14 वर्षों से चिल्ड्रेन स्ट्रीट नाम से शिक्षा का अलख जला रहे हैं मथुरा के सतीश शर्मा, संवर रहा बच्चों का जीवन

आस्था की नगरी कही जाने वाली मथुरा समाजसेवा को लेकर काफी प्रचलित है। वैसे तो यहां बहुत से सज्जन पुरुष हैं जो अपना जीवन दूसरो के लिए जीते हैं। उन्हीं लोगों में से एक ऐसे व्यक्ति हैं जो 14 वर्षों से समाजसेवा कर रहे हैं और बेसहारा और बेबस बच्चों के जिंदगी में खुशियां ला रहे हैं। वह उन्हें शिक्षा का महत्व समझाकर शिक्षित कर रहे हैं, बच्चों को शिक्षित करने के साथ उन्हें वस्त्र और अन्य गिफ्ट भी देते हैं। इस कार्य के लिए उन्हें सरकार के तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही बल्कि वह ये सारा जिम्मा खुद उठाते हैं और अगर कोई शख्स उन बच्चों की मदद कर दे तो वह उनकी सराहना करते हैं।

वह समाजसेवी हैं सतीश शर्मा (Social Worker Satish Sharma)। उन्होंने एक स्कूल खोली है जिसका नाम चिल्ड्रेन स्ट्रीट (Children Street) है। वह बच्चों को लगभग 14 वर्षों से शिक्षित कर रहे हैं और साथ ही उनके खाने-पीने की चीजों के साथ वस्त्र आदि का भी व्यवस्था कर रहे हैं। -Children Street Mathura

नि:शुल्क पढ़ते हैं 300 बच्चे

शुरुआती दौर में उनके पास बहुत कम बच्चे थे परंतु आज वह लगभग 300 बच्चों को शिक्षित कर उन्हें शिक्षा का महत्व बताकर काबिल बना रहे हैं। इस स्कूल में जो भी बच्चे पढ़ते हैं उन्हें किताबी ज्ञान के अलावा अनुसाशन एवं वार्तालाप का कौशल सिखाया जाता है। -Children Street Mathura

वह बताते हैं कि वर्ष 2008 में उन्होंने अपना पहला स्कूल नवादा गांव से प्रारंभ किया था। आज उनके तीन सेंटर चलते हैं जो मथुरा में है। वे बताते हैं कि उन्हें यह प्रेरणा अपने पिता से मिली है क्योंकि उनके पिता भी गरीब बच्चों को निःशुल्क पढ़ाया करते थे। वह अपने पिता से जागरूक हुए और उन्होंने भी बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। -Children Street Mathura

सरकार नहीं करती है मदद

वह बताते हैं कि मुझे सरकार की तरफ से कोई अनुदान नहीं मिला है जिससे मैं स्कूल का संचालन करूँ। कुछ ऐसे सामाजिक संस्था है जो बच्चों के लिए दान करती है और हम बच्चों को पढ़ाते हैं। अगर किसी का बर्थडे है वे यहां आते हैं और बच्चों को भेंट स्वरूप चप्पल, जूते आदि देते हैं। लोगों की मदद के द्वारा और हमारे सहयोग से आगे चल रहा है। -Children Street Mathura

वह बताते हैं कि मैंने स्कूल की शुरुआत मात्र 15 बच्चों से की थी परंतु आज दर्जनों की संख्या में वोलेंटियर्स मौजूद हैं जो बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। ये वोलेंटियर्स अच्छे कम्पनी में कार्यरत हैं और वक्त निकालकर बच्चों के पास आते हैं। मात्र 15 बच्चों से शुरू हुआ ये स्कूल 300 बच्चों में बदल गया है। सतीश कहते हैं बच्चों की संख्या बढ़ोतरी को देख मुझे खुशी मिलती है और ऊर्जावान महसूस करता हूं।