अपने तकनीक की मदद से सुधांशु अपने बगीचे में तापमान नियंत्रित रखने में मदद हासिल करते हैं. 70 बीघे में लगे फसल की निगरानी, सिंचाई और खेत में लगे पौधों तक पानी-खाद पहुंचाने के लिए सुधांशु कुमार ने अपने खेत को वायरलेस ब्रॉडबैंड इंटरनेट से जोड़ दिया है.
नई दिल्ली: देश के किसानों की बदहाली और आत्महत्या की खबरें आप बहुत पढ़ते होंगे. हम आपको अपनी खेती किसानी सीरीज में उन किसानों के बारे में बता रहे हैं जो अपने इनोवेटिव आइडिया और आधुनिक तकनीक की मदद से काफी कमाई कर रहे हैं. आज हम आपको बिहार के समस्तीपुर के एक किसान सुधांशु कुमार की कहानी बता रहे हैं. सुधांशु कुमार अपने आसपास के ही नहीं बल्कि देश के करोड़ों किसानों के लिए एक मिसाल बन गए हैं.
समस्तीपुर जिले से करीब 40 किलोमीटर दूर हसनपुर प्रखंड के नया नगर के सुधांशु कुमार अपनी 70 बीघा जमीन में आधुनिक तरीके से खेती करते हैं जिससे वे साल में ₹80 लाख तक कमाते हैं. सुधांशु ड्रिप इरिगेशन और माइक्रो स्प्रिंकलर की मदद से अपने बगीचे की सिंचाई करते हैं. इसकी वजह से उनके लीची के बाग में पानी बर्बाद भी नहीं होता और लीची की बेहतरीन फसल होती है.
अपने तकनीक की मदद से सुधांशु अपने बगीचे में तापमान नियंत्रित रखने में मदद हासिल करते हैं. 70 बीघे में लगे फसल की निगरानी, सिंचाई और खेत में लगे पौधों तक पानी-खाद पहुंचाने के लिए सुधांशु कुमार ने अपने खेत को वायरलेस ब्रॉडबैंड इंटरनेट से जोड़ दिया है.
खेत में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जिसे स्मार्ट फोन और लैपटॉप से जोड़कर सिंचाई प्रणाली को कहीं से भी नियंत्रित किया जा सकता है.अपने खेत में समय पर सिंचाई और आधुनिक तकनीक से खाद देकर इलाके के किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं.
सुधांशु कुमार आधुनिक तरीके से खेती करने के लिए देश भर में मशहूर हो रहे हैं. 70 बीघे के खेत में उन्होंने 27000 फलों के पेड़ लगाए हैं. इनमें आम, लीची, अमरूद, केला, मौसमी, शरीफा और नींबू के पेड़ शामिल है.
प्रयोग के रूप में सुधांशु में जामुन, बेर, बेल, कटहल, चीकू और मीठी इमली की भी खेती कर रहे हैं. लीची की बिक्री से सुधांशु 22 लाख रुपए सालाना कमाते हैं. आम का बाग उन्होंने 13 लाख रुपए में बेचा है. इसी तरह 16 बीघा में केले लगाए थे. छठ पूजा से ठीक पहले 35 लाख रुपए के केले की बिक्री हुई थी. कुल मिलाकर देखा जाए तो आधुनिक तकनीक से फल की खेती करने में किसान को काफी कमाई हो सकती है.
किसान सुधांशु कुमार ने खेती के साथ ही कड़कनाथ मुर्गी पालन शुरू किया है. इसके अलावा वे डेरी का भी कारोबार करते हैं. अपने खेत में ही कुमार ने कड़कनाथ मुर्गे के 500 चूजे पाले हैं. अलग-अलग नस्ल की गाय को पाल कर वे डेयरी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं.
सुधांशु कुमार को उन्नत खेती के लिए कई अवार्ड मिल चुके हैं. सुधांशु कुमार ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद केरल में टाटा टी के गार्डन में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी की, लेकिन इसमें उनका मन नहीं लगा और नौकरी छोड़कर गांव चले आए. इसके बाद उन्होंने आधुनिक तरीके से खेती शुरू की. सुधांशु साल 1990 से खेती कर रहे हैं और आर्थिक लाभ बढ़ाने के लिए सुधांशु हमेशा वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं.