भी नहीं बढ़ता है.
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