हिंदी दिवस जिसे प्रत्येक वर्ष बहुत ही धूम धाम के साथ समूचे भारत वर्ष में मनाया जाता है | लेकिन उसके बावजूद भी हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा होते हुए भी कामकाज की भाषा नहीं बन सकी है | इंग्लिश के आगे अभी भी हिंदी अपना मुकाम हासिल नहीं कर पाई है | भारत के कई राजनेताओं ने इसे कामकाज की भाषा बनाने का प्रयास किया लेकिन उसके बावजूद भी यह प्रयास सफल नहीं हुए है | क्योंकि कोई भी सरकार इस विचार को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाई है | शहर वासियों ने इस मौके पर विचार रखते हुए कहा कि आज हिंदी राष्ट्र नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही है लेकिन अभी तक कार्यालयों में यह अपना स्थान बनाने में कामयाब नहीं हुई है |
शहर वासियों ने इस मौके पर कहा कि भाजपा सरकार के भूतपूर्व मुख्य मंत्री शांता कुमार ने यह आदेश जारी किए थे कि प्रदेश के सभी कार्यालयों में हिंदी ही उपयोग में लाई जाएगी लेकिन उनका यह सपना आज तक पूरा नहीं हुआ है \ उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में भाजपा सरकार है इस लिए उसे चाहिए कि वह अपने वरिष्ठ नेता का सपना पूर्ण करे और हिंदी को सम्मान दें | उन्होंने कहा कि वर्ष में केवल एक बार हिंदी दिवस मना कर इतिश्री कर दी जाती है लेकिन हिंदी को कार्यालयों में कामकाज की भाषा कैसे बनाना है इसकी और कोई ध्यान नहीं दिया जाता है | उन्होंने कहा कि इसको लेकर सरकार और जनता दोनों को जागरूक होने की आवश्यकता है तभी हिंदी को वह मुकाम हासिल होगा जो इस दिवस का उदेश्य है|