जून तिमाही के राजकोषीय घाटे (Fiscal deficit) के आंकड़े आ गए हैं। इस दौरान यह सालाना टारगेट के 21.2 फीसदी पर पहुंच गया है। यह पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले अधिक है लेकिन अनुमान से कहीं बेहतर है। सब्सिडी पर खर्च कम होने और टैक्स कलेक्शन बढ़ने से ऐसा हुआ है।
सीजीए द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार की प्राप्तियां 5,96,040 करोड़ रुपये रही। यह 2022-23 के लिए कुल प्राप्तियों से संबंधित बजट अनुमान (बीई) का 26.1 प्रतिशत है। जून तिमाही में केंद्र सरकार ने कुल 9,47,911 करोड़ रुपये खर्च किए, जो 2022-23 के बजट अनुमान का 24 प्रतिशत है। बीते वित्त वर्ष 2021-22 में यह बजटीय अनुमान का 23.6 प्रतिशत था। सरकार का राजकोषीय घाटा 2022-23 के लिए 16,61,196 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
अनुमान से कम बढ़ा राजकोषीय घाटा
हालांकि जून तिमाही में सरकार का राजकोषीय घाटा अनुमान से कम बढ़ा है। इसकी वजह यह है कि सब्सिडी पर सरकार का खर्च कम हो गया है और साथ ही टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी हुई है। महंगाई के कारण सरकार का टैक्स कलेक्शन बढ़ा है। इससे सरकार को जीएसटी कलेक्शन में ज्यादा राशि मिली है। साथ ही इकनॉमिक एक्टिविटीज में सुधार से कॉरपोरेट टैक्स भी बढ़ा है। जहां तक खर्च की बात है तो फूड और फर्टिलाइजर्स पर सरकार की सब्सिडी अप्रैल-जून के दौरान कम होकर करीब 68,000 करोड़ रुपये रही। एक साल पहले समान अवधि में यह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक थी।
इससे उत्साहित फाइनेंस मिनिस्ट्री के अधिकारियों का कहना है कि इस साल राजकोषीय घाटे का लक्ष्या हासिल हो सकता है। सरकार ने इस साल राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 6.4 फीसदी रखा है। रॉयटर्स के मुताबिक Deutsche Bank के चीफ इकनॉमिस्ट कौशिक दास ने कहा कि सरकार इस साल राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के करीब पहुंच सकती है बशर्ते टैक्स ड्यूटी में आगे और कटौती न हो और किसी अतिरिक्त खर्च की घोषणा न हो। मई में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर टैक्स में कटौती की थी।