India China News : भारतीय वायुसेना की फुर्ती एक दिन पहले ही देश देख चुका है। जैसे ही आसमान में देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हुआ सुखोई फाइटर जेट उड़ान भर चुके थे। आखिर ईरान से चीन जा रहा प्लेन वापस अपने रास्ते लौट गया। अब एयरफोर्स चीफ ने चीन बॉर्डर को लेकर महत्वपूर्ण बात कही है।
सामान्य कैसे होंगे हालात?
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि लद्दाख सेक्टर समेत सीमा पर चीनी गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है और वायुसेना की समग्र तैयारी निरंतर प्रयासों का हिस्सा है। एयरफोर्स को इससे फर्क नहीं पड़ता कि उसे चीन की तरफ से कोई चुनौती नजर आती है या नहीं। वह आठ अक्टूबर को वायुसेना दिवस से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति सामान्य करने के लिए मानक यह होगा कि एलएसी से लगे सभी बिंदुओं से (सैनिकों की) पूर्ण वापसी हो और यथास्थिति बहाल हो। यही वह स्थिति है जिसकी हम तलाश कर रहे हैं।’
उनकी टिप्पणी चीनी दूत सुन वेइदॉन्ग की ओर से यह दावा किए जाने के कुछ दिनों बाद आई है कि सीमा पर स्थिति समग्र रूप से स्थिर है और दोनों पक्ष जून 2020 में गलवान घाटी की झड़प के बाद आपातकालीन प्रतिक्रिया से आगे बढ़ गए हैं और सामान्य प्रबंधन की तरफ अग्रसर हैं।
बॉर्डर पर राडार बढ़ाए गए
भारत पूर्वी लद्दाख में गतिरोध से पहले की यथास्थिति बहाल करने पर जोर देता रहा है। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन की हवाई घुसपैठ और सैन्य गतिविधियों की खबरों के बारे में पूछे जाने पर, एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि इस मुद्दे को चीनी सेना के साथ उठाया गया था और विरोधी की सभी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा, ‘जहां तक चीन द्वारा हाल ही में किए गए हवाई उल्लंघन या घुसपैठ या बढ़ी हुई हवाई गतिविधि का संबंध है, हम वहां अपने वायु रक्षा प्रयासों को लगातार बढ़ाकर इसकी सतत निगरानी करते हैं। हमने राडार की मौजूदगी बढ़ा दी है।’
उन्होंने कहा, ‘उचित और तनाव न बढ़ाने वाले उपाय किए गए हैं। मुझे लगता है कि हम अब तक की गई कार्रवाइयों के साथ अपने इरादे और अपनी तैयारी की स्थिति का संकेत देने में सक्षम हैं।’ एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच विश्वास बहाली के उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन बताया कि एक हॉटलाइन स्थापित की जानी बाकी है।
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य पर हाल की घटनाओं ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि बाहरी खतरों से बचने के लिए एक मजबूत सेना की मौजूदगी अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “सामान्य तौर पर सशस्त्र बल और विशेष रूप से भारतीय वायुसेना, राष्ट्रीय सुरक्षा मैट्रिक्स में एक निवारक के साथ-साथ एक युद्ध-विजेता साधन के रूप में अहम बनी रहेगी।”
उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना ‘सबसे खराब स्थिति’ समेत सभी तरह की सुरक्षा चुनौतियों के लिए तैयारी कर रही है और वह किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, “हम सक्रिय रूप से तैनात रहते हैं, साथ ही साथ राफेल, हल्के लड़ाकू विमान और एस -400 जैसी हाल ही में शामिल प्रणालियों के ऑपरेशन में तेजी लाते हैं। आज, जैसा कि मैं कहता हूं, भारतीय वायुसेना हमेशा सतर्क और तैनात रहती है।”
उन्होंने कहा, “हमारे राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र के किसी भी उल्लंघन या अतिक्रमण को रोकने के लिए हमारे वायु रक्षा तंत्र को साल के 365 दिन चौबीसों घंटे तैनात रखा जाता है। हमारे लड़ाकू विमान हमेशा किसी भी आकस्मिक खतरे का मुकाबला करने के लिए कुछ ही मिनटों में मुकाबला करने के लिए तैयार रहते हैं।”
वायु सेना प्रमुख ने अपने लड़ाकू स्क्वाड्रनों की घटती संख्या और मिराज 2000, जगुआर और मिग 29 को चरणबद्ध तरीके से हटाए जाने पर भी बात की। उन्होंने कहा कि ये सभी विमान अगले दशक के मध्य तक ‘नंबर प्लेटेड’ हो जाएंगे। ‘नंबर प्लेट’ का संदर्भ किसी स्क्वाड्रन को सेवा से हटाए जाने से होता है। इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना ने जोर देकर कहा कि वह 42 लड़ाकू स्क्वाड्रनों की स्वीकृत संख्या की समीक्षा नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि 114 मध्यम भूमिका वाले लड़ाकू विमान (एमआरएफए) हासिल करने की प्रक्रिया चल रही है। मार्च में पाकिस्तान में ब्रह्मोस मिसाइल के दुर्घटनावश दागे जाने के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना फिर कभी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए ‘तीनों सेवाओं’ के स्तर पर पर्याप्त चर्चा हुई।