तीन साल की उम्र में पिता की मौत, मां ने मजदूरी कर पाला, अब बिटिया साइकिल से देखेगी पूरा देश

आशा राजूबाई मालवीय साइकिल से निकली भारत भ्रमण पर

पहले लड़कियों को घर की चारदीवारी तक ही सीमित रखते थे। वक्त के साथ लोगों की सोच में बदलाव आया है। बेटियां बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। मध्यप्रदेश की आशा राजूबाई मालवीय भी इनमें से एक है। आशा पहले नेशनल प्लेयर बनी फिर पर्वतारोही बनकर प्रदेश का नाम रोशन किया। अब यह लाड़ली 20 हजार किमी की साइकिल यात्रा पर निकली है। वह साइकिल से देश के हर कोने में जाएगी।

प्रदेश के राजगढ़ जिले स्थित खिलचीपुर ब्लॉक के नाटाराम गांव की 24 वर्षीय आशा राजूबाई मालवीय दो बहनों में सबसे बड़ी है। तीन साल की उम्र में पिता की मौत हो गई है। गरीब परिवार में पली-बढ़ी आशा और उसकी छोटी बहन को लेकर मां अपने पिता के घर आ गई। यहां पर मजदूरी कर दोनों बेटियों को पढ़ाया।

आशा ने बताया कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने और मजदूरी नहीं मिलने से कई बार भूखे सोए। छठी में पहुंची तो छह किमी दूर छापेड़ा गांव में स्कूल था। दो साल तक पैदल आना-जाना किया। कक्षा आठवीं में परिवार के परिचित आशाराम शर्मा ने पुरानी हीरो साइकिल दी। उस समय ही साइकिल चलाना सीख गई। घर में बड़ी बेटी होने की वजह से जिम्मेदारी का अहसास था। 12वीं कक्षा में पढ़ाई के समय गाड़ियों के शोरूम में काम कर अपनी पढ़ाई और घर खर्च में मदद की।

मंत्री उषा ठाकुर ने आशा को फ्लैग ऑफ कर रवाना किया
बीपीएड की डिग्री लेने वाली आशा ने बताया कि वह स्पोर्ट्स में स्कूल से कॉलेज तक एथेलेटिक्स में तीन नेशनल गेम्स खेल चुकी हैं। दो में कास्य और ब्रॉन्ज मेडल भी जीतने में सफल हुई। आशा अपनी साइकिल से देश देखने की यात्रा को लेकर बताया कि 2019 में उन्होंने नेपाल-भूटान-बांग्लोदश की सीमा पर स्थित 19 हजार 545 फीट के तेनजिंग खान और 2021 में 20 हजार 500 फीट बीसी राय बर्फिली चोटियों पर तिरंगा फहराया। उस समय पर्यावरण संरक्षण को लेकर कुछ करने की इच्छा जागी। इस बीच कोरोना के समय ने उसे ऐसा करने के लिए मन को और मजबूत कर दिया।

आशा ने बताया कि जब वह यात्रा शुरू करने को लेकर लोगों के पास मदद मांगने गई तो उन सबने दुत्कारा। कुछ ने तो कहा कि लड़की कैसे अकेले भारत भ्रमण करेगी। नकारात्मक लोगों से एक बार इच्छा शक्ति भी जवाब देने लगी। एक महीने पहले संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर से मिलने का मौका मिला और उन्हें अपनी इच्छा बताई। उन्होंने उत्साह दिखाया और पर्यटन बोर्ड की तरफ से साइकिल और साइकिलिंग किट भेंट की गई।

आशा ने यात्रा को लेकर कहा कि मैं इस सफर को दुनिया की ऐसी यात्रा बनाना चाहती हूं कि दुनिया में संदेश जाए कि मध्यप्रदेश समेत भारत में बेटियां कितनी सुरक्षित हैं। साथ ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर जनता को जागरूक करना यात्रा का उद्देश्य है।

11 महीने लगातार साइकिल से भारत भ्रमण करेगी आशा

एक नवंबर को भोपाल से शुरू यात्रा में आशा ने 50 से 100 किमी रोज साइकिल चलाने का प्लान बनाया है। गुरुवार को आशा आष्टा से देवास पहुंची। आशा ने बताया कि वह पूरे 28 राज्यों में साइकिल से भ्रमण करेगी। उनकी यात्रा 11 महीने बाद दिल्ली में खत्म होगी।

मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड के अपर प्रबंध संचालक विवेक श्रोत्रीय ने कहा कि मध्यप्रदेश महिलाओं के लिए सुरक्षित पर्यटन का केंद्र है। इस उद्देश्य से भी आशा सोलो यात्रा कर रही है। इसे दृष्टिगत रखते हुए बोर्ड ने देश भ्रमण करने साइकिल एवं साइकिलिंग किट प्रदान की है। साइकिल पर किसी इमरजेंसी के लिए संपर्क नंबर, ब्लड ग्रुप लिखा है। प्रदेश में आशा की सुविधा के लिए जिला प्रशासन को भी मदद करने के लिए लिखा है।