DOLO-650 : 500 मिलीग्राम तक की किसी भी टैबलेट की बाजार कीमत सरकार द्वारा कंट्रोल्ड होती है। लेकिन 500 एमजी से ऊपर की टैबलेट की कीमत फार्मा कंपनी द्वारा तय की जाती है। यही कारण है कि 500 एमजी से अधिक की टैबलेट की कीमत अधिक होती है। डॉक्टर्स से लेकर प्रैक्टिशनर्स तक इस टैबलेट को बुखार का रामबाण इलाज बताते हैं।
नई दिल्ली : डोलो-650 (Dolo-650) इन दिनों काफी चर्चा में है। क्या आपको भी इस नाम से कुछ याद आ रहा है? यह एक टैबलेट है। वही टैबलेट जो कोविड-19 (Covid-19) के इलाज में कारगर बताई गई थी। जिस डॉक्टर को देखो वही मरीज को पर्चे में यही दवा लिख रहा था। लेकिन फिर सामने आया एक बड़ा फ्रॉड। डोलो-650 के मेकर्स पर आरोप लगा कि उन्होंने डॉक्टर्स को 1,000 करोड़ रुपये के गिफ्ट्स बांटे थे। मरीज के पर्चे में यह गोली लिखने के लिए ये गिफ्ट्स बांटे गए थे। इस गोली को बनाने वाली कंपनी का नाम माइक्रो लैब्स लिमिडेट (Micro Labs Ltd) है। आयकर विभाग ने पिछले महीने कंपनी के 9 राज्यों में 36 परिसरों पर छापेमारी की थी। कंपनी पर आरोप लगा कि उसने अपने उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए डॉक्टर्स और मेडिकल प्रोफेशनल्स को 1,000 करोड़ रुपये के गिफ्ट बांटे। लेकिन सवाल यह है कि डोलो-650 ही क्यों? 650 एमजी की टैबलेट में ऐसा क्या है। आइए जानते हैं।
क्या है 650 एमजी के पीछे राज
650 एमजी के पीछे भी एक राज है। दरअसल, 500 मिलीग्राम तक की किसी भी टैबलेट की बाजार कीमत सरकार द्वारा कंट्रोल्ड होती है। लेकिन 500 एमजी से ऊपर की टैबलेट की कीमत फार्मा कंपनी द्वारा तय की जाती है। यही कारण है कि 500 एमजी से अधिक की टैबलेट की कीमत अधिक होती है। माइक्रो लैब्स भी डोलो-650 टैबलेट को प्रमोट करके भारी मुनाफा कूट रही थी। कोरोना महामारी के दौरान डोलो-650 टैबलेट की खूब बिक्री हुई थी। डॉक्टर्स से लेकर प्रैक्टिशनर्स तक इसे बुखार का रामबाण इलाज बताते हैं। दवा दुकानदारों ने भी डोलो 650 को धडल्ले से बेचा।
जब सुप्रीम कोर्ट के जज को भी दी गई डोलो-650
सुप्रीम कोर्ट में भी गुरुवार को डोलो-650 टैबलेट चर्चा में रही। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ एक केस की सुनवाई के दौरान अचानक दंग रह गए, जब उन्हें याद आया कि कोविड होने पर डॉक्टर ने उन्हें भी डोलो 650 टैबलेट ही दी थी। कोर्ट में डोलो बनाने वाली कंपनी पर डॉक्टरों को घूस देने के मामले पर ही सुनवाई चल रही थी। एक एनजीओ ने दावा किया कि डोलो निर्माता कंपनी ने डॉक्टरों को 1,000 करोड़ रुपये बांटे। इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि इस आरोप की तह तक जाना चाहिए। इस मामले में कोर्ट 29 सितंबर को अगली सुनवाई करेगा।
कंपनी ने बांटे जमकर गिफ्ट्स
इस मामले में याचिकाकर्ता फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FMRAI) है। सीबीडीटी की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कंपनी ने डॉक्टर्स को जमकर गिफ्ट्स बांटे हैं। याचिकाकर्ता ने पीठ को बताया कि 500 एमजी तक की टैबलेट की कीमत सरकार की कीमत नियंत्रण प्रणाली द्वारा नियंत्रित रहती है। लेकिन इससे अधिक की टैबलेट की कीमत कंपनी द्वारा निर्धारित की जा सकती है।