गर्मी के मौसम ने दस्तक दे दी है. दिल्ली, चेन्नई और बेंगलुरू जैसे बड़े शहरों में पानी की भारी किल्लत देखने को मिल सकती है. पिछले साल ही नीति आयोग की रिपोर्ट आई थी, जिसमें दिल्ली में 2020 तक ग्राउंड वॉटर के ख़त्म या बहुत कम स्तर तक पहुंच जाने की संभावना व्यक्त की गई थी.
इस बात को बहुत बेहतरीन तरीके से समझते हैं केरल के 67 साल के कुंजंबु. इन बूढ़े हाथों ने सैकड़ों सुरंग अकेले ही खोद डाली, जिससे गांव में पानी की कमी न हो पाए. दावा है कि कुंजंबु ने अबतक 1000 सुरंग खोदी हैं. उनकी मेहनत की बदौलत आज गांव में बोरवेल खुदाई की ज़रूरत नहीं पड़ी है. उत्तर केरल और कर्नाटक के क्षेत्रों में आज भी यह सुरंग गुफा कुआं (Cave Wells) जल संचयन प्रणाली (Water Harvesting System) की सबसे पुरानी तकनीकों में से एक है.
बेटर इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस काम को कुंजंबु पिछले 50 साल से लगातार कर रहे हैं. कुंदमजुझी गांव में पानी की कमी न होने देने के लिए वह 14 साल की उम्र से सुरंग खोद रहे हैं. अपनी कुदाल और मोमबत्ती के साथ वह इस काम के लिए प्रतिदिन निकल पड़ते हैं.
कुंजंबु कहते हैं 300 मीटर गुफ़ा की खुदाई के बाद ऑक्सीजन की कमी होने लगती हैं, इसीलिए वह एक माचिस और मोमबत्ती ले जाते हैं. अगर खुदाई के दौरान नहीं माचिस जलती, तो वह तुरंत बाहर आ जाते हैं. इस काम के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन लगा दिया है ताकि जल का संचय हो सके. हम अपने स्तर पर बारिश के पानी को जमा करके योगदान कर सकते हैं. इस बार आप करेंगें न ऐसा?