भारतीय रेलवे ने अगस्त 2023 तक 75 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के प्रोडक्शन का लक्ष्य रखा है. इसके तहत जल्द ही देश में नए डिजाइन वाली, अधिक आधुनिक सुविधाओं से लैस 2 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें रेल पटरियों पर दौड़ती नजर आएंगी. रेलवे के मुताबिक 115 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से प्रत्येक वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का निर्माण किया जाएगा. इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई, 16 डिब्बों वाली सेमी-हाई स्पीड 2 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण इस साल 15 अगस्त से पहले कर लेगा और परीक्षण के लिए इन ट्रेनों को पटरियों पर उतारा जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में कहा था कि उनकी सरकार का लक्ष्य अगस्त 2023 तक भारत के 75 शहरों को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन से जोड़ने का है.
प्रधानमंत्री मोदी के इस वादे को पूरा करने के लिए चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का कार्य तेजी से काम चल रहा है. रेलवे की इसी फैसिलिटी में 75 वंदे भारत ट्रेनों का प्रोडक्शन किया जाएगा. नई वंदे भारत ट्रेनें पुरानी ट्रेनों से ज्यादा एडवांस होंगी.
रेलवे के मुताबिक 16 कोच वाले एक वंदे भारत ट्रेन सेट के प्रोडक्शन में 115 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च आएगा. इन सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों में से 2 का परीक्षण इसी साल अगस्त में किया जाएगा. चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में ये दो ट्रेनें निर्माण के अपने अंमित चरण में हैं.
वंदे भारत ट्रेन की अधिकतम स्पीड 160 किमी प्रति घंटा है. इस ट्रेन के नए कोच पहले के मुकाबले हाईटेक टेक्नोलॉजी से लैस होंगे. यात्रियों के लिए पहले से ज्यादा आरामदायक सीटें दी जाएंगी. किसी इमरजेंसी में यात्री, लोको पायलट से डायरेक्ट बात कर सकेंगे. इसकी सुविधा ट्रेन के हर कोच के अंदर रहेगी.
नई वंदे भारत ट्रेनों में एसी-1, एसी-2 और एसी-3 स्लीपर कोच मौजूद होंगे. वर्तमान में जो वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं, उनमें केवल सीटिंग फैसेलिटी उपलब्ध है. फिलहाल भारतीय रेल दो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन कर रहा है. एक ट्रेन दिल्ली से कटरा के बीच, दूसरी ट्रेन दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाई जा रही है.
आईसीएफ चेन्नई जीएम अतुल के. अग्रवाल ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि नई वंदे भारत ट्रेनों में जीपीएस आधारित प्रणाली भी रहेगी, जिससे रनिंग स्टेटस पता चल सकेगा. इन ट्रेनों में कुछ छोटे हिस्सों को छोड़कर बाकी सब कुछ मेक इन इंडिया होगा. इन ट्रेनों में स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ भी रहेगा.
भारतीय रेलवे के एडीजी (पीआर) राजीव जैन ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि नई वंदे भारत ट्रेनों में स्वचालित मुख्य द्वार होगा, जिसका नियंत्रण लोको पायलट के पास होगा. ट्रेन के डिब्बों में यात्रियों के प्रवेश के लिए सेंसर डूर होंगे, जो अपने आप खुलेंगे और बंद होंगे. लगेज के लिए अधिक स्पेस होगा.
सुरक्षा उपायों में प्रति कोच चार आपातकालीन खिड़कियां होंगी. चेन्नई आईसीएफ हर महीने लगभग 10 ट्रेनों के निर्माण की योजना बना रहा है. रायबरेली में एफ-कपूरथला और मॉडर्न कोच फैक्ट्री भी अगले 3 वर्षों में 400 वंदे भारत ट्रेनों के लक्ष्य को पूरा करने के लिए इनके डिब्बों का निर्माण किए जाने की योजना है.