Treasure In Cheetah Forest: कूनो नेशनल पार्क की चर्चा चीतों की वजह से है। अब वहां काम कर रहे मजदूरों को खजाना मिला है। इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या कूनो नेशनल पार्क में शाही खजाना गड़ा हुआ है। मजदूरों के पास 40 पुराने सिक्के मिले हैं।
श्योपुर: चीतों के जंगल में खजाना गड़ा (Treasure In Cheetah Forest) है। इसके सबूत वहां मिले प्राचीन सिक्के दे रहे हैं। इन सिक्कों के बारे में पहले वन विभाग राजपरिवार को जानकारी नहीं दे रही थी। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में खबर छपने के अगले दिन मजदूरों के पास से 40 प्राचीन सिक्के बरामद किए गए हैं। वहीं, शुक्रवार को राजपरिवार के सदस्यों को जंगल के अंदर प्रवेश नहीं दिया गया है। कूनो नेशनल पार्क में खुदाई के दौरान 40 चांदी और कॉपर के पुराने सिक्के मिले हैं। इसके बाद कूनो नेशनल पार्क की चर्चा सोशल मीडिया पर फिर से शुरू हो गई है। साथ ही लोगों के मन में सवाल है कि क्या चीतों के जंगल में खजाना गड़ा हुआ है।
सिक्के मिलने की खबर पर शुक्रवार को राजपरिवार के सदस्य महादेव राज सिंह और आरके श्रीगोपाल देव सिंह सहित पालपुर राजघराने के सदस्य वहां गए, जहां सिक्कों से भरा घड़ा मिला था। राजपरिवार ने इसे लेकर आपत्ति जताई और कहा कि बिना अनुमति यहां खुदाई कराई जा रही है। अभी यहां का मामला अदालत में चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें मिट्टी के घड़े के टूटे हुए टुकड़े मिले। यह बहुत बड़ा रहा होगा। पुलिस ने करीब 40 सिक्के बरामद किए हैं। उन्होंने कहा कि यह और भी होंगे।
खनन स्थल को समतल कर दिया
राजपरिवार के सदस्यों ने यह दावा किया कि हमारे जंगल आने से पहले वन विभाग के अधिकारियों ने खनन स्थल को समतल कर दिया है। राजपरिवार के आर के श्रीगोपाल देव सिंह ने कहा कि उन्हें हमें सूचित करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि उस दिन इस्तेमाल की गई जेसीबी को न केवल बदल दिया गया है, बल्कि आसपास के कुछ मजदूर भी लापता हैं। पुलिस को शक है कि लापता मजदूरों ने कुछ सिक्के ले लिए हैं। गुरुवार को जब उन्हें इसकी जानकारी हुई तो परिजनों ने सिक्के देने को कहा।
वहीं, कलेक्टर शिवम वर्मा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा है कि जब्त किए सिक्कों को इंडियन ट्रेजर ट्रोव एक्ट 1878 के प्रावधानों के अनुसार कोषागार में जमा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने पुलिस से इस मामले की जांच करने को कहा है ताकि शेष सिक्के, यदि कोई हो, को बरामद किया जा सके।
वहीं, बरामद सिक्कों में कुछ सिक्के दो से तीन शताब्दी पुराने हैं और इनमें ब्रिटिश काल के सिक्के भी शामिल हैं। इंडियन ट्रेजर ट्रोव एक्ट 1978 के तहत, एक फुट की गहराई के नीचे जो कुछ भी पाया जाता है, वह सरकार का होता है और उसे जिला कोषाध्यक्ष को सौंप दिया जाना चाहिए, जिसमें कलेक्टर खजाने का एकमात्र संरक्षक होता है।
मजदूरों ने आपस में बांट लिए सिक्के
टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार बुधवार को बर्तन मिला और मजदूरों ने आपस में सिक्के बांटे। उनमें से कुछ ने तस्वीरें लीं और उसे व्हाट्सएप पर शेयर कर दिया। इसके बाद यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई थी। दरअसल, कूनो नेशनल पार्क के लिए पालपुर राजघराने से 260 बीघा जमीन दान में दी थी। इसे गिर के शेरों के लिए दिया गया था। सिक्के मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने ही राजपरिवार को जानकारी दी थी। इसके बाद वे लोग यहां पहुंचे थे।
गौरतलब है कि कूनो नेशनल पार्क कूनो नदी के किनारे पर हैं। इसकी जमीन पालपुर राजघराने की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को नामीबिया से आए आठ चीतों को छोड़ा था। इसके बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूनो की चर्चा शुरू हो गई है। प्राचीन सिक्के मिलने के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या वहां शाही परिवार का बड़ा खजाना गड़ा हुआ है।