किसान पिता की बेटी बनी जज, मेहनत से की पढ़ाई, गोल्ड मेडल जीता, अब जज की कुर्सी पर बैठेगी

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जिनके हौसले बुलंद होते हैं, वो अपनी मंजिल पाने तक हिम्मत नहीं हारते. इस बात को सच कर दिखाया है मध्य प्रदेश के बुरहानपुर की रहने वाली निशा कुशवाह ने. निशा को उनके पिता ने खेती कर पढ़ाया. निशा ने भी मेहनत के साथ पढ़ाई की और जज बनकर दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई.

पिता ने खेती-किसानी कर जमा की फीस

निशा कुशवाह के पिता सीताराम कुशवाह ने बेटी को पढ़ाने के लिए काफी जतन किए. उनकी 2 एकड़ जमीन पर खेती से बमुश्किल परिवार का पेट भर पाता था. बेटी की पढ़ाई में होने वाले खर्च के लिए उन्होंने एक होटल में कैशियर का काम किया. सीताराम के चार बेटियां और एक बेटा है. दूसरे नंबर की बेटी निशा ने जज बनकर उनके परिवार का नाम रौशन कर दिया है.

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निशा की प्रारंभिक पढ़ाई बुरहानपुर के एक निजी स्कूल से हुई. सदन महाविद्यालय से बीकॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद सेवा सदन लॉ कॉलेज से वकालत (LLB) की पढ़ाई पूरी की.

निशा कुशवाह देवी अहिल्या बाई विश्विद्यालय से गोल्ड मेडलिस्ट रहीं. उन्हें एमपी के पूर्व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के हाथों सम्मानित किया गया था.

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परिवार को है बेटी पर गर्व

अब निशा एमपी सिविल जज एग्जाम पास कर जिला जज बन गई हैं. इलाके और समाज की तरफ से उन्हें खूब बधाईयां दी जा रही हैं. उनके पिता सीताराम कुशवाह को अपनी बेटी पर बहुत गर्व है. उनकी इस उपलब्धि पर पूरा परिवार काफी खुश है.

सीताराम का कहना है कि बेटियों को पराया धन समझा जाता है. उनकी पढ़ाई-लिखाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता. मैं हमेशा अपनी बेटियों को लेकर चिंतित रहता हूं. मैं उन्हें खूब पढ़ाना चाहता हूं, लेकिन ये इतना भी आसान नहीं था. सरकारी योजनाओं के चलते बेटी को स्कॉलरशिप भी मिली. मुझे पीएम मोदी की ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना से प्रेरणा मिली.