उत्तर प्रदेश (UP) के बस्ती जिले के गुड्डी गांव के एक किसान के बेटे बजरंग यादव (Bajrang Yadav) ने भी यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 (UPSC 2022) में सफलता हासिल की है.
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक का परिणाम 23 मई को घोषित किए गए, जहां लड़कियां शीर्ष स्थानों पर काबिज रहीं. वहीं बजरंग यादव की सफलता दृढ़ संकल्प, मुश्किल परिस्थितियों पर काबू पाने और अपने सपने को पूरा करने की एक कहानी है.
पिता की हत्या ने झकझोर कर रख दिया
बजरंग यादव के लिए यूपीएससी परीक्षा पास करने का सफर आसान नहीं था. उनके ऊपर ग़मों का पहाड़ उस वक़्त टूट पड़ा, जब साल 2020 में उनके पिता राजेश यादव की हत्या कर दी गई. जिन्होंने अपना अधिकतर समय गांव में गरीबों और वंचितों की मदद करने के लिए समर्पित कर दिया था.
इस घटना ने बजरंग को अंदर से झकझोर कर रख दिया. हालांकि उन्होंने खुद को संभाला और हिम्मत नहीं हारी. पिता की स्मृति का सम्मान करते हुए उन्होंने आईएएस ऑफिसर बनने की ठानी.
बजरंग यादव ने आज तक को दिए गए अपने इंटरव्यू बताया “मेरे पिता की मृत्यु के बाद मैंने फैसला लिया कि मुझे यूपीएससी परीक्षा पास करनी है और आईएएस अधिकारी बनना है.”
अपने उद्देश्य की एक मजबूत भावना से प्रेरित होकर उन्होंने सफलता प्राप्त करने के लिए अपनी यूपीएससी यात्रा शुरू की.
परिवार ने दिया साथ
बजरंग प्रसाद यादव ने यूपीएससी सीएसई 2022 में 454वीं रैंक हासिल की है. उनकी मां कुसुमकला धोभट ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान का पद संभालती हैं. बजरंग चार भाई और एक बहन हैं, जिनमें से एक देश की सेवा के लिए सेना में शामिल हुए हैं. परिवार ने भी बजरंग का काफी सपोर्ट किया.
बजरंग यादव की प्रारंभिक शिक्षा बस्ती में हुई. हाईस्कूल की परीक्षा लिटिल फ्लावर स्कूल, कलवारी से पास की और फिर बस्ती में उर्मिला एजुकेशनल एकेडमी में अपनी इंटरमीडिएट की शिक्षा हासिल की. 2019 में, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से गणित में बीएससी की डिग्री हासिल की. इसके बाद यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए.
वंचितों की सेवा करने के मकसद से यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में बजरंग यादव की सफलता न केवल एक व्यक्तिगत जीत है, बल्कि समाज के गरीब और कमजोर वर्गों की सेवा करने की उनकी आकांक्षा का प्रतिबिंब भी है. उनका उद्देश्य सामाजिक मुद्दों को संबोधित करना और एक आईएएस अधिकारी के रूप में अपनी भूमिका के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाना है.
आज तक से खास बातचीत में उन्होंने जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने की प्रतिबद्धता जताई. अपने पिता के साथ हुई घटना पर विचार करते हुए बजरंग ने कहा, “मैंने महसूस किया कि केवल एक उच्च पदस्थ अधिकारी ही वास्तव में गरीबों और असहायों की मदद कर सकता है, क्योंकि हर किसी के पास एक आईएएस अधिकारी की शक्ति और प्रभाव नहीं होता है.”