The BJP government is giving protection to the arhtiyas who grab the money of the gardeners, the apple orchard has made serious allegations against this BJP leader.

नौणी में सेब दिवस के दौरान सघन खेती के बारे में किसानों को किया गया अवगत

डॉ वाई एस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के फल विज्ञान विभाग ने बुधवार को विश्वविद्यालय में ‘सेब दिवस’ का आयोजन किया। विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना (एचपी एचडीपी) के तहत शिमला, सिरमौर और सोलन जिलों के विभिन्न क्लस्टर के लगभग 100 बागवानों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। आयोजन के पीछे का उद्देश्य उन बागवानों की समस्याओं का समाधान करना था, जिन्होंने इस परियोजना के तहत पहले से ही उच्च घनत्व वाले बगीचे लगाए हैं।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल मुख्य अतिथि रहे। इस कार्यक्रम की शुरुआत, वर्ष 2016 में लगाए गए उच्च घनत्व वाले बगीचों की फील्ड विजिट से आरंभ हुई। जेरोमाइन, रेड वेलोक्स, रेड कैप वाल्टोड, स्कारलेट स्पर- II, सुपर चीफ, गेल गाला, रेडलम गाला और एविल अर्ली फ़ूजी जैसी विभिन्न किस्मों M9 और MM106 रूटस्टॉक्स को अलग-अलग दूरी और प्रशिक्षण प्रणालियों को अपनाकर लगाया गया है।

फील्ड विजिट के दौरान विभाग के वैज्ञानिकों ने किसानों के प्रश्नों का उत्तर दिया जिसके बाद डॉ. एल एस नेगी सभागार में एक किसान वैज्ञानिक परिचर्चा आयोजित की गई। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पोषक तत्व प्रबंधन, कीट और रोग प्रबंधन और समग्र प्रबंधन पर किसानों के प्रश्नों को संबोधित किया। किसानों को विभिन्न रूटस्टॉक्स और उनकी विशेषताओं के बारे में भी बताया गया। आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जहां विश्वविद्यालय नियमित रूप से विभिन्न फलों और सब्जियों की खेती से संबंधित तकनीकी जानकारी अपलोड कर रहा था, के बारे में भी जानकारी साझा की गई।

फल विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. डीपी शर्मा ने बताया कि किसानों को पौधों के उचित स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने और अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए अनुशंसित स्प्रे शेड्यूल का पालन करना चाहिए। उन्होंने किसानों को वैज्ञानिक सलाह लेते समय विशेषज्ञों के साथ सही जानकारी साझा करने की भी सलाह दी ताकि अच्छे परिणाम प्राप्त किया जा सके। निदेशक अनुसंधान डॉ. रविंदर शर्मा, जो विश्वविद्यालय में एचडीपी के नोडल अधिकारी भी हैं, ने इस परियोजना के तहत उच्च घनत्व वाले सेब के बगीचे पर पैकेज ऑफ प्रैक्टिस (पीओपी) के विकास के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किए गए परीक्षणों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उपयुक्त किस्मों और रूटस्टॉक्स की पहचान के लिए विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों में किए जा रहे परीक्षणों के परिणामों के साथ-साथ आदर्श पौधे की दूरी और कैनोपी प्रबंधन तकनीकों को पीओपी में शामिल किया जा रहा है।

इस अवसर पर डॉ. परविंदर कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय में काफी समय बाद किसानों को वापस देखकर बहुत अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों और किसानों के संयुक्त प्रयासों से यह सुनिश्चित हुआ है कि अब सेब को कम ऊंचाई पर लगाया जा रहा है। डॉ. कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के प्रयासों से चार साल के उच्च घनत्व वाले बगीचे में 42 मीट्रिक टन उत्पादकता आई है। उन्होंने सलाह दी कि उत्पादकता में सुधार के लिए किसानों को वैज्ञानिक उत्पादन तकनीकों को अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय और विभाग के अनुशंसित कार्यक्रम का पालन करते हुए सही किस्म, रूटस्टॉक के साथ-साथ उचित बाग प्रबंधन का निर्णय लेना बहुत महत्वपूर्ण है। डॉ. कौशल ने किसानों से मुख्य परिसर, केवीके और क्षेत्रीय स्टेशनों पर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से उनके मार्गदर्शन के लिए संपर्क करने का आग्रह किया। रोपण सामग्री के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों की मांग को पूरा करने के लिए पौधों की संख्या बढ़ाने की प्रक्रिया में है और रूट स्टॉक का प्रसार भी किया जा रहा है।

 

इस अवसर पर जिला सिरमौर के किसान विक्रम सिंह और यशवंत सिंह, शिमला के कौल राम और पवन, सोलन के मनदीप वर्मा और अशोक कुमार को विश्वविद्यालय द्वारा उच्च घनत्व वाले सेब बगीचों में सराहनीय कार्य करने पर सम्मानित किया। कार्यक्रम में निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. दिवेंद्र गुप्ता, डीन हॉर्टिकल्चर डॉ. अंजू धीमान, रजिस्ट्रार प्रशांत सरकेक सहित सभी विभागाध्यक्षों और वैज्ञानिकों ने भाग लिया।