देवघर एयरपोर्ट पर विमानों का आवागमन शुरू, 1 घंटे में कोलकाता से पहुंची पहली फ्लाइट

देवघर. देवघर एयरपोर्ट पर आज से विमानों का परिचालन शुरू हो रहा है. ऐसे में आज कोलकाता से देवघर एयरपोर्ट के लिए पहले विमान ने उड़ान भरी. इंडिगो की विमान संख्या 6E7939 आज सुबह 10:15 बजे कोलकाता एयरपोर्ट से देवघर के लिए रवाना हुई और 11:15 में देवघर एयरपोर्ट पहुंच गयी. देवघर एयरपोर्ट पर पहले विमान के पहुंचते ही वहां मौजूद लोगों ने जय शिव और हर-हर महादेव के जयकारे लगाए. वहीं, अब से थोड़ी देर बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12:30 देवघर पहुंचेंगे, जहां पीएम मोदी औपचारिक रूप से देवघर एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे.

बता दें, देवघर एयरपोर्ट से फिलहाल कोलकाता के लिए हवाई सेवा शुरू हो जाएगी और धीरे-धीरे जल्द ही यहां से लोगों अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा की भी सुविधा मिलने लगेगी.  400 करोड़ की लागत से 654 एकड़ में फैला देवघर इंटरनेशनल एयरपोर्ट कई मायनों में खास है. झारखंड में रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के बाद देवघर एयरपोर्ट राज्य का दूसरा एयरपोर्ट होगा. देवघर हवाई अड्डा झारखंड के उत्तर-पूर्वी भाग और दक्षिण-पूर्वी बिहार के कुछ जिलों की सेवा के लिए विकसित किया गया है.

जानें देवघर एयरपोर्ट की खासियत

देवघर हवाई अड्डा झारखंड के उत्तर-पूर्वी भाग और दक्षिण-पूर्वी बिहार के कुछ जिलों की सेवा के लिए विकसित किया गया है. यह देश भर में बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थयात्रियों की यातायात जरूरत को भी पूरा करेगा. देवघर एयरपोर्ट 654 एकड़ में फैला हुआ है. हवाई अड्डे के पास 2500 मीटर लंबा रनवे है, जो एयरबस ए320 और बोइंग 737 दोनों प्रकार के विमानों को संभालने में सक्षम है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मई 2018 को झारखंड में हवाई अड्डे के विकास की आधारशिला रखी थी.

प्रति घंटे 200 यात्रियों की क्षमता

एयरपोर्ट ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 400 करोड़ रुपये की लागत से एयरपोर्ट का निर्माण किया है. इसमें रनवे का निर्माण शामिल है, जिसकी लंबाई 2,500 मीटर और 45 मीटर चौड़ी है, 4,000 वर्ग मीटर टर्मिनल भवन का निर्माण किया गया है जो प्रति घंटे 200 यात्रियों को संभाल सकता है. एक एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर, दो एयरबस A320s के लिए एक एप्रन, टैक्सीवे और एक आइसोलेशन है. टर्मिनल बिल्डिंग में छह चेक-इन काउंटर और दो आगमन बेल्ट हैं, जिसमें 200 यात्रियों की पीक आवर हैंडलिंग क्षमता है. टर्मिनल भवन का डिज़ाइन बैद्यनाथ मंदिर की संरचना से प्रेरित है, और इसमें आदिवासी कला, हस्तशिल्प और स्थानीय भित्ति चित्र और चित्र हैं.