एफपीआई ने भारतीय बाजारों पर घटाया भरोसा, बीते हफ्ते निवेश से अधिक की निकासी

अगस्त में एफपीआई ने भारतीय बाजार में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश किया था.

अगस्त में एफपीआई ने भारतीय बा

नई दिल्ली. बीते हफ्ते शुक्रवार को शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स 1000 व निफ्टी 300 अंकों से अधिक टूटकर बंद हुआ. इसके कुछ प्रमुख कारणों में फेड रेट्स और रुपये की वैल्यू में गिरावट के अलावा विदेशी निवेशकों की बिकवाली भी शामिल रही. विदेशी निवेश को 19 से 23 सितंबर तक भारतीय शेयर में निवेश से अधिक निकासी है.

सितंबर की शुरुआत में की गई खरीदारी की बदौलत एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) अब भी 8,638 करोड़ रुपये के निवेश के साथ सितंबर में शुद्ध खरीदार बने हुए हैं. हालांकि, निवेश की रफ्तार अब धीमी हो गई है. बिकवाली की शुरुआत अमेरिकी फेडर रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद हुई. इस बीच डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया टूटकर 80 रुपये के स्तर को पार कर गया.

जुलाई से शुरू हुई थी खरीदारी
एफपीआई ने जून तक भारतीय बाजारों में ताबड़तोड़ बिकवाली की. हालांकि, जुलाई में हवा बदली और विदेशी निवेशक 4,989 करोड़ रुपये के इन्वेस्टमेंट के साथ शुद्ध खरीदार के रूप में उभरे. इसके बाद अगस्त में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में 51,204 करोड़ रुपये डाले. यह इस साल का सर्वाधिक मासिक निवेश था. 16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह तक भी विदेशी निवेशकों ने 12084 करोड़ रुपये का निवेश किया था.

जून तक थे शुद्ध बिकवाल
एनएसडीएल के डेटा के अनुसार, इस साल के शुरुआती 6 महीनों में विदेशी निवेशकों ने शुद्ध बिकवाली की थी. उन्होंने इस दौरान भारतीय बाजार से 2,17,358 करोड़ रुपये निकाल लिए थे. जून में 50,203 करोड़ रुपये के के साथ सबसे बड़ी बिकवाली हुई थी. उसके बाद शुरु हुई खरीदारी के बाद इस साल अब तक एफपीआई आउटफ्लो घटकर 1,52,527 करोड़ रुपये पर चली गई.

सेंसेक्स पहुंचा 58,000 के पास
शुक्रवार को सेंसेक्स 1020 अंक (1.73 फीसदी) की गिरावट के साथ 58,098 के स्तर पर पहुंच गया. दूसरी ओर निफ्टी 302 अंक (1.72 फीसदी) टूटकर 17,327 के स्तर पर पहुंच गया. इसी महीने आरबीआई की एमपीसी की बैठक भी होनी है जिसमें रेपो रेट एक बार फिर बढ़ाई जा सकती है.