ऋषभ शेट्टी की कांतारा (Risabh Shetty Kantara) 30 सितंबर को रिलीज़ हुई थी और अभी तक फिल्म का जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहा है. क्रिटिक्स, आम जनता से लेकर जाने-माने स्टार्स भी फ़िल्म की तारीफ़ करते नहीं थक रहे. सुपरस्टार रजनीकांत, अल्लू अर्जुन, शिल्पा शेट्टी, कंगना रनौत जैसे कई सेलेब्स ने फ़िल्म की तारीफ़ की है. कंगना रनौत ने तो यहां तक कहां कि फ़िल्म को ऑस्कर्स में भेजना चाहिए. कमाई और IMDb रेटिंग (Kantara IMDb Rating) के मामले में भी कांतारा दिग्गज फ़िल्मों के रिकॉर्ड तोड़ रही है. हाल ही में फिल्म के डायरेक्टर और एक्टर ऋषभ शेट्टी ने फ़िल्म से जुड़े कुछ किस्से शेयर करते हुए कहा कि फिल्म के कुछ सीन शूट करने से 20-30 दिन पहले मांस खाना छोड़ दिया था.
‘देव कोला’ शूट करने से पहले छोड़ा नॉन वेज
ऋषभ शेट्टी ने कांतारा की कहानी लिखी है, फ़िल्म को निर्देशित किया है और फ़िल्म में गज़ब की एक्टिंग भी की है. The Times of India को दिए एक इंटरव्यू के दौरान ऋषभ शेट्टी ने बताया कि एक्टिंग करना सबसे मुश्किल था.
ऋषभ शेट्टी ने कहा, ‘देव कोला सिक्वेंस शूट करना आसान नहीं था. “मेरे ऊपर 50-60 किलोग्राम भार था. मैंने ये सिक्वेंस शूट करने से 20-30 दिन पहले नॉन वेज छोड़ दिया था. ‘देव कोला’ अलंकार पहनने के बाद मैं नारियल पानी के अलावा कुछ नहीं लेता था.”
“सिक्वेंस शुरू करने से पहले और शुरू करने के बाद मुझे प्रसाद दिया जाता था. सिक्वेंस खत्म होते-होते में गिर पड़ता था लेकिन दूसरों की एनर्जी कम न हो इसलिए दोबारा उठ खड़ा होता था. शूटिंग के दौरान मैंने परेशानियों के बारे में नहीं सोचा. अब मीडिया सवाल पूछ रही है तो मैं जवाब दे रहा हूं.”
जल गई थी पीठ
ऋषभ शेट्टी ने बताया कि फ़िल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें काफी बार चोट आई. ऋषभ शेट्टी के शब्दों में, ‘जिस एक्शन सिक्वेंस में मेरी मशाल से पिटाई हो रही है वो रियल सीन था. मेरी पीठ जल गई थी. शूटिंग के दौरान बेहद दर्द हो रहा था लेकिन दिमाग में सिर्फ़ एक ही चीज़ थी कि ये करना है.’
क्या Kantara का Hindi Remake बनेगा?
कांतारा की हिन्दी डबिंग की गई है. ऋषभ शेट्टी का कहना था कि फ़िल्म का हिन्दी रिमेक नहीं बनना चाहिए. उन्होंने कहा, ऐसे किरदार निभाने के लिए आपको उस संस्कृति में विश्वास होना चाहिए. हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री के कई स्टार्स मुझे पसंद हैं लेकिन मुझे रिमेक्स में रुचि नहीं है.’
कुछ लोग फ़िल्म की आलोचना भी कर रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि फ़िल्म राइटिस्ट है तो कुछ लोग कह रहे हैं कि ‘कोला’ हिन्दू संस्कृति का हिस्सा नहीं है. ऋषभ शेट्टी के अनुसार फ़िल्म का एक ही संदेश देती है- प्रकृति के सामने सभी एक हैं.