पिता मुकेश अंबानी ने देखी छोटे बेटे अनंत की लगन और थमा दिया एनर्जी बिजनस का साम्राज्य

आज पूरी दुनियाभर की सरकारों का फोकस ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर है। भारत में भी सोलर, हाइड्रोजन जैसे ऊर्जा के स्वच्छ साधनों पर खासा जोर है। ऐसे में देश के सबसे बड़े कारोबारी समूह रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने एनर्जी बिजनस में आमूल-चूल परिवर्तन लाने की ठान ली है। इसके लिए भारी मात्रा में निवेश का ऐलान किया गया है तो आरआईएल चेयरमैन ने अपने छोटे बेटे अनंत अंबानी को एनर्जी बिजनस की जिम्मेदारी भी दे दी है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने अपने तीनों बच्चों के बीच कारोबार का बंटवारा कर दिया है। उन्होंने आरआईएल की 45वें वार्षिक आम सभा (AGM) में बताया कि बेटी ईशा को रीटेल, टेलिकॉम बड़े बेटे आकाश अंबानी जबकि एनर्जी बिजनस छोटे बेटे अनंत अंबानी को सौंप दिया है। आरआईएल चेयरमैन ने इसकी जानकारी देते हुए अनंत अंबानी की काफी तारीफ की और बताया कि उनके छोटे बेटे ने बिजनस की जिम्मेदारियों को कितनी गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि अनंत एनर्जी सेक्टर के कारोबार में काफी गहरी दिलचस्पी ले रहे हैं और वो भविष्य को लेकर बहुत उत्साहित हैं। ध्यान रहे कि अनंत अंबानी वही शख्स हैं जिन्होंने बहुत कम समय में मोटापे की समस्या से उबरकर हर किसी को हैरत में डाल दिया है। इससे उनकी संकल्प शक्ति और लक्ष्य के प्रति समर्पण के भाव को दर्शाता है। यही वजह है कि अनंत के जिम्मे उस सेक्टर का बिजनस दिया गया जिसकी तरफ पूरी दुनिया की नजर है। जहां तक भारत की बात है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ग्रीन एनर्जी पर काफी जोर दे रहे हैं। ध्यान रहे कि ग्रीन एनर्जी को ही क्लीन एनर्जी और रीन्यूएबल एनर्जी से जोड़कर देखा जाता है।

​18 महीने में 108 किलो वजन घटाकर दिखा दिया दम

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दरअसल, अनंत को अस्थमा की समस्या है। इसके इलाज में दी गई दवाइयों ने उनका वजन तेजी से बढ़ा दिया। एक वक्त था जब अनंत जापानी सुमो पहलवान जैसे दिखते थे, लेकिन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम देखिए- आज वो बिल्कुल स्लिम-ट्रिम हो गए हैं। उन्होंने इतना अनुशासित जीवन जिया कि सिर्फ 18 महीनों में 108 किलो वजन घट गया। इसके लिए वो हर दिन करीब 21 किमी टहलते थे। उन्होंने वजन कम करने की ट्रेनिंग ली, बेहद कठिन कार्डियो एक्सरसाइज और योग किया करते थे। साथ ही, उन्होंने भोजन को लेकर भी काफी सावधानियां बरतीं और वो मीठा एवं ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाला खाना खाने से बचने लगे। अनंत अंबानी को जानवरों से काफी लगाव है। उन्हें पालतू और जंगली जानवरों को लेकर काफी जानकारी होती है। आरआईएल चेयरमैन के छोटे लाडले काफी आध्यात्मिक इंसान हैं। उनकी भगवान बालाजी में काफी आस्था है। वो तिरुमाला के वेंकटेश्वर मंदिर भी अक्सर जाते रहते हैं। उन्होंने बालाजी को पवित्र सफेद हाथी भी दान किया।

​अनंत के हिस्से आया एनर्जी बिजनस

ध्यान रहे कि रिलायंस के तीन बड़े कारोबार हैं- पहला ऑइल रिफाइनिंग एवं पेट्रोकेमिकल्स, दूसरा रीटेल और तीसरा डिजिटल सर्विसेज जिसमें टेलिकॉम भी शामिल है। रीटेल बिजनस के लिए रिलायंस रीटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) जबकि डिजिटल सर्विसेज के लिए जियो प्लैटफॉर्म्स लिमिटेड (JPL) तैयार कर दिया गया है। चूंकि तीनों बिजनस आकार में करीब-करीब बराबर हैं। आकाश और ईशा क्रमशः टेलिकॉम और रीटेल को देख रहे हैं जबकि अनंत को नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) की कंपनी में डायरेक्टर बनाया गया है। कंपनी का फोकस मौजूदा और नए वैल्यु चेन्स के विस्तार पर है। अनंत को हाल में आरआरवीएल में भी डायरेक्टर का पद मिल गया है। वो मई 2020 से ही जियो प्लैटफॉर्म्स लिमिटेड (JPL) के डायरेक्टर थे। आकाश और ईशा आरआरवीएल के बोर्ड में अक्टूबर 2014 से ही थे।

​ग्रीन एनर्जी में क्रांति लाएंगे अनंत अंबानी?

रिलायंस इंडस्ट्रीज ग्रीन एनर्जी बिजनस में अगले तीन वर्षों में 75 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने का फैसला किया है। कंपनी का फोकस मौजूदा और नए वैल्यु चेन्स को विस्तार देने पर है। इसके लिए अंबानी ने जामनगर में पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर सिस्टम में नई फैक्ट्री लगाने का ऐलान कर दिया है। कंपनी का लक्ष्य 2023 तक बैटरी पैक्स का उत्पादन शुरू करने का है। फिर इसे पहले वर्ष 2024 तक इसे बढ़ाकर 5 गीगा हर्ट्ज और 2027 तक 50 गीगा हर्ट्ज किया जाएगा। कंपनी ने कहा है कि 2024 तक 10 वॉट सोलर फोटोवोल्टैक सेल फैक्ट्री भी लगाएगी। रिलायंस 2025 तक ग्रे हाइड्रोजन से ग्रीन हाइड्रोजन की तरफ कदम बढ़ाएगी। एनर्जी बिजनस में सोलर, बैटरी और हाइड्रोजन ऊर्जा के क्षेत्रों में हुए निवेश शामिल हैं। रिलायंस ने बेहद खर्चीले स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र की तरफ काफी मजबूती से कदम बढ़ा दिया है। अनुमान है कि कंपनी अगले दशक तक वह ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में अपना झंडा गाड़ देगी।

​पिता मुकेश अंबानी ने भी माना लोहा

रिलायंस की वार्षिक आम सभा (AGM) में मुकेश अंबानी ने बताया कि उनके छोटे पुत्र अनंत अंबानी न्यू एनर्जी के बिजनस में गहरी दिलचस्पी ले रहे हैं। वो अपनी जिम्मेदारी के प्रति कितना सजग हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो अपना ज्यादातर वक्त जामनगर में ही बिताते हैं। गुजरात के जामनगर में ही कंपनी का तेल शोधक कारखाना (Refinery) है। रिलायंस के एनर्जी सेक्टर का प्रमुख कारोबार तेल और रसायनों (Oil to chemicals) का है जो पूरे कंपनी समूह (रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड यानी RIL) को 100 अरब डॉलर के रेवेन्यू देता है। जियो और रीटेल भी काफी बड़े बिजनस हैं। इन दोनों को इस वित्त वर्ष के आर्थिक परिणामों में अलग-अलग कंपनी के तौर पर पेश किया गया।

​दुबई में नई हवेली

आकाश को इसी वर्ष जून में रिलायंस जियो इन्फोकॉम का चेयरमैन घोषित किया गया था। हालांकि, ईशा और अनंत के लिए ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई थी। आकाश, ईशा और अनंत टेलिकॉम, रीटेल और एनर्जी बिजनस के बोर्ड में तो हैं, लेकिन कोई मूल कंपनी आरआईएल के बोर्ड में नहीं हैं। मुकेश अंबानी ने कहा, ‘तीनों ने हमारे संस्थापक (धीरूभाई अंबानी) की तरह सोचते हैं। तीनों लीडर्स और प्रफेशनल्स की युवा टीम में शानदार हैं। यह टीम रिलायंस में जबर्दस्त काम कर रही है। तीनों को हमारे सीनियर लीडर्स हर दिन सिखाते-बताते रहते हैं जिनमें मैं और बोर्ड के डायरेक्टर्स शामिल हैं।’ अनंत के लिए दुबई में एक शानदार हवेली खरीदी गई जिसकी कीमत 8 करोड़ डॉलर (करीब 640 करोड़ रुपये) है। पाम जुमैरा (Palm Jumeirah) की यह प्रॉपर्टी इसी वर्ष खरीदी गई है।

​बढ़ रहा है धीरूभाई अंबानी का कारोबारी साम्राज्य

मुकेश अंबानी ने वर्ष 2002 में पिता धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद बतौर चेयरमैन आरआईएल की कमान संभाली थी। उन्होंने पहली बार दिसंबर 2021 में सक्सेशन प्लान पर चर्चा की थी। तब उन्होंने कहा था कि नई पीढ़ी कारोबारी साम्राज्य को संभालने को तैयार है। धीरजलाल हीराचंद अंबानी यानी धीरूभाई अंबानी ने वर्ष 1973 में रिलायंस की स्थापना की थी। उनके नेतृत्व में कंपनी का विस्तार कपड़े से लेकर तेल और टेलिकॉम तक हुआ। लेकिन 2002 में उनके अचानक निधन से परिवार में फूट पड़ गई। मुकेश अंबानी और छोटे भाई अनिल अंबानी के बीच मतभेद उभरने लगे। तीन वर्षों की कड़वाहट भरे रिश्तों के बाद मां कोकिलाबेन ने 2005 में रिलायंस की संपत्ति का बंटवारा कर दिया। मुकेश को रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल्स, तेल एवं गैस और टेक्सटाइल बिजनस दिया गया जबकि अनिल के हिस्से टेलिकॉम, ऐसेट मैनेजमेंट, एंटरटेनमेंट और पावर जेनरेशन बिजनस आए। मुकेश अंबानी ने समय के साथ-साथ अपने कारोबार को मजबूत किया और उसका विस्तार किया जबकि अनिल अंबानी का साम्राज्य बिखर गया।