फतेहपुर सीकरी की रॉक पेंटिंग को नए साल में मिलेगी नई पहचान, सात हजार वर्ष पुरानी है यह कला

फतेहपुर सीकरी के पतसाल, रसूलपुर, जाजौली, बदरौली की पहाड़ियों में बनी रॉक पेटिंग्स को संरक्षित किया जाएगा। एएसआई ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे मुख्यालय भेजा जाएगा।

पत्थरों पर बनी है पेंटिंग
पत्थरों पर बनी है पेंटिंग

आगरा के फतेहपुर सीकरी की पहाड़ियों में बने भित्ति चित्रों (रॉक पेंटिंग्स) को नए साल में नई पहचान मिलेगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने फतेहपुर सीकरी के चार गांवों की पहाड़ियों में बनीं रॉक पेंटिंग को संरक्षित धरोहर घोषित करने की तैयारी कर ली है। पेंटिंग संरक्षित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसे एएसआई मुख्यालय भेजा जाएगा। नए साल से पहले प्रारंभिक अधिसूचना और नए साल में अंतिम अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।

फतेहपुर सीकरी के चार गांवों रसूलपुर, पतसाल, जाजौली (मदनपुरा) और बदरौली की लाल पत्थर की पहाड़ियों में रॉक पेंटिंग्स बनी हुई हैं। इसे संरक्षित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। एएसआई आगरा सर्किल में सर्वेयर न होने केकारण देहरादून से सर्वेयर को बुलाकर सर्वे कराया गया। हर शेल्टर की एक-एक पेंटिंग का सर्वे कर रिकार्ड बनाया गया है। चारों गांवों के राजस्व रिकार्ड और नाम को तय कर रिपोर्ट कर ली गई है।

लाल, काले रंग से बनाई रॉक पेंटिंग

पतसाल समेत चारों गांव की पहाड़ियों पर बनीं पेंटिंग में लाल और काले रंगों का प्रयोग किया गया है। यह पेंटिंग लगभग सात हजार साल पुरानी मानी गईं हैं। वर्ष 1959 में इन पर शोध पत्र प्रकाशित हुआ था।

1980 के दशक में रॉक आर्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के सचिव डॉ. गिरिराज कुमार ने इन पेंटिंग पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रसूलपुर में 12, जाजौली में आठ, पतसाल में चार और मदनपुरा में तीन रॉक शेल्टर्स में पेंटिंग हैं। इन पेटिंग्स में पेड़-पौधों, पशु समूह, नृत्य, हथियारों का चित्रण किया गया है। दांत वाले हाथी, नील गाय, सांड इन पेंटिंग्स में प्रदर्शित हैं।

अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल ने बताया कि फतेहपुर सीकरी के गांवों की पहाड़ियों में रॉक पेंटिंग को संरक्षित करने का प्रस्ताव तैयार हो गया है। राजस्व रिकार्ड और ऑनसाइट वेरीफिकेशन का काम जारी है। यह पूरा होते ही प्रारंभिक अधिसूचना के लिए भेज दिया जाएगा।