शिक्षा पूरी कर डिग्री लेना आवश्यक है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि परिस्थियों की मार से पढ़ाई छोड़ चुका इंसान कुछ बड़ा और अलग नहीं कर सकता. इंसान के अंदर का जुनून उससे कुछ भी करवा सकता है, फिर फर्क नहीं पड़ता कि वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई पढ़ा है या फिर मात्र 8वीं पास है. राजस्थान, जोधपुर के एक किसान ने उक्त बातों को एक बार फिर से सच कर दिखाया है.
मात्र 8वीं तक पढ़े फुसाराम
Bhaskar
जोधपुर के झंवर इलाके के छोटे से गांव डोली निवासी फुसाराम पटेल मात्र 8वीं तक पढ़े हैं. उनके गांव से स्कूल तक का रास्ता 20 किमी था, जहां तक जाने के लिए साधनों की कमी थी, जिस वजह से उन्होंने पढ़ाई छोड़ खेती-किसानी में मन लगाना सही समझा. ऐसा नहीं था कि फुसाराम दिमाग से कमजोर थे, उनके तेज दिमाग का साक्षात उदाहरण है, उनके खेतों में बनी उनकी लैब और उनके द्वारा तैयार किये गए प्रयोग हैं.
बाइक से बनाई स्प्रे मशीन
Farmer Phusaram Patel
ये उनका दिमाग ही है जिसकी बदौलत उन्होंने ऐसे कई प्रयोग कर दिखाए हैं, जिन्हें देखकर हर कोई हैरान हो जाता है. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार मात्र 8वीं कक्षा तक पढ़े 42 वर्षीय फुसाराम ने पुरानी बाइक को मॉडिफाइ कर कीटनाशक दवा स्प्रे मशीन में बदल दिया है. उनकी कार्यस्थली को देख कर आपको ऐसा लगेगा मानों मिट्टी और साइंस का मिलन हो रहा हो. उन्होंने 2 बाई 2 की छोटी जगह में एक के ऊपर एक मटकियां रख अनोखी बाड़ी तैयार की है. वह छतों पर रखी जाने वाली पानी की एक हजार लीटर की टंकी से गोबर गैस प्लांट बना चुके हैं, जिसकी गैस ट्रैक्टर के टायरों में स्टोर करते हैं. इसके अलावा वह 7-8 तरह के फर्टिलाइजर, स्प्रे और कीटनाशक तैयार कर चुके हैं.
बच्चों को दे रहे उच्च शिक्षा
Farmer Phusaram Patel
भले ही फुसाराम गांव में रहते हों लेकिन उन्होंने अपने पूरे परिवार को आधुनिक रंग में रंग दिया है. उनका 22 वर्षीय बेटा हंसराज गुवाहाटी आईआईटी से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कर चुका है. वहइन उनकी 20 वर्षीय बेटी पूजा आईआईटी की तैयारी कर रही है. छोटा बेटा जगदीश 17 साल का है जो बारहवीं में पढ़ाई कर रहा है. फुसाराम की 38 वर्षीय पत्नी पप्पू देवी ट्रैक्टर चलाकर खेतों का सारा काम संभाल लेती हैं.
जैविक खेती से कमा रहे लाखों
2014 में अपने पिता के साथ परंपरागत खेती की शुरुआत करने वाले फुसाराम को एक घटना ने अंदर तक झकझोर दिया. जिसके बाद उन्होंने जैविक खेती करने का मन बनाया. भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया कि फुसाराम के इलाके में कीटनाशक स्प्रे करते वक्त उसकी गंध के कारण एक युवा किसान की मौत हो गई. जिसके बाद उन्होंने जैविक खेती के बारे में जानकारी जुटा कर इसी को आगे बढ़ाने का फैसला किया. 2015 में ही उन्होंने अपनी सोच को सच का रूप देते हुए जैविक खेती की शुरुआत की. खेतों में कैमिकल का असर ज्यादा होने के कारण उन्हें दो साल तक जैविक खाद डालनी पड़ी. इसके बाद 2018 में पहली बार उन्हें जैविक खेती में फायदा हुआ.
जब फुसाराम ने जैविक खेती शुरू करने की बात कही तो बहुत से किसानों ने उन्हें कहा कि जैविक खेती में घाटा होता है लेकिन वह नहीं माने. आज इसी जैविक खेती ने उनकी जिंदगी बदल दी है. वह इसकी बदौलत साल के 10 लाख रुपए तक कमा रहे हैं.