जहां एक तरफ अमेरिका (US) पाकिस्तान (Pakistan) के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (General Qamar Javed Bajwa) का स्वागत कर रहा है तो वहीं जम्मू कश्मीर (Jammu-Kashmir) पर उसका एक नया रवैया देखने को मिल रहा है। इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास की तरफ से हुए ट्वीट के बाद भारत-अमेरिका (India-US) के रिश्ते पटरी से उतरते हुए नजर आ रहे हैं।
वॉशिंगटन: इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम के एक ट्वीट ने भारत और अमेरिका के रिश्तों पर सवालिया निशान लगा दिया है। ब्लोम ने पिछले दिनों पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके का दौरा किया था। जब वह दौरे से वापस लौटे तो उन्होंने पीओके को आजाद कश्मीर कहकर संबोधित कर दिया। जबकि वह भारत के हिस्से वाला कश्मीर है। उनकी इस ट्वीट से बवाल मचा हुआ है। अभी तक अमेरिका ने कश्मीर पर किसी का भी पक्ष नहीं लिया है। लेकिन अब इस मामले में अमेरिका के रवैये को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।
कश्मीर पर यू टर्न
अमेरिका ने हमेशा से ही यह कहा कि कश्मीर का मसला द्विपक्षीय वार्ता से ही सुलझाया जा सकता है। लेकिन अब उसने आजाद कश्मीर का जिक्र करके एक नई बहस शुरू कर दी है। यह ट्वीट ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा अमेरिका के दौरे पर गए हैं। अभी एफ-16 को अपग्रेड करने के लिए पाकिस्तान को दी गई अमेरिकी मदद का मसला ठंडा भी नहीं हुआ था कि यह ट्वीट सामने आ गई है। पिछले कुछ दिनों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का प्रशासन जिस तरह से बर्ताव कर रहा है, उससे तो यही लग रहा है कि उसकी मंशा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनकी सरकार को खुश करने की है।
क्या ये है असली वजह
अमेरिका कहीं न कहीं यह नहीं चाहता कि इमरान खान सत्ता में वापसी करें जो अप्रैल में सत्ता गंवा चुके हैं। माना जा रहा है कि पिछले दिनों इमरान खान की तरफ से जिस ‘साइफर’ का जिक्र हुआ था, वह इस समय रावलपिंडी में पाकिस्तान सेना की हिरासत में है। लेकिन पाकिस्तान-अमेरिका के बीच हलचल पर भारत करीब से नजर रखे हुए है। भारत सरकार के सीनियर ऑफिसर्स का मानना है कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रिश्ते फिर से मजबूत हो रहे हैं। भारत के पड़ोसी की आदत हमेशा ही बड़े मसलों पर ‘यू’ टर्न लेने की रही है। चाहे वह अल कायदा सरगना अयमान अल-जवाहिरी को शरण देना हो या फिर चीन और अमेरिका के साथ कम समय के लिए फायदा उठाना हो।
क्यों अमेरिका के करीब हो रहा पाक
विदेश नीति के जानकार मानते हैं कि अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से ही हथियारों की बिक्री पर निर्भर रहे हैं। अपने हथियारों की मेनटेनेंस के लिए पाकिस्तान को हमेशा अमेरिका की जरूरत पड़ेगी। जबकि भारत अगर अमेरिका से कोई मिलिट्री हार्डवेयर खरीदता है तो वह टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर पर जोर देता है। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से कर्ज के लिए अमेरिका की मदद की जरूरत है।
इससे वह न सिर्फ चीन का कर्ज अदा कर सकेगा बल्कि अपनी अर्थव्यवस्था की जान भी बचा सकेगा। अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते आने वाले दिनों में और गहरे होंगे। अमेरिका की तरफ से मिलने वाली रक्षा मदद ऐसे समय में पाकिस्तान को मिली है जब उसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। फिलहाल भारत इस पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है।