वोडा-आइडिया के 16,000 करोड़ के बकाए को सरकारी इक्विटी में बदलने को वित्त मंत्रालय की मंजूरी, क्या है पूरा मामला?

नई दिल्ली. वोडाफोन आइडिया के एजीआर बकाए का मामला फाइनल होने की तरफ बढ़ रहा है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने वोडाफोन आइडिया के 16,130 करोड़ रुपये के एजीआर (AGR) से संबंधित ब्याज बकाया राशि को सरकारी इक्विटी में बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. दूरसंचार विभाग को अब पहले घोषित पैकेज के मुताबिक लेनदेन को अंतिम रूप देना होगा.

इस बकाए को सरकारी इक्विटी में बदलने की योजना इस साल जनवरी से लंबित थी, जिसे आखिरकार सरकार की मंजूरी मिल गई. निवेशकों द्वारा इस मामले पर स्पष्टता की मांग के बीच, वोडाफोन आइडिया के लिए इक्विटी के जरिए 10,000 करोड़ रुपये का बाहरी फंड जुटाना महत्वपूर्ण है. रिपोर्टों के अनुसार, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसे प्रतिद्वंद्वियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए वोडा-आइडिया 4 जी और 5 जी नेटवर्क में निवेश करने के लिए बैंकों के साथ 10,000 करोड़ रुपये का कर्ज जुटा रही है.

साइलेंट निवेशक की भूमिका में सरकार
इसी साल जून में सरकार ने वोडाफोन आइडिया के उस प्रपोजल को मंजूरी दी थी, जिसमें लगभग 16,000 करोड़ रुपये के ब्याज भुगतान को कंपनी में लगभग 33 प्रतिशत हिस्सेदारी में बदलने का प्रस्ताव था. CNBC-TV18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वोडाफोन आइडिया में 33 प्रतिशत इक्विटी होल्डिंग के बाद सरकारी नॉमिनी के लिए कोई बोर्ड सीट नहीं होगी. सरकार बदलाव को लेकर आश्वस्त है और वोडाफोन आइडिया में साइलेंट निवेशकों की भूमिका निभाएगी.

क्या है पूरा मामला
वोडाफोन आइडिया ने शेयर बाजार को बताया था कि कंपनी के निदेशक मंडल ने 10 जनवरी 2022 को हुई अपनी बैठक में, स्पेक्ट्रम नीलामी किस्तों और एजीआर बकाया से संबंधित कुल ब्याज देनदारी को इक्विटी में बदलने की मंजूरी दी है.  उसी समय वोडा आइडिया ने सरकार को चुकाए जाने वाले 16,000 करोड़ रुपये के ब्याज बकाये को इक्विटी में बदलने का फैसला किया था.

सरकार ने अक्टूबर 2021 में टेलीकॉम राहत पैकेज का ऐलान किया था. वोडाफोन आइडिया ने स्पेक्ट्रम चार्जेज और AGR बकाए को 4 सालों तक भुगतान नहीं करने का विकल्प चुना था. इन चार सालों के मोरेटोरियम के दौरान टेलीकॉम कंपनियों को इंट्रेस्ट का भुगतान करना होगा. बाद में DoT ने टेलीकॉम कंपनियों को 90 दिनों का समय और दिया. साथ ही कहा था कि अगर वे इस इंट्रेस्ट को इक्विटी में बदलना चाहते हैं तो फैसला ले सकते हैं. वोडाफोन आइडिया ने इसी अमाउंट को इक्विटी में बदलने का फैसला किया था.