सत्ता विरोधी लहर का डर भाजपा पर हुआ हावी, नड्डा के दखल के बाद पार्टी ने देहरा और ज्वालामुखी में बदले प्रत्याशी
सत्ता विरोधी लहर का डर भाजपा पर हावी हो सकता है,, जेपी नड्डा के दखल के बाद पार्टी ने देहरा और ज्वालामुखी में बदले प्रत्याशी बदले गए ,, काँगड़ा मे होशियार की अनदेखी से भी समीकरण बदल चुके है,,, अब जातीय समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं,,, वहीं राजपूतो की नाराजगी का भी नुक्सान हो सकता है ,,, आज इन्ही सभी मुद्दों पर आपके साथ चर्चा करेंगे
हिमाचल में चुनाव सर पर है और चुनावी सरगर्मियां भी अब तेज होती जा रही है ,,, इसी बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अपने आंतरिक सर्वे और सत्ता विरोधी लहर की वजह से डरी भाजपा ने कांगड़ा जिला के देहरा और ज्वालामुखी चुनाव क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी बदलने के फैसले पर मुहर लगा दी है ,,, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के दखल बाद ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला के घर डिनर पर आयोजित बैठक में नए फार्मूले पर सहमति बनी है ,,, भाजपा के इस निर्णय से एक ही झटके में भाजपा में हाल ही में शामिल हुए देहरा के निर्दलीय विधायक होशियार सिंह और पूर्व विधायक योग राज की उम्मीदों पर पानी फिर गया है ,,, पिछले कई दिनों से ज्वालामुखी और देहरा सीट पर टिकट को लेकर चल रहे घमासान के अब खत्म होने के आसार हैं ।
बताया जा रहा है कि नड्डा ने अपने हिमाचल दौरे के दौरान जिला कांगड़ा की राजनीतिक स्थिति का फीडबैक लिया ,, तो उन्हें पार्टी में चल रही उठापटक की जानकारी मिली ,,, जिसके बाद उन्होंने हमीरपुर में देहरा उपमंडल की ज्वालामुखी, देहरा और जसवां परागपुर के नेताओं के साथ बैठक की ,,, इस बैठक के बाद बिलासपुर में नड्डा के साथ बैठक में पार्टी प्रभारी अविनाश राय खन्ना औऱ केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ ताजा हालात पर मंथन किया गया ,,, अनुराग ठाकुर और अविनाश राय खन्ना को रमेश धवाला व रविन्द्र सिंह रवि को मनाने का जिम्मा सौंपा गया ,,, नेताओं के दखल के बाद रमेश धवाला व रविन्द्र सिंह रवि भी एक टेबल पर साथ बैठने को तैयार हो गए ,,, उसके बाद रमेश धवाला के घर पर अविनाश राय खन्ना और अनुराग ठाकुर ने डिनर पर रमेश धवाला और रविन्द्र सिंह रवि की बैठक करवाई और रमेश धवाला व रविंद्र रवि के चुनाव क्षेत्र बदलने पर मुहर लगा दी गई है ।
ज्वालामुखी के मौजूदा विधायक रमेश धवाला ने ज्वालामुखी में 1998 से 2017 तक पांच चुनाव लड़कर चार बार जीत दर्ज की, जबकि 2012 में चुनाव हार गए थे ,,, लेकिन 2017 के चुनाव जीतने के बाद भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा से अनबन के चलते धवाला अपनी ही सरकार में हाशिये पर रहे,, हालांकि, सरकार ने उन्हें योजना बोर्ड का उपाध्यक्ष भी बनाया । लेकिन धवाला इसे असंतुष्ट ही रहे,,,, यही वजह है कि धवाला को इस बार ज्वालामुखी में अपना टिकट कटने का खतरा पैदा हुआ तो उन्होंने बागी तेवर अपनाते हुए कह दिया कि वह हर सूरत में चुनाव लडेंगे ,,, रमेश धवाला ओबीसी नेता हैं और उनके भाजपा से बगावत पर भाजपा को ओबीसी वोट बैंक के टूटने का खतरा पैदा होने लगा ।
दूसरी ओर देहरा से पिछला चुनाव हारे भाजपा नेता पूर्व मंत्री रविन्द्र सिंह को मनाना भी आसान नहीं था । रविन्द्र सिंह रवि को देहरा में पिछली बार हराने वाले निर्दलीय विधायक होशियार सिंह की एंट्री भाजपा में हुई, तो देहरा भाजपा में बवाल मच गया और पूरा मंडल बागी हो गया ,,, खुद रविन्द्र सिंह रवि ने भी शर्त रख दी कि अगर होशियार सिंह को देहरा में रखना है, तो उन्हें सुलह या ज्वालामुखी से टिकट दिया जाये ,,, डिलिमिटेशन के बाद थुरल हल्के का एक हिस्सा ज्वालामुखी, तो दूसरा सुलह में मिला है । इसी वजह से रवि अपनी दावेदारी जताने लगे,,,, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के बेहद करीबी रविन्द्र सिंह रवि ने उन्हें जानबूझकर कमजोर करने का आरोप लगाया ,, रवि के बागी तेवरों का नुकसान भाजपा को होने का अंदेशा था । यही वजह थी कि पार्टी रवि को भी नाराज करने का जोखिम नहीं ले पाई ।