नई दिल्ली : वादा था महंगाई से निजात दिलाने का। अर्थव्यवस्था की हालत डवाडोल थी लेकिन वादा था टैक्स कटौती का। लोकलुभावन वादों के दम पर सरकार भी बन गई। आलोचक चेताते रहे लेकिन उन्हें अनसुना कर टैक्स कटौती का ऐलान भी हो गया। लेकिन हालत बिगड़ गए। महंगाई बेकाबू होने लगी। शेयर बाजार लुढ़कने लगा। मुद्रा कमजोर होने लगी। अर्थव्यवस्था खस्ताहाल होने लगी। वादे पूरे करने में नाकाम साबित हो रहे प्रधानमंत्री ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया। हम बात कर रहे हैं ब्रिटेन की और उसकी प्रधानमंत्री लिज ट्रस के इस्तीफे की। प्रधानमंत्री बनने के डेढ़ महीने में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। लिज ट्रस के इस्तीफे से फ्री की रेवड़ियां बांटने वाले नेताओं को सीखना चाहिए।
2022-10-22