लाखों का अपना घर छोड़ सरकारी रेस्ट हाउस कंडाघाट में रहने को मजबूर हुए पांच परिवार
कंडाघाट के समीप फोरलेन में बना करीबन 30 मीटर ऊंचा डंगा अचानक से गिरने की कगार पर पहुंच गया है। जिसकी वजह से रात को ही पांच परिवारों को अपनी जान हथेली पर रख कर वहां से शिफ्ट होना पड़ा। सुबह के समय प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे स्तिथि का जायज़ा लिया। मौके पर पाया गया कि यह डंगा कभी भी गिर सकता है। इस लिए उनकी सुरक्षा के मध्य नज़र परिवार को अब सरकारी रेस्ट हाउस में शिफ्ट कर दिया गया है। पीड़ित लोगों ने रोष जताते हुए कहा कि रात को जब यह घटना घटी तो उन्होंने प्रशासन और निर्माण में जुटी कम्पनी के अधिकारियों से मदद भी मांगी लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं पहुंचा। मजबूरन उन्हें अपने दोस्तों को बुला कर बूढ़े परिजनों को अपने कंधों पर उठा कर यहाँ से शिफ्ट करना पड़ा। उन्होंने कहा कि एनएचएआई द्वारा विकास नहीं बल्कि विनाश किया जा रहा है जिसकी वजह से हज़ारों लोग प्रभावित हो रहे है। लेकिन सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।
रोष में पीड़ित कंडाघाट निवासियों ने कहा कि जब ककम्पनी डंगे का निर्माण कर रही थी तब उन्होंने पानी की निकासी के लिए आग्रह किया था। उस समय उनकी बात को अनदेखा किया गया। वह उसका विरोध करते रहे। उसके बाद उनकी आवाज़ दबाने के लिए उन पर पुलिस की कार्रवाई तक करवाई गई। जिसका नतीजा आज सभी के सामने है और खामियाजा उन्हें फिर भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कम्पनी द्वारा बरसाती नाले को बंद कर दिया गया जिसका पानी इस डंगे में रचने लग गया और आज यह डंगा गिरने की कगार पर है जिस से उनके घर को भी खतरा पैदा हो गया है। जिसके जिम्मेदार एनएचएआई और कंपनी के अधिकारी है। उन्होंने कहा कि उनके परिवार के लोग बेहद मानसिक परेशानी से गुजर रहे है।
वहीँ एनएचएआई के अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि उनके द्वारा मौके का मुआयना कर लिया गया है। जो कमियां इस में रह गई थी उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि डंगे को पूरा हटाया जाएगा। जो मिटटी है उसे भी हटा कर जल्द फिर से डंगा लगाया जाएगा। जब पूर्ण रूप से सुरक्षा हो जाएगी तभी नीचे रह रहे परिवारों को रहने की अनुमति दी जाएगी।
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