ठगी और जालसाजी के कई मामले आपने सुने होंगे और देखे होंगे, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कैसे देश के एक बड़े पुलिस अधिकारी ने अपने ही राज्य के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी को ठगी का शिकार बनाया। कैसे एक आईपीएस ही बन गया ‘नटवरलाल’, जानिए पूरी कहानी।
शराब का नशा जो न करवाए लेकिन इस शराब की जद में जब पुलिस भी इस कदर फंस जाए कि आरोपी बनकर इधर-उधर भागना पड़े तो कहानी बेहद खतरानक रूप ले लेती है। यहां बात भी शराब की दो चार बोतलों की नहीं बल्कि बात है सैकड़ों बोतलों की, तो फिर साजिश भी बेहद भयानक ही होगी और आरोपी भी एकदम शातिर। बिहार में शराब कांड तो अक्सर होते ही रहते हैं लेकिन इस इस कांड के रचेता हैं बिहार पुलिस के एक आला अधिकारी आदित्य कुमार जो अब खुद पुलिस से भागते फिर रहे हैं।
पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार की ठगी
इस कहानी में आरोप लगाने वाला भी पुलिस ऑफिसर है, आरोपों के घेरे में आया शख्स भी पुलिस का बड़ा अधिकारी और जांच करने वाला भी पुलिस का ही आला अधिकारी। ये हकीकत है गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार की जिन्होंने राज्य के डीजीपी को ही ठग डाला। आदित्य कुमार ने ऐसी साजिश रची कि राज्य के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी यानी डीजीपी को ही इस साजिश का हिस्सा बनाने में कामयाब हो गए।
शराब कांड में एसएसपी का नाम
इस कहानी को जानने के लिए हमें करीब चार महीने पीछे चलना होगा क्योंकि इसकी शुरूआत उसी वक्त से होती है। बिहार के गया में पुलिस शराब की एक गाड़ी जब्त करती है, लेकिन इस जब्त शराब का क्या होता है किसी को पता नहीं चलता। मामले में एसएचओ का नाम सामने आता है। शराब से भरी गाड़ी जब गायब हुई है तो सवालों का उठना लाजमी था। गया के एसएसपी आदित्य कुमार भी शराबकांड के इस खेल का हिस्सा पाए जाते हैं। उनपर एसएचओ को बचाने के आरोप लगते हैं। इसी दौरान इस मामले पर आईजी और एसएसपी के झगड़े की खबरें भी आती हैं। आदित्य कुमार के खिलाफ मामला दर्ज होता है लेकिन उन्हें पोस्ट से हटाया नहीं जाता बल्कि गया से हटाकर पटना पुलिस मुख्यालय में बिठा दिया जाता है। ये पूरा मामला है जुलाई महीने का।
मैं चीफ जस्टिस बोल रहा हूं…
पटना पुलिस मुख्यालय में खाली बैठे आदित्य कुमार के खिलाफ मामला तो दर्ज हो ही चुका था, अब उन्हें डर सताता है कि किसी भी दिन उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। बस फिर क्या था शराब के मामले में फंसे गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार रच डालते हैं ऐसे साजिश जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। बस फिर क्या था कानून के इस रखवाले ने कानून के खिलाफ जाकर ही खुद को बचाने के फैसला कर डाला। आरोप हैं कि आदित्य कुमार ने अपने एक दोस्त अभिषेक अग्रवाल के साथ मिलकर एक खेल रचा। अभिषेक अग्रवाल ने एक नया सिम खरीदा और इस नए नंबर से राज्य के डीजीपी को फोन किया। ‘मैं बिहार का चीफ जस्टिस बोल रहा हूं’… जी हां, अभिषेक ने खुद को चीफ जस्टिस बताया और कहा कि एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ चल रहे सारे केस वापस ले लें।
दोस्त के साथ मिलकर डीजीपी को ठगा
अब तक बात सिर्फ पुलिस तक थी अब नाम चीफ जस्टिस का भी आ चुका था। आदित्य कुमार के कहने पर सारा काम हो रहा था और अभिषेक कई बार डीजीपी को चीफ जस्टिस बनकर आदित्य कुमार के केस वापस लेने के लिए फोन कर चुका था। अब सुनिए सबसे हैरान करने वाली बात। राज्य के डीजीपी ने पांच सितंबर को आदित्य कुमार के खिलाफ केस वापस भी ले लिया। हैरान करने वाली बात, सोचिए लाखों ठगों का भांडाफोड़ करने वाली पुलिस अब खुद ठगी का शिकार हो गई और वो भी राज्य के सबसे बड़े अधिकारी। ठगने वाले पूर्व एसएसपी और ठगे जाने वाले राज्य के डीजीपी। बात हजम करना थोड़ा मुश्किल था लेकिन हकीकत यही थी।
अब फरार है पुलिस अधिकारी
कुछ दिन बाद अचनाक डीजीपी साहब राज्य की आर्थिक अपराध शाखा में एक शिकायत दर्ज करवाते हैं। जांच होती है और फिर सामने आता है पूर मामला, कैसे आदित्य कुमार ने अपने दोस्त के साथ मिलकर राज्य के डीजीपी को ही ठगी का शिकार बना लिया। आदित्य कुमार पर शराब के मामले में जो केस हटा दिया गया था वो फिर से लगाया जाता है और इसके अलावा ठगी और जालसाजी का मामला भी दर्ज होता है। अभिषेक अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया जाता है, लेकिन आदित्य कुमार फरार हो जाते हैं। अब पुलिस आदित्य कुमार को ढूंढ रही है। एक ऐसे पुलिस वाले को जिसने राज्य के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी को ठग लिया।
सवाल खड़े करता है पूरा मामला
ठगी के कई बड़े मामले पहले भी सामने आए हैं, लेकिन ये मामला तो थोड़ा नहीं बल्कि काफी अजीब है। अब सोचिए राज्य के डीजीपी एस के सिंगल, इतने बड़े अधिकारी अपने ही राज्य के चीफ जस्टिस को नहीं पहचानते होंगे, सुनने में ही हैरानी होती है। क्या पुलिस महकमे के चीफ के पास चीफ जस्टिस का फोन नंबर भी नहीं होगा? सबसे बड़ी बात बिना मुकदमे के, बिना फैसले के सिर्फ एक फोन पर कोई कैसे किसी के ऊपर से केस को रफादफा कर सकता है और वो भी राज्य का डीजीपी। ये जानते हुए भी कि इस तरह से केस वापस लेना गैरकानूनी है, आखिर कैसे डीजीपी साहब केस वापस ले सकते हैं। इस घटना ने सवाल कई खड़े किए हैं, लेकिन अब तक जवाब कोई नहीं है। जब तक आदित्य कुमार फरार हैं तब तक इस हाईप्रोफाइल ठगी पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता।