Gorkahpur news: गोरखपुर के आईटीएम गिडा के छात्राओं ने एक ऐसा हेलमेट तैयार किया है, जो न केवल सिर बचाएगी, बल्कि दुश्मनों को ढेर करने में भी कामयाब होगी। आईटीएम के छात्राओं ने महज 6 हजार की लागत में इस हेलमेट को तैयार किया है। इसकी विशेषता जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे।
गोरखपुर: देश और दुनिया में इस समय किसी एक चीज पर जोर दिया जा रहा है तो वह है इनोवेशन। इनोवेशन मतलब बदलाव की शुरुआत। अगर आप कुछ बदलने की सोचेंगे तो फिर नया सोचेंगे। नई सोच ही आपको एक बेहतर कल की तरफ ले जाएगी। जिस तेजी से दुनिया बदल रही है, उस तेजी से बदलाव के लिए युवाओं पर सबसे अधिक जिम्मेदारी आ गई है। उन्हें ही बदलाव पर सबसे अधिक सोचना है। युवा मन नई चीजों को सीखने और उसे इम्प्लीमेंट करने के तरीकों को खोजने की कोशिश करता है। ऐसे में जिम्मेदारी संस्थानों की बढ़ती है। अगर संस्थान युवाओं को बेहतर सोच विकसित करने की स्वतंत्रता देते हैं तो तो नई-नई चीजें, नए-नए खोज सामने आते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी पिछले वर्षों में इनोवेशन पर खासा जोर दिया है। रिसर्च को स्कूल से विश्वविद्यालय स्तर पर शुरुआत पर जोर दिया जा रहा है। इसने युवाओं की सोच बदली है। कुछ अलग करने की कोशिश हो रही है। ऐसा ही कुछ हुआ है गोरखपुर के आईटीएम गिडा में। आईटीएम गिडा की छात्राओं ने एक ऐसा हेलमेट तैयार किया है जो न केवल सर बचाएगा, बल्कि मुसीबत की स्थिति में फायरिंग भी करेगा। देश की सुरक्षा में लगने वाली सेना और अर्द्धसैनिक बलों के लिए यह कारगर हथियार हो सकता है। इसकी खासियत खासी प्रभावित करने वाली है।
आईटीएम के छात्राओं का फायरिंग हेलमेट
गोरखपुर आईटीएम गिडा की होनहार छात्राओं ने एक ऐसे ऑटोमेटिक फायरिंग हेलमेट को बनाया है, जो देश की सुरक्षा में तैनात आर्मी के जवान और देश के अंदर काम कर रही पुलिस के लिए काफी सहयोगी साबित हो सकता है। बर्फबारी के समय में जब सेना की टुकड़ी पेट्रोलिंग करते समय कहीं पर फंस जाती हैं और उनके लापता होने की सूचना आती है, तो हम सब परेशान होते हैं। उस प्रकार की स्थित में यह हेलमेट कारगर साबित होगा। लोकेशन ट्रैकिंग के जरिए सेना के फंसे जवानों के स्थान का पता लगाया जा सकेगा। जरूरत पड़ने पर यह 360 डिग्री तक घूमकर फायर भी कर सकता है।
कंपनियों को भेजा गया है डेमो
फायरिंग हेलमेट को गोरखपुर आईटीएम गिडा की छात्राओं ने मिलकर तैयार किया है। हेलमेट की खूबियां भी काफी जबरदस्त हैं। अब इस हेलमेट को 30 नवंबर को आईटीएम कॉलेज गिडा में लांच किया जाएगा। वहीं, इस हेलमेट के डेमो को कई कंपनियां और सुरक्षा एजेंसियों को भेजा गया है। अगर इसकी डिमांड आई तो फिर इसे बड़े पैमाने पर तैयार किया जाएगा।
नई टेक्नोलॉजी की तरह काम करेगा हेलमेट
आईटीएम गिडा की छात्राओं ने इस हेलमेट को बनाने के लिए इसमें कई तरह के नए टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया है। छात्राओं ने बताया एक हेलमेट बनाने के लिए 1 बैरल, एक ट्रांसमीटर, एक रिसीवर बुलेट, एक एचडी पोर्टेबल डीवीआर, बैटरी, एक सौर पैनल, एक रिमोट, एक संकेतक, एक ट्रिगर का प्रयोग किया गया है। छात्राओं ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक गन बनाने के लिए सबसे पहले बैरल को इस प्रकार के गन में बदला गया। इसमें एक बार में चार गोलियां लोड हो सकती हैं। फिर हेलमेट पर ट्रिगर का प्रयोग करके इसे फायर भी किया जा सकता है।
खूबियां हैरान करने वाली
ऑटोमेटिक फायर हेलमेट पूरी तरीके से हाईटेक है। इसे चारों दिशाओं में गोलियां चला सकते हैं। साथ ही इसमें ऑटोमेटिक फायर भी कर सकते हैं। और निशाना भी लगा सकते हैं। वहीं, इस हेलमेट के जरिए आपके आसपास के फुटेज भी रिकॉर्ड कर सकते हैं। यह रिकॉर्डिंग सीधे आपके कंट्रोल रूम में जाएगी। इससे आगे के खतरे को भांपा जा सकता है। हेलमेट लगाने वाले सैनिकों को इससे सही दिशा बताने और नेविगेशन में मदद मिल सकती है।
बीटेक स्टूडेंट्स ने किया यह कारनामा
फायरिंग हेलमेट को तैयार करने के लिए आईटीएम गिडा की बीटेक की छात्राओं ने दिन-रात एक कर मेहनत किया। 6 लड़कियों ने इस प्रोजेक्ट को ग्रुप असाइनमेंट के तौर पर तैयार किया है। इस ऑटोमेटिक फायरिंग हेलमेट को बनाने में 6 से 7 हजार का खर्च आया। लड़कियों का कहना है कि अगर हमें सरकार की तरफ से मदद मिली तो इसे हम बड़े पैमाने पर तैयार करेंगे। देश के रक्षा कर रहे जवानों की सुरक्षा के लिए इसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
इन छात्राओं ने बनाया हेलमेट
आईटीएम गिडा में ग्रुप असाइनमेंट के तौर पर इसे 6 छात्राओं के दल ने तैयार किया है। इसमें आईटीएम गिडा के बीटेक की छात्रा अंकिता कुमारी शामिल हैं। वे बिहार के पश्चिम चंपारण की रहने वाली हैं। इसके अलावा देवरिया की मेघना पांडेय एवं प्रतिमा गोस्वामी, संतकबीर नगर की सोनी राव, कुशीनगर के पडरौना की हर्षिता केसरी और मऊ की प्रतिमा यादव इस ग्रुप की सदस्य हैं। छहों छात्राओं की नई सोच और नए इनोवेशन की चर्चा इस समय खूब हो रही है।