कानपुर. देश में पहली बार कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में फैट से स्टेम सेल ट्रांसप्लांट कर मधुमेह रोगी का इलाज किया गया है. मेडिकल कॉलेज के एलएलआर सर्जरी विभाग में पहली बार एक मरीज के कमर और पेट की चर्बी से स्टेम सेल निकालकर डायबिटीज पीड़ित का इलाज करने में डाॅक्टरों ने पहले चरण की सफलता हासिल की. डाॅक्टरों ने स्टेम सेल का प्रत्यारोपण मधुमेह मरीज की मांसपेशियों और खून में किया जिससे मरीज को राहत मिली. कानपुर के मेडिकल कॉलेज में एक मधुमेह रोगी आए थे जिनकी उम्र 50 साल थी और कई सालों से मधुमेह से पीड़ित थे.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संजय काला ने बताया कि पहली बार डॉक्टरों ने चर्बी से स्टेम सेल निकालकर खून व मांसपेशियों में ट्रांसप्लांट कर मधुमेह रोगी का इलाज किया. इलाज की इस स्टेम सेल ट्रांसप्लांट पद्धति से पेंक्रियाज की बीटा सेल से इंसुलिन को सामान्य मात्रा में निकलने में मदद मिली. डॉक्टर संजय ने बताया कि डिजिटल थेरेपी में ऑस्ट्रेलियन टेक्निक का इस्तेमाल किया गया है. इस ट्रांसप्लांट में गेस्ट फैकल्टी डॉ. बीएस राजपूत और इंदौर से आई उनकी टीम ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया.
मधुमेह रोगियों के इलाज में पहला स्टेप
एक ओर मधुमेह को लाइलाज बीमारी माना जाता है, तो इस ट्रांसप्लांट के बाद डॉक्टरों की उम्मीद जगी है. उनका कहना है कि मधुमेह रोग में शोध में यह पहला चरण था, जिसे डॉक्टरों ने हासिल कर लिया है. अब इसमें और चरणों में शोध किए जाएंगे कि किस प्रकार से मधुमेह रोगियों को बेहतर तरीके से ठीक किया जा सकता है.