छतीसगढ़ का धमतरी जिला इस समय सुर्खियों में है. इसका कारण ये है कि अब इस जिले के तीन होनहार बेटे-बेटियां आईएएस की कुर्सी पर बैठेंगे. इन तीनों ने संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा पास कर ली है. इन तीनों में एक नाम प्रखर चंद्राकार का है. रेलवे की नौकरी कर रहे प्रखर ने यूपीएससी परीक्षा पास कर ऑल इंडिया 102वां रैंक प्राप्त किया है.
पिता का सपना हुआ पूरा
हर पिता अपने बच्चे के लिए खुद से बड़ा सपना देखता है और ये सपना जब पूरा होता है तो उस पिता से ज्यादा खुश और कोई नहीं हो सकता. प्रखर के पिता ओमप्रकाश चंद्राकार भी आज खुशी से फूले नहीं समय रहे होंगे. दरअसल, ओमप्रकाश धमतरी कलेक्ट्रेट में कार्यरत हैं और अब उनका बेटा ऐसे ही कार्यालय की मुख्य कुर्सी पर बैठेगा. ऐसे में उनसे ज्यादा खुश भला और कौन हो सकता है.
मां हैं शिक्षिका
वहीं प्रखर की मां चम्पा चंद्राकार धमतरी जिले के धमतरी ब्लाक के हटकेसर मिडिल स्कूल में प्रधान पाठक हैं. प्रखर के छोटे भाई बीएड के छात्र है. प्रखर अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय अपने माता पिता को देते हैं. हमेशा से एक मेधावी छात्र रहे प्रखर ने यूपीएससी की परीक्षा में अपनी काबिलियत साबित कर दी है. उन्होंने मॉडल इंग्लिश स्कूल से 12वीं पास की. इसके बाद उन्होंने एनआईटी रायपुर से बीटेक किया. उनकी पहली नौकरी एनटीपीसी में इंजीनियर के रूप में लगी. इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश में अपना पड़ संभाला.
अपनी इसी नौकरी के बीच वह छुट्टी लेकर यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली गए. इस दौरान उनका चयन रेलवे में हो गया. वह रेलवे में असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर काम कर रहे हैं तथा संबलपुर ओडिशा में कार्यरत हैं.
सपना हुआ पूरा
रेलवे की नौकरी से भी प्रखर संतुष्ट नहीं थे. उन्हें आईएएस बन कर अपना सपना पूरा करना था. ऐसे में रेलवे की नौकरी में रहते हुए ही प्रखर ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू की. 26 वर्षीय प्रखर ने दो साल पहले ही तैयारी शुरू की थी. इसके बाद उन्होंने पहली बार यूपीएससी परीक्षा दी. हालांकि पहले प्रयास में प्रखर सफल नहीं हो पाए. इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत बढ़ा दी. जिसका नतीजा इस बार देखने को मिला और उन्होंने 102वां रैंक हासिल कर लिया.
प्रखर का रैंक 102 है. जनरल कैटेगिरी में आईएएस के 72 और ओबीसी में 49 रिक्तियां इस वर्ष हैं. इस तरह प्रखर का आईएएस बनना तय है. प्रखर ने बचपन में आईएएस बनने की ठानी थी और अब वो अपने इस सपने को पूरा कर पाएंगे. आज उनके परिवार ही नहीं, बल्कि उनके पूरे राज्य को उनपर गर्व है.