पिता फैक्ट्री मजदूर, बेटा ने बिना ट्यूशन मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई की और 12वीं में ले आया 98%

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हालात ही हैं जो इंसान को कमजोर भी बनाते हैं और मजबूत भी. ये इंसान की सोच और इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है कि वह अपने हालातों के आगे हार मान कर सब कुछ वैसे ही चलने देगा, जैसा चलता आ रहा था या फिर उनसे लड़कर अपना और अपनों का भविष्य संवारेगा.  

प्राप्त किये 98.40% मार्क्स 

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जयपुर के गौतम शर्मा उनमें से हैं जिनकी सोच और इच्छाशक्ति दोनों मजबूत हैं. वह जानते हैं उन्हें अपनी बुरी परिस्थितियों से कैसे लड़ना है और कैसे इनसे बाहर निकलना है. गौतम शर्मा ने 12th आट्‌र्स में 98.40% मार्क्स हासिल किए हैं. जयपुर के इस टॉपर को अपनी पढ़ाई के लिए अपने शौक मारने के साथ साथ काफी संघर्ष भी करना पड़ा है. 

फी अच्छा क्रिकेट खेलते हैं लेकिन इस खेल की वजह से उन्होंने अपनी पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी. पढ़ाई की ही वजह से उन्होंने पिछले 1 साल से क्रिकेट नहीं खेला. स्कूल से घर आने के बाद गौतम ने हर रोज 5 से 6 घंटे सेल्फ स्टडी की है. 

खुद से की पढ़ाई 

Gautam Sharma Bhaskar

बता दें कि गौतम एक ऐसे परिवार से आते हैं जिसकी आर्थिक स्थिति उतनी मजबूत नहीं कि हर सुख सुविधा पूरी की जा सके. उनके पिता एक गलीचा फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण ही गौतम ने ट्यूशन ज्वाइन नहीं की. वह खुद से ही घर पर पढ़ाई करते थे. 

कठिनाइयों से नहीं हारे 

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इस दौरान भी उनके सैन कई कठिनाइयां आईं. कोयला संकट के दौरान जब हर तरफ बिजली की कटौती हो रही थी तब गौतम भी परेशानियों से जूझ रहे थे. इस लोगों के घरों में घंटों तक बिजली नहीं आती थी, जिस वजह से गौतम के घर में भी अंधेरा रहता था. ऐसे में गौतम मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ते थे. 

बेटे को परेशानी से जूझता देख पिता गिर्राज शर्मा से रहा नहीं गया और वह गौतम के लिए एक चार्जिंग बल्ब खरीद लाए. इस एक बल्ब से गौतम को काफी राहत मिली और इसी की रोशनी में उन्होंने घंटों तक पढ़ाई की. ये गौतम की मेहनत और परिवार का साथ ही था जिस वजह से गौतम 98% नंबरों का आंकड़ा भी पार कर गए. 

गौतम अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करना चाहते हैं. इसके साथ ही वह भविष्य में एक आईएएस अधिकारी बनना चाहते हैं. हम कामना कटे हैं कि गौतम इसी लग्न और मेहनत के साथ पढ़ते रहें तथा भविष्य में कामयाबी हासिल करें.