नई दिल्ली. फिक्सड डिपॉजिट (एफडी) को सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में देखा जाता है. इसमें आपको सेविंग्स अकाउंट से बेहतर रिटर्न भी मिलता है. इसलिए सुरक्षा और रिटर्न के लिहाज से यह बचत खातों से बेहतर होता है. इसमें आपको अलग-अलग मेच्योरिटी टेन्योर मिलते हैं जिसे आप अपनी सुविधा के मुताबिक चुन सकते हैं और मुनाफा कमाने का बाद पूरा पैसा निकाल सकते हैं.
लगभग सभी बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट खोलने की सुविधा होती है. अलग-अलग बैंक आपको जमाराशि पर भिन्न-भिन्न ब्याज दरें मुहैया कराते हैं. आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद हाल के दिनों में एफडी की ब्याज दरों में भी काफी इजाफा देखने को मिला है. हालांकि, रेपो रेट घटने के साथ इसमें कमी भी की जाती है. ऐसे में सवाल उठता है कि सर्वाधिक मुनाफा कमाने के लिए किस प्रकार की एफडी लेना अधिक फायदेमंद रहता है. फिक्स्ड रेट एफडी या फ्लोटिंग रेट एफडी इनमें से क्या अधिक लाभदायक है. आइए देखते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
जानकारों का कहना है कि अभी रेपो रेट बढ़ रहा है तो फ्लोटिंग रेड एफडी भी लुभावनी लग रही है क्योंकि इसकी ब्याज दरें बढ़ रही हैं. वहीं, अगर नीतिगत दरों में गिरावट शुरू हुई तो एफडी की ब्याज दरें भी गिरने लगेंगी. लेकिन फिक्स्ड रेट एफडी के साथ ऐसा नहीं होता है. उस पर आपको पहले से तय ब्याज दर मिलती रहती है. इसका लाभ आपको मेच्योरिटी पर मिलता है. हालांकि, मेच्योरिटी से पहले अगर ब्याज दर आपके फिक्स्ड रेट को पार कर गई तो आपके लिए घाटे का सौदा हो सकता है. इसलिए फिक्स्ड रेट एफडी लेते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें कि क्या आपके टेन्योर में मौजूदा ब्याज दर इतनी आगे बढ़ सकती है कि आपकी फिक्सड रेट को पार कर जाए.
रेपो रेट में बदलाव
भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले 4 महीने में 3 बार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर इसे 5.40 फीसदी तक पहुंच दिया है. ऐसा महंगाई को काबू करने के लिए किया जाता है. इससे बैंकों द्वारा आरबीआई से लोन लेना महंगा होता है और वे खुदरा ग्राहकों को भी महंगी दरों पर लोन देने लगते हैं. जिसकी वजह से कर्ज की मांग घटती है और बाजार में कैश फ्लो पर थोड़ी लगाम लगती है. लेकिन रेपो रेट बढ़ने के साथ एफडी की ब्याज दरें भी बढ़ने लगती है. इससे निवेशकों को काफी लाभ पहुंचता है.