पांच महीने पहले ही जयशंकर ने लिज ट्रस को रूसी तेल पर खूब सुनाया था, अब बनेंगी ब्रिटेन की प्रधानमंत्री

Liz Truss News : यूके की प्रधानमंत्री बनने जा रहीं लिज ट्रस तब भारत दौरे पर आई थीं। उस वक्त रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ चुका था। उसी माहौल में दुनियाभर के प्रभावी नेताओं का भारत दौरा जारी थी। ट्रस ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बातचीत में रूस से तेल खरीदने का मुद्दा छेड़ दिया और फिर जो जवाब मिला, उससे वो हक्का-बक्का रह गईं।

नई दिल्ली: रूस पर प्रतिबंधों की बात करना एक अभियान जैसा लगता है… भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यह बात तत्कालीन ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज ट्रस के सामने कही थी। वही लिज ट्रस अब ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं। वो मार्च-अप्रैल में भारत दौरे पर आई थीं। रूस के यूक्रेन पर हमले से दुनिया में उथल-पुथल मची थी और अलग-अलग देशों में प्रभावी पदों पर तैनात नेता भारत दौरे पर आ रहे थे। वह वही दौर था जब अमेरिका और पश्चिमी देश भारत से अपेक्षा कर रहे थे कि वह रूस के खिलाफ कार्रवाई में उनका साथ दे, लेकिन भारत अपनी संप्रभु नीति पर आगे बढ़ता रहा। इसी माहौल में लिज ट्रस 31 मार्च, 2022 को भारत आईं। वो तब ब्रिटेन की विदेश मंत्री थीं। उन्होंने भी विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बातचीत में रूस से तेल खरीदने का मुद्दा छेड़ दिया। बस क्या था, जयशंकर अपने लय में आ गए। उन्होंने आव देखा ना ताव और दो टूक लहजे में कह दिया कि ऐसे अभियान से भारत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। जिस तरह अन्य देश अपने-अपने हितों को तवज्जो देते हैं, उसी तरह भारत भी रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों के आईने में ही कोई फैसला करेगा।

जब जयशंकर ने ट्रस को कर दिया हक्का-बक्का

दरअसल, लिज ट्रस चाहती थीं कि भारत, रूस पर प्रतिबंधों को असरदार बनाने में पश्चिमी देशों की मदद करे। इस पर जयशंकर ने खुलकर कहा, ‘रूस पर प्रतिबंध की बात करना एक अभियान जैसा लगता है जबकि यूरोप, रूस के युद्ध के पहले की तुलना में ज्यादा तेल खरीद रहा है।’ निश्चित रूप से ट्रस ने जयशंकर से इस लहजे में जवाब मिलने की उम्मीद नहीं की होंगी। लेकिन जयशंकर के स्पष्ट अंदाज से ट्रस तुरंत बैकफुट पर आ गईं और कहने लगीं कि भारत संप्रभु देश है और उसे क्या करना चाहिए, वो नहीं बताएंगी। हालांकि, सच्चाई यही है कि वो बताने की मुद्रा में ही बोल रही थीं कि भारत, रूस से तेल नहीं खरीदे जबकि ब्रिटेन समेत तमाम यूरोपीय देश रूसी तेल की खरीद बढ़ाते रहें। जयशंकर ने जब इस दोहरे चरित्र को बेधड़क बेनकाब कर दिया तो ट्रस के पास कोई चारा नहीं बचा। दोनों विदेश मंत्रियों की ये बातचीत इंडिया-यूके स्ट्रैटिजिक फ्यूचर्स फोरम में हो रही थी। इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स एंड पॉलिसी एक्सचेंज ने इसका आयोजन किया था।
जयशंकर के जवाब से बैकफुट पर आ गई थीं लिज ट्रस

इस बातचीत में श्रोताओं ने भी सवाल पूछे। ट्रस से पूछा गया कि रूस से तेल खरीदने पर भारत को वो क्या कहना चाहती हैं तो उन्होंने कहा, ‘मैंने प्रतिबंधों पर यूके का रुख बता दिया। हम इस साल के अंत तक तेल के लिए रूस पर अपनी निर्भरता खत्म कर देंगे। जहां तक बात भारत की है तो वह एक संप्रभु देश है। मैं भारत को नहीं बताऊंगी कि उसे क्या करना चाहिए। मैंने जो कहा वो यूके सरकार के एक मंत्री के तौर पर कहा। यूके ने बुडापेस्ट समझौते पर दस्तखत किया है। मुझे लगता है कि यूके को यूक्रेन के लोगों का हरसंभव समर्थन करना चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं बाकी देशों को भी बताऊं कि वो क्या करें।’

जयशंकर ने आंकड़ों से बंद की थी बोलती

फिर जब जयशंकर के बोलने की बारी आई तो उन्होंने पश्चिमी देशों की तो बखिया ही उधेड़ दी। उन्होंने आंकड़े देते हुए कहा कि भारत के तेल आयात में 7.5 से 8 प्रतिशत अमेरिका का हिस्सा है जबकि रूस से तो एक प्रतिशत से भी कम तेल आता है। अब अगर यूरोप पर नजर डालें तो यूरोप ने रूस से फरवरी के मुकाबले मार्च में 15 प्रतिशत ज्यादा तेल खरीदा है जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ। उन्होंने कहा, ‘अगर रूस के तेल और गैस के प्रमुख खरीददारों पर गौर करने परआप पाएंगे कि ज्यादातर खरीदार यूरोप में हैं जबकि भारत अपनी ऊर्जा का ज्यादातर हिस्सा मध्य पूर्व से खरीदता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘तेल महंगा होता है तो हर देश चाहता है कि उसे कहीं से सस्ता तेल मिल जाए। यकीन के साथ कह सकता हूं कि दो-तीन महीने इंतजार करके देखें कि रूसी तेल और गैस के बड़े खरीददार कौन हैं तो मुझे संदेह है कि लिस्ट वैसी नहीं होगी, जैसी पहले हुआ करती थी। मुझे यह भी संदेह है कि हम उस लिस्ट में टॉप 10 में भी होंगे।’

अफगानिस्तान का हवाला देकर किया प्रहार

जयशंकर ने अफगानिस्तान का हवाला देकर भी अमेरिका-यूरोप के स्वार्थी रवैये की पोल खोली। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना हटा ली। क्या उसने ऐसा करते हुए सोचा कि भारत पर क्या असर होगा? भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबान राज कायम होने से भारत जितना प्रभावित होगा, उतना यूरोप पर असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आप किस परिस्थिति में किस तरह का फैसला लेते हैं, यह कई बातों पर निर्भर करता है- मसलन अफगानिस्तान या यूक्रेन से आप कितने नजदीक हैं। आपके इनसे रिश्ते कैसे हैं, आपकी इन पर किस तरह की, कितनी निर्भरता है आदि। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के आने से यूरोप को क्या फर्क पड़ेगा, लेकिन भारत को बहुत कुछ झेलना पड़ सकता है। जयशंकर ने कहा कि किसी एक घटना पर पूरी दुनिया से समान प्रतिक्रिया कभी नहीं आई और न आएगी।

भारत-ब्रिटेन रिश्ते की मजबूती की पक्षधर हैं ट्रस

ध्यान रहे कि लिज ट्रस ने चुनाव जीतने के बाद भारत-ब्रिटेन संबंधों को और प्रगाढ़ करने पर बल दिया है। वो ब्रिटेन के उन वरिष्ठ राजनेताओं में शामिल हैं, जिन्हें भारत-ब्रिटेन के रणनीतिक तथा आर्थिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए जाना जाता है। ट्रस ने ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री रहने के दौरान मई 2021 में बोरिस जॉनसन के नेतृत्व वाली सरकार के लिए वृहद व्यापार साझेदारी (ETP) पर मुहर लगवाई। यही ईटीपी अब मुक्त व्यापार समझौता (FTA) के लिए चल रही बातचीत का शुरुआती आधार बनी है। 47 वर्षीय ट्रस ने भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ डिजिटल वार्ता भी कर चुकी हैं, जिस दौरान उन्होंने देश को ‘बड़ा, प्रमुख अवसर’ करार दिया था।


भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते की रखी नींव

ईटीपी पर हस्ताक्षर के बाद ट्रस ने कहा था, ‘मैं बनते व्यापार परिदृश्य में ब्रिटेन और भारत को एक बेहतरीन स्थिति में देख रही हूं।’ उन्होंने कहा, ‘हम एक व्यापक व्यापार समझौते पर विचार कर रहे हैं जिसमें वित्तीय सेवाओं से लेकर कानूनी सेवाओं के साथ-साथ डिजिटल और डेटा समेत वस्तुएं और कृषि तक सब कुछ शामिल हैं। हमें लगता है कि हमारे शीघ्र एक समझौता करने की प्रबल संभावना है, जहां हम दोनों ओर शुल्क घटा सकते हैं और दोनों देशों के बीच अधिक वस्तुओं का आयात-निर्यात होते देख सकते हैं।’ ट्रस साउथ वेस्ट नोरफोल्क से सांसद हैं। ऑक्सफोर्ड में जन्मीं ट्रस के पिता प्रोफेसर और मां नर्स-शिक्षिका थीं। ट्रस स्कॉटलैंड, लीड्स और लंदन समेत ब्रिटेन के अलग-अलग हिस्सों में रही हैं। ट्रस ने अकाउंटेंट हग ओ लीअरी से विवाह किया और उनकी दो बेटियां हैं।