वो ज़माने लद गए जब महिलाओं के लिए उनके काम निर्धारित थे, आज के दौर की महिलाएं काम के मामले में सभी बंधनों से आजाद हैं. वे हर वो काम कर सकती हैं जिन्हें पहले केवल पुरुषों के लायक समझा जाता था. फिर भले ही वो जहाज उड़ाने जैसा बड़ा काम हो, या फिर खेती किसानी जैसा मेहनत भरा काम. आज के समय में महिलाएं खेती किसानी में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं.
लाखों की नौकरी छोड़ शुरू की खेती
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और तो और कई महिलाएं व लड़कियां तो खेती के लिए जमी जमाई नौकरी तक छोड़ दे रही हैं. ऐसा एक उदाहरण छत्तीसगढ़ से देखने को मिला है. जहां की एक बेटी ने खेती के लिए 10 लाख पैकेज वाली नौकरी छोड़ दी. इतना ही नहीं, आज ये बेटी अपनी मेहनत के दम पर न केवल सफल किसानी कर रही है बल्कि इसके साथ साथ कई लोगों को रोजगार दे रही है.
पिता के बीमार होने पर लिया फैसला
The India Forum
हम यहां बात कर रहे हैं धमतरी के गांव चरमुड़िया की बेटी स्मारिका की. किसान तक की रिपोर्ट के अनुसार कंप्यूटर साइंस में बीई की पढ़ाई कर चुकी स्मारिका ने एमबीए करने के बाद नौकरी भी की. उन्हें उम्मीद थी कि वह MBA के बाद अच्छे सैलरी पैकेज पर अच्छी नौकरी पा जाएंगी और हुआ भी ऐसा ही.
उन्हें एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब मिल गई, जहां उनकी सालाना सैलरी 10 लाख थी. इस नौकरी के बाद 34 वर्षीय स्मारिका की जिंदगी अच्छी-खासी चल रही थी. लेकिन इसी दौरान उनके पिता दुर्गेश की तबीयत बिगड़ने लगी. उनका 2020 में लीवर ट्रांसप्लांट हुआ था.
100 मजदूरों के लिए छोड़ी नौकरी
स्मारिका के पिता 23 एकड़ में खेती करते थे. उनका स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद बेटी के सामने दो रास्ते थे. या तो वो नौकरी कर सकती थीं, या 23 एकड़ जमीन पर खेती. पिता की तबीयत बिगड़ने के बाद स्मारिका ने फैसला लिया कि वह उनकी खेती को संभालेंगी. ऐसा इसलिए था क्योंकि उस खेती से वहां काम करने वाले 100 मजदूरों की जिंदगी चलती थी. ऐसे में स्मारिका ने खेती को प्राथमिकता देने का मन बना लिया.
लाखों के पैकेज वाली नौकरी को ना करने के बाद स्मारिका खेती में लग गईं. उन्होंने बचपन से अपने पिता को खेती करते देखा था, इसलिए उन्हें खेती का गुण विरासत में मिला था और उन्हें इसके लिए कुछ ज्यादा नहीं सीखना पड़ा. आज की तारीख में स्मारिका कई तरह की सब्जियों की खेती करती हैं. उनकी उगाई हुई सब्जियां दिल्ली, यूपी, आंध्र प्रदेश, बिहार और ओडिशा तक में सप्लाई की जाती हैं. स्मारिका का लक्ष्य है कि अब उनके खेतों की सब्जियां विदेशों तक पहुंचे और अब वह इस तैयारी में जुटी हुई हैं.